राष्ट्रपति चुनाव: 59 विधायकों के बूते सत्तारूढ़ दल के पास 3776 मत
देहरादून : राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में सबकुछ सत्तापक्ष और विपक्ष की रणनीति के मुताबिक हुआ तो उत्तराखंड से भाजपा के खाते में विधायकों के 3776 मत और कांग्रेस के खाते में 704 मत जाएंगे। तीन चौथाई से ज्यादा बहुमत से राज्य की सत्ता पर काबिज भाजपा जहां दो निर्दलीय विधायकों को अपने समर्थन में खड़ा करने में कामयाब रही। प्रचंड बहुमत का असर भाजपा के उत्साह पर दिखाई दिया। वहीं कांग्रेस अपने कुल विधायकों के बूते एक सांसद के बराबर वोट का जुगाड़ करने में भी कामयाब होती नहीं दिख रही है।
दोनों दल इस चुनाव में बढ़े आत्मविश्वास का प्रदर्शन करने में पीछे नहीं रहे, लेकिन बावजूद इसके क्रॉस वोटिंग की किसी संभावना पर नजर रखने में ढील नहीं दी गई।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए विधानसभा में हुए मतदान में राज्य के सभी 70 विधायकों ने अपने मत का प्रयोग किया। राष्ट्रपति के चुनाव में पार्टी की ओर से व्हिप जारी नहीं किया जाता। इस वजह से पार्टी व्हिप के उल्लंघन का मामला भी प्रभावी नहीं होता, लेकिन सत्तापक्ष भाजपा और विपक्ष कांग्रेस ने अपने-अपने मतों को सुरक्षित रखने और किसी भी सेंधमारी के प्रयास से बचाने के लिए पूरी मशक्कत की। हालांकि, ये तो मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा कि दोनों ही दल अपनी-अपनी रणनीति में किस हद तक कामयाब रहे।
भाजपा ने एनडीए के अपने प्रत्याशी रामनाथ कोविंद को अधिक मतों से जिताने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। यही वजह है कि भारी बहुमत के बावजूद भाजपा ने निर्दलीय दो विधायकों को चुनाव में अपने पाले में लाने के लिए मनुहार भी की।
इसमें पार्टी को कामयाबी मिली। राष्ट्रपति चुनाव में उत्तराखंड के विधायक के एक मत का मूल्य 64 है, जबकि सांसद के एक मत का मूल्य 708 है। भाजपा की इस कोशिश का परिणाम ये भी हुआ कि उसने अपने 57 विधायकों और दो निर्दलीय विधायकों के बल पर 3,776 मतों पर अपना दावा मजबूत कर लिया।
ये आंकड़ा पांच सांसदों के मतों के जोड़ से ज्यादा है। वहीं कांग्रेस को उसकी पृष्ठभूमि और नजदीकी रखने वाले निर्दलीय विधायकों का साथ इस चुनाव में नहीं मिला। नतीजतन पार्टी अपने 11 विधायकों के बूते एक सांसद के बराबर मतों का जुगाड़ नहीं कर सकी।
हालांकि, राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को उत्तराखंड से 72 फीसद से ज्यादा मत मिलना तकरीबन तय है। पांच लोकसभा सांसदों के 3,540 मत भी भाजपा के पास हैं।
ऐसे में राज्य में कुल 10,144 मतों में से 7,316 मत एनडीए प्रत्याशी को मिलना तकरीबन तय है। वहीं कांग्रेस के पास राज्य में तीन राज्यसभा सांसदों को मिलाकर 2,828 मतों का आंकड़ा है। हालांकि, लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों ने राज्य के बजाए दिल्ली में ही मतदान में भागीदारी की है।
यूनीक पेन से मतदान
राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान को लेकर केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग ने पूरी सावधानी बरती। इस चुनाव में मतदाता विधायक व सांसद के पास अपनी प्राथमिकता तय करते हुए मतदान करने का अधिकार है। अपनी सर्वाधिक पसंदीदा उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता के रूप में एक और उसके बाद दूसरी प्राथमिकता के रूप में दो को अंकित करने का प्रावधान है।
इस चुनाव में पहली बार चुनाव में यूनीक पेन का इस्तेमाल किया गया। मतदाता विधायकों ने यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर (यूआइएन) वाले पेन से ही मतपत्र पर अपनी प्राथमिकता अंकित की। मतदान संपन्न कराने के लिए कुल भेजे गए दस पेन में से महज एक पेन का ही इस्तेमाल किया गया।
मतदान में इस्तेमाल पेन के यूआइएन को बकायदा अंकित किया गया है। मतदान को लेकर किसी तरह की शिकायत की आशंका को खत्म करने के लिए यह कदम उठाया गया है।