‘कोविड-2019 लॉकडाउन’ के दौरान 16.01 करोड़ लाभार्थियों के बैंक खातों में 36,659 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि हस्तांतरित की गई
नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के लेखा महानियंत्रक (सीजीए) कार्यालय द्वारा कोविड-2019 लॉकडाउन के दौरान 16.01 करोड़ लाभार्थियों के बैंक खातों में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) का उपयोग करके 36,659 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि हस्तांतरित की गई है।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) यह सुनिश्चित करता है कि नकद लाभ सीधे लाभार्थी के खाते में जमा हो जाए। इससे धनराशि को अन्यत्र भेजने (लीकेज) से मुक्ति मिलती है और दक्षता बढ़ती है।
केंद्रीय योजनाओं (सीएस)/केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस)/सीएएसपी योजनाओं के तहत डीबीटी भुगतान करने के लिए सुदृढ़ डिजिटल भुगतान प्रौद्योगिकी ‘पीएफएमएस (सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली)’ का उपयोग करके उपर्युक्त नकद राशि हस्तांतरित की गई है।
मुख्य विशेषताएं :
- 36,659 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि (27,442 करोड़ रुपये [केंद्र प्रायोजित योजना सीएसएस + केन्द्रीय क्षेत्र की योजनाएं (सीएस)] + 9217 करोड़ रुपये [राज्य सरकार]) कोविड-2019 लॉकडाउन (24 मार्च 2020 से 17 अप्रैल 2020 तक) के दौरान 16.01 करोड़ लाभार्थियों (11.42 करोड़ [सीएसएस/सीएस] + 4.59 करोड़ [राज्य]) के बैंक खातों में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) का उपयोग करके हस्तांतरित की गई है।
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पैकेज के तहत घोषित नकद लाभ को भी डीबीटी डिजिटल भुगतान अवसंरचना का उपयोग करके हस्तांतरित किया जा रहा है। जन-धन खातों की महिला खाताधारकों में से प्रत्येक के खाते में 500 रुपये डाले गए। 13 अप्रैल 2020 तक महिला लाभार्थियों की कुल संख्या 19.86 करोड़ थी, जिसके परिणामस्वरूप 9,930 करोड़ रुपये का वितरण हुआ (वित्तीय सेवा विभाग के आंकड़ों के अनुसार)।
- डीबीटी भुगतान के लिए पीएफएमएस का उपयोग पिछले # 3 वित्त वर्षों में काफी बढ़ गया है; कुल वितरित डीबीटी राशि वित्त वर्ष 2018-19 के 22% से बढ़कर वित्त वर्ष 2019-20 में 45% हो गई है।
कोविड-19 अवधि (24 मार्च 2020 से 17 अप्रैल 2020 तक) के दौरान डीबीटी भुगतान करने के लिए पीएफएमएस का उपयोग करके हस्तांतरित किए गए नकद लाभों का विवरण निम्नलिखित हैं:
- कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान यानी 24 मार्च 2020 से 17 अप्रैल 2020 तक पीएफएमएस के माध्यम से सभी केंद्रीय क्षेत्र/केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत डीबीटी भुगतान 11,42,02,592 लाभार्थियों के खातों में 27,442.08 करोड़ रुपये की राशि का हुआ। यह भुगतान पीएम किसान, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी), प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) जैसी योजनाओं, राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) के जरिए विभिन्न मंत्रालयों की छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से हुआ।
- उपर्युक्त योजनाओं के अलावा पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत भी भुगतान किया गया, जन-धन खातों की महिला खाताधारकों में से प्रत्येक के खाते में 500 रुपये जमा किए गए। 13 अप्रैल 2020 तक कुल महिला लाभार्थियों की संख्या 19.86 करोड़ थी, जिसके परिणामस्वरूप 9,930 करोड़ रुपये का वितरण हुआ (वित्तीय सेवा विभाग के आंकड़ों के अनुसार)।
- कोविड-19 अवधि के दौरान कई राज्य सरकारों जैसे कि उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश और अन्य ने बैंक खातों में नकदी हस्तांतरित करने के लिए डीबीटी का इस्तेमाल किया है। 180 कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से राज्य सरकारों ने पीएफएमएस का उपयोग कर 24 मार्च 2020 से 17 अप्रैल 2020 तक 4,59,03,908 लाभार्थियों को 9,217.22 करोड़ रुपये की राशि वितरित की है। शीर्ष 10 केंद्र प्रायोजित योजनाओं/केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए डीबीटी भुगतान का सार:
योजना | अवधि : [24 मार्च 2020 से
17 अप्रैल 2020 तक] |
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लाभार्थियों की संख्या | राशि (करोड़ रुपये में) |
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान)-[3624] | 8,43,79,326 | 17,733.53 |
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण गारंटी कार्यक्रम -[9219] | 1,55,68,886 | 5,406.09 |
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (आईजीएनओएपीएस) -[3163] | 93,16,712 | 999.49 |
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना (आईजीएनडब्ल्यूपीएस) -[3167] | 12,37,925 | 158.59 |
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन -[9156] | 10,98,128 | 280.80 |
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना -[3534] | 7,58,153 | 209.47 |
अल्पसंख्यकों के लिए मैट्रिक पूर्व छात्रवृत्ति -[9253] | 5,72,902 | 159.86 |
