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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 58 वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह की मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्षता की

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 58वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता की और स्थापना दिवस की परेड की सलामी ली। आईटीबीपी के महानिदेशक श्री एस.एस. देशवाल भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

परेड में महिला, कमांडो, स्कीइंग, पर्वतारोहण और पैराट्रूपर्स के दस्‍ते, डॉग स्क्वायड और घुड़सवार कॉलम सहित सभी फ्रंटियर टुकडि़यां शामिल थीं। परेड में अभी हाल में शामिल मशीनों और उपकरणों, स्नो स्कूटर, ऑल-टेरेन वाहनों, विभिन्न हाई-एंड एसयूवी, पोल नेट और विभिन्न संचार और निगरानी उपकरणों सहित फोर्स के सभी पहलुओं को प्रदर्शित किया गया।

इस अवसर पर श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि इन मौजूदा आंतरिक सुरक्षा के संदर्भ में आईटीबीपी की विविध भूमिकाएं हैं। उन्होंने कहा इस बल का विदेशों में भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों की सुरक्षा, अमरनाथ और मानसरोवर यात्रा के दौरान सुरक्षा व्‍यवस्‍था के साथ-साथ वामपंथी अतिवाद क्षेत्रों में संचालन और राहत तथा आपदाओं के दौरान बचाव आदि के कार्यों सहित विभिन्‍न प्रकार के कानूनी योगदान रहता हैं। श्री रेड्डी ने आईटीबीपी की पहली महिला पर्वतारोही टीम की सराहना करते हुए कहा कि यह महिला सशक्तिकरण के लिए एक बड़ा कदम है।

उन्होंने पंजाब में उग्रवाद के खिलाफ लड़ने में और देश के रेड कॉरिडोर क्षेत्रों में आईटीबीपी कर्मियों की भूमिका और स्‍थानीय लोगों के दिलों को जीतने में इस बल की प्रशंसा की। वामपंथी अतिवाद (एलडब्‍ल्‍यूई) प्रभावित क्षेत्रों में किए जा रहे विकास कार्यों में भी इस बल का महत्‍वपूर्ण योगदान है। आईटीबीपी को गुरिल्ला युद्ध बल के रूप में भी प्रशिक्षित किया गया है। बल की महान व्यावसायिकता के कारण इसे विदेशों में भारतीय दूतावासों की सुरक्षा के लिए भी तैनात किया गया है। आईटीबीपी ने हिमालयन रेंज में बचाव कार्य के लिए दो एनडीआरएफ बटालियनों का गठन किया है।

श्री रेड्डी ने कहा कि सरकार भविष्य में आईटीबीपी की भूमिका को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्‍होंने बल आधुनिकीकरण के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे विभिन्न कदमों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि बल की क्षमताओं को बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए 200 अधिकारियों और जवानों को मैन्‍डरिन भाषा का प्रशिक्षण दिया गया है और तीव्र गति से आईटीबीपी प्राथमिकता वाली सड़कों के निर्माण किया जा रहा है। श्री रेड्डी ने कहा कि आईटीबीपी प्राथमिकता सड़कों के रूप में 20,000 करोड़ रुपये की लागत से 45 नई सड़कों के निर्माण को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि 2014 से आईटीबीपी की 23 नई सीमा चौकियों की स्थापना की गई है।

श्री रेड्डी ने आईटीबीपी कर्मियों को छह वीरता पदक, विशिष्‍ट सेवा के लिए छह पुलिस पदक और सराहनीय सेवाओं के लिए 23 पुलिस पदक प्रदान किए। अपने संबोधन के अंत में उन्‍होंने कहा कि आईटीबीपी के बलिदान और वीरता के लिए राष्ट्र हमेशा उनपर गर्व करेगा और उनका ऋणी रहेगा।

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की 24 अक्टूबर, 1962 को भारत-चीन सीमा पर चीनी आक्रमण के मद्देनजर स्‍थापना की गई थी। प्रत्‍येक वर्ष इस दिन को आईटीबीपी के कर्मियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए इसकी वीरता और उपलब्धियों को याद करने के लिए इस बल के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। आईटीबीपी को शुरू में सीमावर्ती आसूचना, अवैध घुसपैठ और तस्करी रोकने तथा एक गुरिल्‍ला बल के रूप में भारत-तिब्‍बत सीमा के साथ-साथ सुरक्षा स्‍थापित करने के लिए गठित किया गया था। बल के विस्तार के परिणामस्वरूप, आईटीबीपी को समय-समय पर सीमा सुरक्षा ड्यूटी, आतंकवाद रोधी कार्य और आंतरिक सुरक्षा कार्यों के अलावा अतिरिक्त कार्य भी सौंपे गए हैं।

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