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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्य सरकारों से आईएएस और अन्य अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों की सेंट्रल डेप्यूटेशन को सुविधाजनक बनाने को कहा

केन्‍द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्‍य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्य सरकारों से आईएएस और अन्य अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (सेंट्रल डेप्यूटेशन) को सुविधाजनक बनाने को कहा।

कार्मिक, सामान्य प्रशासन और प्रशासनिक सुधारों की देखरेख करने वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि सेंट्रल डेप्यूटेशन हमारे देश में संघीय ढांचे का हिस्सा है। उन्होंने राज्य सरकारों से केंद्र सरकार के साथ इस संबंध में सहयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा,एक अखिल भारतीय सेवा अधिकारी राज्य के साथ-साथ केंद्र दोनों के भीतर सरकार का एक महत्वपूर्ण इंटरफ़ेस है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा,अखिल भारतीय सेवाओं के प्रबंधन के लिए पहले से ही एक निर्धारित संरचना है और इसका गंभीरता  से पालन करने की आवश्यकता है। इस संबंध में एक विशेष पहलू केंद्र में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की तैनाती है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने रेखांकित किया कि केंद्र सरकार,राज्य/केंद्र में दक्षता और पहल के उच्च स्तर को बनाए रखने और कमियों को दूर करने के एकमात्र उद्देश् से, एआईएस (डीसीआरबी) नियम, 1958 के नियम 16(3) के तहत प्रदान सर्विस के सर्विस रिकॉर्ड की गहन समीक्षा करती है। मंत्री ने डीओपीटी को सूचित करते हुए उनके पास लंबित ऐसी सभी समीक्षाओं को शीघ्रता से पूरा करने में राज्य सरकारों के सहयोग का अनुरोध किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि मौजूदा वर्ष के दौरान, केंद्र सरकार ने सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से 180 आईएएस अधिकारियों को सफलतापूर्वक आवंटित किया है और लगभग 434 रिक्त पदों को राज्य सेवाओं से शामिल करके भर्ती के लिए निर्धारित किया गया है जिन्हें जल्द ही भरा जाना है। मंत्री ने कहा कि वह राज्य सरकारों से केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय पर परिचालित अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों की प्रभावी सेवा और सतर्कता प्रबंधन से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन करने का भी अनुरोध करेंगे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोविड महामारी के बाद, यह सम्मेलन कार्मिक मामलों के प्रभारी राज्य सचिवों के साथ पारस्परिक हितों और  मामलों पर चर्चा करने के लिए वार्षिक सम्मेलनों की परंपरा को फिर से शुरू करने की शुरुआत है।

प्रशिक्षण के पहलू पर ध्यान देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि किसी सरकारी अधिकारी से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पाने के लिए, उसे पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और केंद्र सरकार ने अपने अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए प्रभावी प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किया है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के अधिकारियों, विशेष रूप से अत्याधुनिक स्तर पर काम करने वालों के लिए एक मॉड्यूल तैयार किया है और राज्य सरकारों से इसका पूरा लाभ उठाने का आग्रह किया है।

मंत्री ने कहा, अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी भारतीय प्रशासन की रीढ़ हैं और यह महत्वपूर्ण है कि सरकारी नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन द्वारा सुशासन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा ठोस प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि एक ऐसा मंच बनाने की जरूरत है जहां इस विभाग और अन्य हितधारकों के बीच नियमित अंतराल पर बातचीत होती रहे।

भारत सरकार और राज्य सरकारें देश के सबसे बड़े नौकरी प्रदाता हैं। सरकारी नौकरी समाज के सभी वर्गों के हर नागरिक का सपना होता है। लोग सरकारी नौकरी का सपना न केवल इसलिए देखते हैं क्योंकि यह सर्वोत्तम सुविधाएं, वेतन पैकेज और नौकरी की सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि इसलिए भी कि चयन प्रक्रिया सभी के लिए खुली है और योग्यता आधारित है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि केंद्र सरकार ने इसके तहत सभी रिक्त पदों को मिशन मोड में भरने की पहल की है और उम्मीद जताई है कि राज्य सरकारें भी इसी तरह की कवायद चलाएंगी। जबकि सरकारी नौकरी पाना हर उम्मीदवार के लिए एक सपना बना रहता है, ईमानदारी और निष्ठा के साथ काम करने और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने का पहलू समान महत्व प्राप्त करता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस संवादात्मक बैठक को एक नियमित कार्यक्रम बनाने के प्रयास के लिए सचिव, डीओपीटी और उनकी टीम को बधाई दी और कहा कि वह राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ इस तरह की निरंतर बातचीत का समर्थन करेंगे।

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