एनएफएसए के तहत खाद्यान्न की विकेन्द्रीकृत खरीद के लिए खाद्य सब्सिडी -[9533] | 2,91,250 | 19.18 |
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांगता पेंशन योजना (आईजीएनडीपीएस) -[3169] | 2,39,707 | 26.95 |
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) -[9182] | 2,23,987 | 30.55 |
*कुल 11,42,02,592 लाभार्थी/ धनराशि : 27,442.08 करोड़ रुपये [जैसा कि उपर्युक्त पैरा (i) में है]
राज्य सरकारों की शीर्ष 10 योजनाओं के तहत डीबीटी भुगतान का सार:
राज्य | योजना | अवधि : [24 मार्च 2020 से
17 अप्रैल 2020 तक] |
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लाभार्थियों की संख्या | धनराशि (करोड़ रुपये में) |
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बिहार | डीबीटी- शिक्षा विभाग -[बीआर 147] | 1,52,70,541 | 1,884.66 | |
बिहार | कोरोना सहायता -[बीआर 142] | 86,95,974 | 869.60 | |
उत्तर प्रदेश . | वृद्धावस्था/किसान पेंशन योजना-[9529] | 53,24,855 | 707.91 | |
उत्तर प्रदेश . | यूपी-राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना (3167)-[यूपी 10] | 26,76,212 | 272.14 | |
बिहार | मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना -[बीआर 134] | 18,17,100 | 199.73 | |
उत्तर प्रदेश . | कुष्ठावस्था विकलांग भरण पोषण अनुदान-[9763] | 10,78,514 | 112.14 | |
बिहार | बिहार राज्य विकलांगता पेंशन योजना -[बीआर 99] | 10,37,577 | 98.39 | |
असम | एएस – राज्य अंशदान से वृद्धावस्था पेंशन – (ओएपीएफएससी)-[एएस 103] | 9,86,491 | 28.88 | |
बिहार | मुख्यमंत्री विशेष सहायता -[बीआर 166] | 9,81,879 | 98.19 | |
दिल्ली | वरिष्ठ नागरिकों को दिल्ली वित्तीय सहायता -[2239] | 9,27,101 | 433.61 |
*कुल 4,59,03,908 लाभार्थी/ धनराशि : 9217.22 करोड़ रुपये [जैसा कि उपर्युक्त पैरा (iii) में है]
पिछले तीन वर्षों के दौरान पीएफएमएस का उपयोग कर डीबीटी भुगतान में वृद्धि :
डीबीटी भुगतान के लिए पीएफएमएस का उपयोग पिछले # 3 वित्त वर्षों में बढ़ा है। लेन-देन की संख्या वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान बढ़कर 11% हो गई (वित्त वर्ष 2017-18 की तुलना में) और वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़कर 48% हो गई। कुल वितरित डीबीटी राशि वित्त वर्ष 2018-19 के 22% से बढ़कर वित्त वर्ष 2019-20 में 45% हो गई।
पृष्ठभूमि:
वित्त मंत्रालय (एमओएफ), भारत सरकार ने डीबीटी के तहत भुगतान, लेखांकन एवं रिपोर्टिंग के लिए लेखा महानियंत्रक (सीजीए) कार्यालय की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के अनिवार्य उपयोग का निर्णय लिया और सभी कार्यान्वयनकारी मंत्रालयों/विभागों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश (दिसंबर 2014) दिया कि डीबीटी योजनाओं के तहत 1 अप्रैल 2015 से किसी भी भुगतान की तब तक प्रोसेसिंग नहीं की जाए जब तक कि पीएफएमएस के माध्यम से इस तरह के भुगतान के लिए इलेक्ट्रॉनिक भुगतान फाइलें प्राप्त न हो जाएं। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) दरअसल भारत सरकार द्वारा आधुनिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का उपयोग करके मौजूदा बोझिल वितरण प्रक्रियाओं को फिर से सुव्यवस्थित करने के लिए शुरू की गई एक व्यापक सुधार पहल है, जिसका उद्देश्य सटीक लक्षित लाभार्थियों के बैंक/डाक खातों, जो मुख्यत: ‘आधार’ से जुड़े हों, में सरकार से प्राप्त लाभ को हस्तांतरित करना है।
पीएफएमएस में डीबीटी की भुगतान व्यवस्था
पीएफएमएस लाभार्थी डेटा में लाभार्थी प्रबंधन को इन दोनों मोड में से किसी के भी माध्यम से पीएफएमएस में दर्ज किया जा सकता है, अर्थात
- पीएफएमएस यूजर इंटरफेस से एक्सल अपलोड के जरिए; और/या
- एकीकृत बाह्य प्रणाली/लाइन ऑफ बिजनेस (एलओबी) एप्लिकेशन के सिक्योर फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एसएफटीपी) सर्वर के माध्यम से
- पीएफएमएस बैंक खातों/डाक खातों का पूर्व-सत्यापन और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के आधार मैपर पर आधार नंबर का सत्यापन भी करती है।
डीबीटी में योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए लाभार्थियों को नकद हस्तांतरण के साथ-साथ सरकारी योजनाओं के विभिन्न पात्र व्यक्तियों जैसे कि सामुदायिक कामगारों, इत्यादि को दिए गए मानदेय का हस्तांतरण भी शामिल हैं।
मंत्रालयों/विभागों से नकद लाभों का हस्तांतरण पीएफएमएस के जरिए किया जाता है:
- ए) मंत्रालयों/विभागों से सीधे लाभार्थियों को;
- बी) राज्य कोषागार (ट्रेजरी) खाते के माध्यम से; या
- सी) केंद्र/राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त किसी भी कार्यान्वयन एजेंसी के माध्यम से।
डीबीटी के लाभ:
डीबीटी का उद्देश्य निम्नलिखित को (केयर के माध्यम से) प्राप्त करना है:
1. रकम अन्यत्र भेजने और दोहराव पर अंकुश लगाना
2. लाभार्थी को सटीक ढंग से लक्षित करना
3. , भुगतान में होने वाली देरी को कम करना, और
4. लाभ का इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण, लाभ प्रवाह में शामिल स्तरों को न्यूनतम करना।