उत्तर प्रदेश

डबल इंजन सरकार पूर्वजों की विरासत को भव्य रूप से सजाने का कार्य कर रही- मुख्यमंत्री

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि डबल इंजन सरकार पूर्वजों की विरासत को भव्य रूप से सजाने का कार्य कर रही है। पूर्वजों की थाती, परम्परा तथा विरासत को अक्षुण्ण बनाने वाले लोग ही, जीवन्त तथा अमर कहलाते हैं। पूर्वजों के आशीर्वाद से ही हम अपने जीवन को सफल बना पाते हैं। आज श्रृंग्वेरपुर में भगवान श्रीराम और निषादराज के मिलन को दर्शाता यह भव्य स्मारक निषादराज पार्क के रूप में देखने को मिल रहा है। यह आपके गौरव का प्रतीक बन गया है। यह महापुरुषों तथा पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का एक माध्यम है। इसने प्रयागराज के नाम को सार्थक किया है।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद प्रयागराज के श्रृंग्वेरपुर धाम में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के प्रिय सखा भगवान निषादराज गुह्य के जन्मोत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर 579 करोड़ रुपये की 181 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने प्रभु श्रीराम एवं निषादराज से सम्बन्धित कथाओं तथा एक जनपद एक उत्पाद योजना पर आधारित प्रदर्शनी का शुभारम्भ किया। भगवान श्रीराम और निषादराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर निषादराज पार्क का निरीक्षण किया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी ने निषादराज बोट सब्सिडी योजना के तहत 1,100 नाविकों को 3.20 करोड़ रुपये तथा मत्स्य सम्पदा योजना के अन्तर्गत 1,400 मत्स्य पालकों को 20 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया। किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से मत्स्य पालकों को 138 करोड़ रुपये का ऋण और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत स्वयं सहायता समूहों को अनुदान राशि का प्रतीकात्मक चेक भी प्रदान किया। मुख्यमंत्री जी ने प्रधानमंत्री आवास योजना एवं मुख्यमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को आवास की प्रतीकात्मक चाभी प्रदान की। उन्होंने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान के अन्तर्गत युवाओं को स्वीकृति पत्र प्रदान किए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी को भगवान श्रीराम के वेश में एक बालक ने शिव स्तुति सुनाई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बासन्तिक नवरात्रि की पंचमी तिथि के अवसर पर आज यहां प्रभु श्रीराम के मित्र निषादराज की पावन जयन्ती कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। हम लोग भारत की इस ऐतिहासिक भूमि पर एकत्रित हुए हैं। हजारों वर्ष पूर्व इसी धरा पर जब मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम अपने पूज्य पिता को दिये गये वचनों के अनुरूप वन के लिए प्रस्थान कर रहे थे, तो महर्षि भारद्वाज के आश्रम में जाने से पहले माँ गंगा को पार करने के लिए उन्होंने श्रृंग्वेरपुर की इस पावन धरा पर कदम रखा था। यह महर्षि श्रृंगी और माता शान्ता का स्थल माना जाता है। महर्षि श्रृंगी के बारे में मान्यता है कि उनके द्वारा महर्षि वशिष्ठ की प्रेरणा से किये गये पुत्रेष्टि यज्ञ के कारण महाराज दशरथ के घर में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि माता शान्ता को भगवान श्रीराम की बड़ी बहन के रूप में मान्यता प्राप्त है। प्रभु श्रीराम ने यहां आकर माता शान्ता को अपना परिचय दिया। प्रभु श्रीराम के बचपन के मित्र निषादराज को जब उनके आने की जानकारी प्राप्त हुई, तो उन्होंने अपने राजमहल में रुकने का आग्रह किया। भगवान श्रीराम ने कहा कि उनके पिता ने उन्हें वनवास की आज्ञा प्रदान की है, इसलिए वह वन में ही रहेंगे। निषादराज ने प्रभु श्रीराम को न केवल गंगा जी को पार करने में सहायता की, बल्कि वह उन्हें महर्षि भारद्वाज आश्रम तक लेकर गये तथा यमुना जी को पार कराकर चित्रकूट तक पहुंचाने का काम किया। मित्रता का यह अद्भुत उदाहरण है। आज इतिहास अपने आपको दोहरा रहा है। जैसी मित्रता प्रभु श्रीराम और निषादराज में थी, वैसी ही मित्रता का निर्वहन वर्तमान सरकार कर रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज यहां मत्स्य सम्पदा योजना के अन्तर्गत मत्स्य पालकों को करोड़ों रुपये की धनराशि उपलब्ध करायी गई है। मुख्यमंत्री आवास योजना तथा प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत गरीबों के मकान बन रहे हैं। दिव्यांगजन तथा निराश्रितों आदि को पेंशन की सुविधा प्राप्त हो रही है। दुनिया का कौन सा देश तथा भारत का कौन सा प्रदेश ऐसा था, जहां के लोगों ने महाकुम्भ-2025 में त्रिवेणी के पावन संगम में स्नान कर अपने जीवन को धन्य न किया हो। प्रयागराज को वैश्विक मान्यता प्राप्त हुई है। प्रयागराजवासियां को महाकुम्भ-2025 की सफलता का श्रेय तथा माँ गंगा का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है।
प्रभु श्रीराम, माँ गंगा, द्वादश माधव, महर्षि भारद्वाज और निषादराज की असीम कृपा के कारण ही महाकुम्भ सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचा। प्रयागराज को एक नई पहचान प्राप्त हुई है। महाकुम्भ ने देश और दुनिया में सनातन धर्मावलम्बियां को नई पहचान दिलायी है। देश-दुनिया के सामने मिसाल प्रस्तुत की है कि इतना बड़ा आयोजन केवल सनातन धर्मावलम्बी व राम भक्त ही कर सकते हैं। इस कार्य के लिए राष्ट्र निष्ठा की आवश्यकता होती है। जिनके मन में राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव नहीं है, वह इतना बड़ा आयोजन नहीं कर सकते हैं। प्रयागराज महाकुम्भ में जो भी आया वह यहां से अभिभूत हो कर गया। यहां 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आये।

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