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विद्युत मंत्रालय देश में ऑक्सीजन संयंत्रों को 24×7 बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठा रहा

कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर का असर देशभर में होने से चिकित्सा जरूरतों और घर में इलाज करा रहे कोरोना रोगियों के उपचार के लिए ऑक्सीजन की मांग में कई गुना वृद्धि हुई है। इसको देखते हुए विद्युत मंत्रालय ने राज्यों के इस्तेमाल में आने वाले ऑक्सीजन संयंत्रों को निर्बाध बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कई ठोस और सुधारात्मक उपाय किए हैं। विद्युत मंत्रालय देश भर में 73 प्रमुख चिन्हित ऑक्सीजन संयंत्रों को बिजली आपूर्ति की निगरानी कर रहा है, जिसमें से 13 ऑक्सीजन संयंत्र एनसीआर क्षेत्र में ऑक्सीजन की आपूर्ति करते हैं। मंत्रालय द्वारा जो कदम उठाए गए वे हैं:

  1. विद्युत सचिव द्वारा दैनिक समीक्षा: सभी ऑक्सजीन संयंत्रों को बिजली आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा विद्युत मंत्रालय के सचिव, राज्यों के संबंधित ऊर्जा सचिवों और पोस्को के सीएमडी द्वारा मिलकर प्रतिदन मामले के आधार पर किया जा रहा है। ऑक्सीजन संयंत्रों को 24×7 बिजली की आपूर्ति से संबंधित सभी मुद्दों पर दैनिक समीक्षा के दौरान चर्चा की जाती है और पोस्को और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा सहायता प्राप्त राज्य डिस्कॉम के माध्यम से समयबद्ध तरीके से सुधार की योजना बनाई जाती है और इसे क्रियान्वित किया जाता है।
  2. चौबीसों घंटे (आरटीसी) ऑपरेशन रूम का संचालन: सुधारात्मक रणनीति के एक भाग के रूप में, आरईसी लिमिटेड में एक 24 घंटे ऑक्सीजन प्लांट कंट्रोल रूम (ओपीसीआर) और एक आंतरिक नियंत्रण समूह (आईसीजी) की स्थापना की गई है, जिसे इन प्लांट्स को 24X7 बिजली आपूर्ति के लिए ऑक्सीजन प्लान के नोडल अधिकारियों के साथ संपर्क बनाए रखने का काम सौंपा गया है। बिजली आपूर्ति में कहीं रुकावट आने पर तत्काल समाधान के लिए डिस्कॉम और इलेक्ट्रिक इंस्टॉलेशन साइड द्वारा मिलकर कदम उठाया जा रहा है। राज्यों (एसटीयू एंड डिस्कॉम), एसएलडीसी और पावरग्रिड के साथ पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन (पोस्को) द्वारा विद्युत आपूर्ति में रुकावट आने पर उसका तत्काल विश्लेषण किया जाता है और उसके समाधान के लिए सलाह जारी किए जाते हैं।
  3. विद्युत आपूर्ति 24×7 सुनिश्चित करने के लिए सुधारात्मक कदम: ऑक्सीजन संयंत्रों को विद्युत आपूर्ति निर्वाध रूप सुनिश्चित करने के लिए राज्यों को सभी प्रिवेन्टिव कदम उठाने की सलाह जारी की गई है। इसमें अतिरिक्त पावर का निर्माण और ऑक्सीजन संयंत्रों को बिजली की आपूर्ति करने वाले फीडरों का आइसोलेशन शामिल है। सुधारात्मक उपायों में से कुछ में बरोटीवाला संयंत्र (हिमाचल प्रदेश) और केरल मिनरल और मेटल प्लांट (केरल) में रिले को रीसेट करना शामिल है; और बर्ड फॉल्ट की संभावना वाले सेलक्वी (उत्तराखंड) में ऑक्सीजन प्लांट के लिए 132केवी भूमिगत केबल बिछाना शामिल है।
  4. विद्युत आपूर्ति की तकनीकी ऑडिट और सुधारात्मक उपायों का सक्रिय कार्यान्वयन: 
  • पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्पोरेशन (पोस्को) को विशेष रूप से एनसीआर में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले प्रत्येक ऑक्सीजन संयंत्रों की बिजली आपूर्ति की तकनीकी ऑडिट करने का काम सौंपा गया है। ऑडिट में बिजली आपूर्ति की श्रेणी, बिजली आपूर्ति के स्रोत का आकलन करना, वैकल्पिक व्यवस्था की उपलब्धता, रिले सेटिंग्स आदि शामिल हैं। ऑडिट रिपोर्ट में छोटी और लंबी अवधि के उपायों के साथ-साथ बिजली की आपूर्ति में सुधार हैं। अब तक, दिल्ली और एनसीआर में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले 13 संयंत्रों का ऑडिट किया गया है।
  • तकनीकी ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर, विद्युत मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केरल, हरियाणा, झारखंड और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों को पत्र लिखा है, जिसमें उन कदमों को उठाने के बारे में बताया गया है जिससे संबंधित राज्यों में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा डीवीसी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सब-स्टेशनों का रखरखाव करने के लिए पत्र लिखा गया है जो ऑक्सीजन संयंत्रों को बिजली की आपूर्ति कर रहे हैं।
  • इसके अलावा, अतिरिक्त 20 संयंत्रों का ऑडिट किया गया है और तत्काल जरूरी कार्रवाई के लिए संबंधित राज्य सरकारों के साथ तकनीकी ऑडिट रिपोर्ट साझा किए जा रहे हैं। बाकी संयंत्रों की तकनीकी ऑडिट रिपोर्ट अगले 7 दिनों में पूरी होने की संभावना है।
  • मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए इनपुट के आधार पर राज्य सरकारों द्वारा शुरू की गई कार्रवाइयों के साथ विद्युत मंत्रालय के सक्रिय और समग्र दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि बिजली की आपूर्ति में कम से कम ट्रिपिंग हो जिससे ऑक्सजीन संयंत्रों में बिजली की निर्वाध आपूर्ति जारी रहे। यह रणनीति ऑक्सीजन प्लांट को अपनी पूरी क्षमता से ऑक्सीजन का उत्पादन करने में मदद करेंगे क्योंकि बिजली की आपूर्ति बाधित नहीं होने से उत्पाद में कोई रुकावट नहीं आएगी। इससे प्लांट के मूल्यवान घंटे खराब होने से बच जाएंगे।

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