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उत्तर प्रदेश बना यूपी कॉप एप की सेवा देने वाला देश का पहला राज्य

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में ‘यूपी कॉप एप से अब घर बैठे आप ई-एफआईआर दर्ज कर सकते हैं। इस तरह एप के माध्यम से एफआईआर दर्ज कराने की सुविधा देने वाला यूपी देश का पहला राज्य है।

अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) तकनीकी सेवा आशुतोष पाण्डेय ने बुधवार को यहां बताया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने विकसित किया ‘यूपी कॉप एप साइबर अपराध के प्रति जागरूक लोगों को जागरुक भी कर रहा है। उन्होंने बताया कि इस एप के माध्यम से ई-एफआईआर तो दर्ज होगी ही, साथ ही यह मोबाइल एप बताएगा कि घटनास्थल से थाने की दूरी कितनी है। इतना ही नहीं इस एप के माध्यम से पुलिस से जुड़ी 27 सुविधाएं घर बैठे उपलब्ध होंगी।

उन्होंने बताया कि इस एप के माध्यम से पुलिस तकनीकी सेवायें गाडिय़ों की चोरी, लूट की घटनाएं, मोबाइल स्नैचिंग, बच्चों की गुमशुदगी और साइबर अपराध से जुड़े मामलों में अब यूपी पुलिस के मोबाइल एप्लीकेशन ‘यूपी कॉप एप के माध्यम से अज्ञात के खिलाफ ई-एफआईआर दर्ज कराई जा सकेगी। लोग किसी सामान या दस्तावेज के गुम हो जाने की सूचना भी एप के माध्यम से दर्ज करा सकेंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह के निर्देश पर ‘यूपी कॉप एप आमजन के लिए उपलब्ध कराने के साथ ही फीडबैक भी मांगा गया है।

एडीजी तकनीकी सेवा आशुतोष पाण्डेय ने बताया कि इन मामलों में समय से एफआईआर दर्ज न होने पर पीडि़त को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए इन मामलों की त्वरित एफआईआर के लिए यह सुविधा शुरू की गई है। संबंधित पुलिस कार्मिकों के डिजिटल हस्ताक्षर के साथ पीडि़त को एफआईआर की कॉपी उसके ई-मेल पर उपलब्ध करा दी जाएगी। उन्होंने बताया कि यूपी कॉप मोबाइल एप पर ई-सुरक्षा के लिए

पूरी गाइडलाइन भी उपलब्ध होगी। इसमें एटीएम कार्ड, वन टाइम पासवर्ड, फर्जी फोन कॉल के जरिए होने वाले फ्रॉड को लेकर किस तरह सचेत रहें, यह बताया गया है। एटीएम बूथ में किस तरह की सावधानी बरती जाए, एटीएम से पेमेंट करते समय खास सावधानी बरतने समेत 26 तरह से होने वाले साइबर अपराधों से बचाव के बारे में बताया गया है। एप पर आरबीआई की गाइडलाइन भी दी गई है जिसमें सेफ डिजिटल बैंकिंग और उपभोक्ता की जिम्मेदारी की जानकारी दी गई है।

श्री पाण्डेय ने बताया कि इस एप के जरिए आम नागरिक भी बीते 24 घंटे में किसी जिले या थाना क्षेत्र में हुई गिरफ्तारी का विवरण देख सकता है। साथ ही बीते 24 घंटे में दर्ज साइबर अपराध से संबंधित अंतिम 1० एफआईआर भी देखी जा सकती हैं, ताकि पता चल सके कि साइबर क्राइम से संबंधित किस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। वहीं इनामी बदमाशों, जिला बदर अपराधियों और गुंडा एक्ट के मामलों की सूची भी एप पर उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि थाने, क्षेत्राधिकारी या एसपी के मोबाइल नंबर भी इस एप के ‘कॉल अस बटन पर उपलब्ध हैं। अगर आप लांग ड्राइव पर हैं तो यह एप दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र के बारे में भी जानकारी देगा।

इसके अलावा किसी तरह की सूचना पुलिस से साझा करने का विकल्प भी इस एप पर है, जहां आपकी पहचान को गोपनीय रखा जाएगा। यदि किसी के साथ किसी अनजान जगह पर कोई घटना होती है, तो उसे थाने का पता और रास्ता भी यह एप बताएगा। इसके लिए जियोफेंसिंग की मदद ली गई है। इसे हर थानाक्षेत्र की सीमा को चिह्नित करके तैयार किया गया है। श्री पाण्डेय ने कहा कि अब पुलिस से संबंधित 27 जनोपयोगी सुविधाएं हासिल करने के लिए लोगों को थानों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। नौकरों का सत्यापन, चरित्र प्रमाण पत्र के लिए आवेदन, एम्पलाई का सत्यापन, धरना-प्रदर्शन, समारोह और फिल्म शूटिंग के लिए परमिशन भी इस एप पर मिल सकेगी। जो दस्तावेज जिलाधिकारी के यहां से जारी होते हैं, उसके लिए एप को ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल से जोड़ा गया है।

उन्होंने बताया कि वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को भी एप के माध्यम से सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट, र्दुव्यवहार की रिपोर्ट, लावारिस लाश, गुमशुदा की तलाश, चोरी गई और रिकवर हुई गाडिय़ों की जानकारी भी एप पर उपलब्ध होगी। साथ ही कोई भी व्यक्ति सेकेण्ड हैण्ड वाहन खरीदना चाहता है, तो इस एप के माध्यम से यह भी पता चल जायेगा कि सम्बन्धित वाहन चोरी का तो नहीं है। Source रॉयल बुलेटिन

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