पर्यटन

फिलहाल केदारनाथ के लिए उड़ान नहीं भरेंगे हेलीकॉप्टर …………

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: केदारघाटी में हेलीकॉप्टरों की अत्यधिक आवाजाही से वन्यजीवों और पर्यावरण पर प्रभाव को लेकर केदारनाथ के लिए हेली सेवा पर फिलहाल असमंजस है। राज्य सरकार ने यात्रा सीजन के दौरान हेली सेवा प्रदान करने के लिए 14 कंपनियों का चयन कर महानिदेशक नागरिक उड्डयन कार्यालय को सूची भेजी थी। सूत्रों की मानें तो मानक पूरे नहीं करने के चलते इन कंपनियों को उड़ान की अनुमति नहीं दी गई है। हालांकि, राज्य सरकार अभी इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं कर रही है।

केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए यात्रियों को फाटा और गुप्तकाशी से हेलीकॉप्टर सेवा मुहैया कराई जाती है। इसके लिए राज्य सरकार हेली सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों का चयन करती है। इस साल के लिए आवेदन करने वाली 17 कंपनियों में से 14 का चयन कर राज्य सरकार ने अप्रुवल के लिए कंपनियों की सूची महानिदेशक नागरिक उड्डयन कार्यालय (डीजीसीए) को भेजी थी।

केदारनाथ धाम के कपाट खुल गए हैं और अभी तक इन कंपनियों को उड़ान की अनुमति नहीं मिल पाई है। बताया जा रहा है कि इन कंपनियों के पास उपलब्ध हेलीकॉप्टर निर्धारित ध्वनि क्षमता 50 डेसीबल से ज्यादा ध्वनि उत्सर्जित करते हैं। इसके साथ ही उड़ान की ऊंचाई के मानकों को लेकर भी कंपनियों की शिकायतें डीजीसीए को मिलती रही हैं। इसके चलते इन कंपनियों को अनुमति प्रदान नहीं की गई है।

हाल ही में भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) ने वन विभाग को आगाह किया था कि केदारघाटी में अत्यधिक उड़ाने वन्यजीवों पर प्रतिकूल असर डाल सकती हैं। अध्ययन रिपोर्ट में वन्यजीवों की स्वच्छंदता के लिए विभाग को विभिन्न संस्तुति भी जारी की थी।

वहीं, हेलीकॉप्टर की गड़ड़ाहट से जानवरों में तनाव की स्थिति पर भी संस्थान अध्ययन कर रहा है।

संस्थान ने विभाग को सुझाव दिए थे कि केदारघाटी में हेलीकॉप्टरों की उड़ान नियंत्रित की जाएं। हेलीकॉप्टर की उड़ान में ऊंचाई के मानकों का कड़ाई से पालन हो। ऐसी व्यवस्था की जाए कि केदारनाथ पहुंचने वाले लाखों यात्रियों के चलते वन्यजीवन प्रभावित न हो। माना जा रहा है कि अनुमति नहीं मिलने के पीछे एक कारण यह भी हो सकता है।

उधर, राज्य सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि अभी तक अनुमति नहीं मिलने की अधिकारिक जानकारी नहीं मिली है। हालांकि, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का काम केवल डीजीसीए को कंपनियों का चयन कर सूची भेजने तक का था। अगर डीजीसीए अनुमति नहीं देगा तो उड़ान नहीं भरी जाएंगी।

 

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