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साक्षरता बढ़ाना : भारत ने डिजिटल साक्षरता सहित विशेष क्षेत्र में सभी के लिए व्यापक कौशल को अपनाया

देश में साक्षरता के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रगतिशील कदम उठाते हुए, सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने भारत के अनुरूप साक्षरता के एक परिष्कृत और व्यापक विवरण की जानकारी दी है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप है और इसका उद्देश्य उल्लास – नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत सभी राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में पूर्ण साक्षरता प्राप्त करने में तेजी लाना है। यह एसडीजी 4.6 में भी सहयोग करता है, जो यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि सभी युवा और वयस्कों का पर्याप्त अनुपात, पुरुष और महिला दोनों 2030 तक साक्षरता और संख्यात्मक कौशल हासिल कर लें।

शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने 06.02.2024 को नई दिल्ली में उल्लास मेले में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि उल्लास योजना विकसित भारत की नींव रखती है और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की कल्‍पना के अनुसार इसे साकार करने में साक्षरता की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में वयस्क शिक्षा की बात करते हुए पैरा 21.4 में उल्लेख किया गया है:

‘वयस्क शिक्षा के लिए मजबूत और नवीन सरकारी पहल – विशेष रूप सेसामुदायिक भागीदारी और प्रौद्योगिकी के सहज और लाभकारी एकीकरण को सुविधाजनक बनाने के लिए – 100 प्रतिशत साक्षरता हासिल करने के इस महत्वपूर्ण लक्ष्य में तेजी लाने के लिए जल्‍द से जल्‍द पूरा करने पर प्रभाव डालेगी। यह साक्षरता दर और प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के बीच संबंध को रेखांकित करता है, तथा जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे वित्तीय लेनदेन, नौकरी के लिए आवेदन, मीडिया और प्रौद्योगिकी की समझ, अधिकारों की समझ और उच्च उत्पादकता वाले क्षेत्रों में भागीदारी में गैर-साक्षर व्यक्तियों द्वारा सामना किए जाने वाले नुकसानों को उजागर करता है।

इसके मद्देनजर, विभाग ने साक्षरता की एक स्पष्ट और समावेशी परिभाषा स्थापित करने की आवश्यकता को पहचाना है जो बुनियादी पढ़ने और लिखने के कौशल से परे है। साक्षरता को अब इस प्रकार परिभाषित किया जाएगा, पढ़नेलिखने और समझ के साथ गणना करने की क्षमतायानी पहचान करनेसमझनेव्याख्या करने और बनाने की क्षमतासाथ ही डिजिटल साक्षरतावित्तीय साक्षरता आदि जैसे महत्वपूर्ण जीवन कौशल आद‍ि।” यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति समाज में पूरी तरह से शामिल होने और योगदान देने के लिए तैयार हैं। विभाग ने भारतीय संदर्भ में 100 प्रतिशत या पूर्ण साक्षरता के लिए एक बेंचमार्क भी निर्धारित किया है, किसी राज्य/केन्‍द्र शासित प्रदेश में पचानवे प्रतिशत साक्षरता (95 प्रतिशतहासिल करना पूरी तरह से साक्षर होने के बराबर माना जा सकता है।” इस उन्नत परिभाषा को अन्य विशेषज्ञों के अलावा एनसीईआरटी और यूनेस्‍को के विशेषज्ञों को शामिल करते हुए एक सहयोगी प्रक्रिया के माध्यम से विकसित किया गया था। वरिष्ठ शैक्षिक सलाहकारों की अध्यक्षता में हाल ही में हुई एक बैठक के दौरान बनी आम सहमति साक्षरता ढांचे की आवश्यकता को रेखांकित करती है जो भारत के अद्वितीय सामाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्य में दृढ़ता से निहित होने के साथ-साथ वैश्विक मानकों को पूरा करती है।

इस परिभाषा की शुरूआत भारत की पूर्ण साक्षरता की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह सरकार की इस प्रतिबद्धता को पुष्ट करता है कि प्रत्येक नागरिक को वित्तीय और डिजिटल साक्षरता तथा महत्वपूर्ण जीवन कौशल के साथ-साथ व्यक्तिगत और सामाजिक उन्नति के लिए आवश्यक बुनियादी कौशल प्राप्त करने का अवसर मिले। हाल ही में उल्‍लास योजना के तहत केन्‍द्र शासित प्रदेश लद्दाख में 97 प्रतिशत से अधिक साक्षरता की उपलब्धि इन प्रयासों की प्रभावशीलता को और अधिक प्रदर्शित करती है तथा दूसरों के लिए अनुकरणीय मानदंड स्थापित करती है।

भारत सरकार सभी हितधारकों से साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए अपने प्रयासों को नवीनीकृत करने और एक पूर्ण साक्षर राष्ट्र प्राप्त करने के साझा लक्ष्य की दिशा में सहयोगात्मक रूप से काम करने का आह्वान करती है। यह पहल एनईपी 2020 में उल्लिखित दृष्टिकोण को पूरा करने और यह सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण कदम है कि भारत 2030 तक उल्‍लास के साथ पूर्ण साक्षरता तक पहुँचने की दिशा में आगे बढ़ता रहे, जिससे जन जन साक्षर बने।

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