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ओडिशा में 1,25,000 छोटे किसानों को जलवायु परिवर्तन रोधी कृषि में मदद के लिए विश्व बैंक की नई परियोजना

नई दिल्ली: भारत सरकार, ओडिशा सरकार और विश्व बैंक ने छोटे किसानों की उत्पादन प्रणालियों को सुदृढ़ करने के साथ-साथ आमदनी बढ़ाने के लिए उनकी उपज में विविधता लाने तथा बेहतर ढंग से विपणन (मार्केटिंग) में उनकी मदद करने के लिए आज 165 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये।

जलवायु परिवर्तन रोधी कृषि के लिए ओडिशा एकीकृत सिंचाई परियोजना को उन ग्रामीण क्षेत्रों में लागू किया जाएगा जहां बार-बार सूखा पड़ने का खतरा रहता है और जो काफी हद तक वर्षा आधारित कृषि पर ही निर्भर रहते हैं। इससे ओडिशा के 15 जिलों के लगभग 1,25,000 छोटे किसान परिवार लाभान्वित होंगे जो 1,28,000 हेक्टेयर कृषि भूमि का प्रबंधन करते हैं। यह परियोजना जलवायु परिवर्तन रोधी बीजों की विभिन्न किस्मों तथा उत्पादन तकनीकों तक छोटे किसानों की पहुंच बढ़ाकर, जलवायु परिवर्तन रोधी फसलों की ओर उऩ्हें उन्मुख कर तथा बेहतर जल प्रबंधन एवं सिंचाई परियोजनाओं तक उनकी पहुंच सुनिश्चित कर प्रतिकूल जलवायु से निपटने में उन्हें सक्षम बनाएगी।

वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में अपर सचिव श्री समीर कुमार खरे ने कहा, ‘भारत सरकार जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत अनेक मिशन कार्यान्वित कर रही है जिनके तहत जलवायु परिवर्तन से निपटने में सक्षम बेहतरीन कृषि प्रथाओं और प्रौद्योगिकियों को भी अपनाया जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के तहत टिकाऊ कृषि संबंधी लक्ष्यों की प्राप्ति की हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप सरकार से समर्थन प्राप्त इस तरह की कई पहलों में ओडिशा की परियोजना भी शामिल है।’

भारत सरकार की ओर से आर्थिक मामलों के विभाग में अपर सचिव श्री समीर कुमार खरे और ओडिशा सरकार की ओर से जल संसाधन विभाग में प्रधान सचिव श्री सुरेन्द्र कुमार तथा विश्व बैंक की ओर से कंट्री डायरेक्टर (भारत) श्री जुनैद अहमद ने उपर्युक्त ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये।

हाल के वर्षों में जलवायु में व्यापक परिवर्तन ने ओडिशा में कृषि को बुरी तरह प्रभावित किया है। ओडिशा में ज्यादातर किसान ऐसे हैं जिनके पास दो हेक्टेयर से भी कम भूमि है। यही नहीं, ओडिशा में ज्यादातर कृषि क्षेत्रों पर खराब मौसम की मार अक्सर पड़ती रहती है। वर्ष 2009 से ओडिशा में सूखा पड़ने की स्थिति गंभीर हो गई है क्योंकि पहले जहां हर पांच वर्षों में सूखा पड़ता था, वहीं अब हर दो वर्षों में ही सूखा पड़ जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (आईबीआरडी) से मिलने वाले 165 मिलियन डॉलर के ऋण के तहत छह वर्षों की मोहलत अवधि है और इसकी परिपक्वता अवधि 24 वर्ष है।

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