भीख मांग रहे Ex-आर्मी मैन के लिए गौतम गंभीर ने मांगी मदद, रक्षा मंत्रालय ने दिया भरोसा
नई दिल्ली: टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाज गौतम गंभीर भारतीयसेना के लिए बहुत बड़ा दिल रखते हैं। इंडियन आर्मी के लिए दिल में विशेष जगह रखनेवाले भारत के पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर इस बार एक पूर्व जवान की मदद के लिए आगे आए हैं। गंभीर की वजह से अब उस शख्स को आर्मी से मदद मिल सकती है जो काफी वक्त से अटकी हुई थी।
दरअसल, गौतम गंभीर ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से रक्षा मंत्रालय को टैग करते हुए एक शख्स की फोटो ट्वीट की और बताया कि वह पूर्व जवान हैं। जो मदद न मिलने के चलते भीख मांगने के लिए मजबूर हैं। इस ट्वीट के बाद रक्षा मंत्रालय ने शख्स की मदद का भरोसा दिया है।
वहीं, रक्षा मंत्रालय ने यकीन दिलाया कि जल्द ही समुचित कदम उठाया जाएगा। रक्षा प्रवक्ता ने ट्वीट किया, ‘हम आपकी ओर से जाहिर की गई चिंता समझते हैं और यकीन दिलाते हैं कि शीघ्र और पूरा जवाब दिया जाएगा।’
Thanks @adgpi for explaining in detail how they have taken care of Mr Peethabaran. From his hip replacement surgery to a monthly grant from Rajya Sainik Board, they have assisted him like their own. Grateful. Thanks @DefenceMinIndia @SpokespersonMoD pic.twitter.com/SVG8w1FMjM
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) February 2, 2019
गंभीर द्वारा पोस्ट की गई तस्वीरों में शख्स एक बैनर लिए खड़ा है। जिसपर लिखा है कि उन्होंने 1965, 1971 की लड़ाई में हिस्सा लिया था। नीचे यह भी लिखा है कि उनका हाल में ऐक्सिडेंट हो गया था और उसके लिए पैसों की जरूरत है।
सेना के प्रति प्यार और समर्पण का ही भाव है कि गंभीर आज 25 शहीदों के बच्चों का पूरा खर्च उठा रहे। इस बात का खुलासा उन्होंने ब्रेकफास्ट विथ चैंपियंस नाम के एक टॉक शो में किया था। इतना ही नहीं वह सेना की नौकरी करना चाहते थे मगर अपनी मां के कहने पर प्रोफेशनल क्रिकेटरर बन गए। गौतम गंभीर बताते हैं कि, उनके अंदर देश सेवा करने का जूनून था। 12वीं क्लास की पढ़ाई पूरी करने के बाद गंभीर ने मन बनाया कि वह आर्मी ज्वाइन करें।
हालांकि दूसरी तरफ वह क्रिकेट मैदान पर भी अपना जलवा दिखा रहे थे। रणजी मैचों में उनके बल्ले से खूब रन निकले। ऐसे में उनकी मां ने कहा कि जब उनका क्रिकेट करियर सही दिशा में जा रहा तो इसे क्यों छोड़ रहे। गंभीर को अपनी मां की यह बात रास आई और उन्होंने फिर क्रिकेट पर ही पूरा ध्यान लगाया। उस वक्त इंडिया ए वगैरह ज्यादा नहीं खेली जाती थी। ऐसे में पहले अंडर-19, फिर रणजी के बाद सीधे टीम इंडिया में इंट्री मिल जाती थी।