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जल जीवन मिशन- शहरी योजना देश के सभी शहरों को शामिल करने के लिए तैयार की गई है

आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा है कि जल जीवन मिशन (शहरी) (जेएमएम-यू) सभी घरों में पानी की आपूर्ति की सार्वभौमिक कवरेज प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने कहा कि जेजेएम-यू से शहरों के बीच पानी को सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा होगी और जल संरक्षण के प्रति अधिक जागरूकता और संवेदनशीलता पैदा होगी।

श्री मिश्रा ने कल शाम पायलट पे जल सर्वेक्षण का शुभारंभ करते हुए कहा कि पायलट की सीख के आधार पर, इस सर्वेक्षण को सभी अमृत शहरों तक विस्तारित किया जाएगा। मिशन गैर-राजस्व जल के नुकसान को वर्तमान 40-50 प्रतिशत से घटाकर लगभग 20 प्रतिशत तक कम करने के लिए जल वितरण के दौरान होने वाले नुकसान को कम करने की दिशा में आगे काम करेगा। पानी की गुणवत्ता में सुधार मिशन का एक प्रमुख घटक है ताकि नल से ‘पीने का पानी’ का उद्देश्य साकार हो सके। इसके अलावा, अपशिष्ट जल का उपचार और पुन: उपयोग एक और महत्वपूर्ण ध्यान केंद्रित करने वाला क्षेत्र होगा।

आगरा, बदलापुर, भुबनेश्वर, चुरू, कोच्चि, मदुरै, पटियाला, रोहतक, सूरत और तुमकुर जैसे 10 शहरों में पायलट ऑन पेय जल सर्वेक्षण आरम्भ किया गया है। पेय जल सर्वेक्षण शहरों में एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया के माध्यम से पानी के समान वितरण, अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग और जल निकायों की मात्रा और गुणवत्ता के संबंध में मानचित्रण का पता लगाने के लिए आयोजित किया जाएगा। मिशन की निगरानी एक प्रौद्योगिकी-आधारित मंच के माध्यम से की जाएगी, जिस पर लाभार्थी प्रतिक्रिया की प्रगति और आउटपुट-परिणाम के साथ निगरानी की जाएगी।

जल जीवन मिशन (शहरी) (जेजेएम-यू), एसडीजी लक्ष्य-6 के अनुसार सभी 4,378 वैधानिक शहरों में कार्यात्मक नलों के माध्यम से सभी घरों में पानी की आपूर्ति के लिए सार्वभौमिक कवरेज प्रदान करने के लिए बनाया गया है। 500 अमृत शहरों में जल निकासी/सीवेज प्रबंधन उन्हें जल के लिये सुरक्षित बनाने का उद्देश्य जेजेएम (यू) के तहत प्रमुख ध्यान देने वाले क्षेत्र में से हैं। शहरी घरेलू नल कनेक्शनों में अनुमानित अंतर 2.68 करोड़ है और 500 अमृत शहरों में सीवर कनेक्शन / सेप्टेज में अनुमानित अंतर 2.64 करोड़ है, जिसे जेजेएम (यू) में शामिल करने का प्रस्ताव है। जेजेएम (यू) के लिए प्रस्तावित कुल परिव्यय 2,87,000 करोड़ रुपये है जिसमें अमृत मिशन को वित्तीय सहायता जारी रखने के लिए 10,000 करोड़ शामिल हैं।

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