उत्तराखंड विकास खण्ड

राज्यपाल ने नैनी झील के गिरते जल स्तर के कारण और निवारण विषय पर बुलाया सेमिनार

नैनीताल झील के गिरते जल स्तर पर लगातार चिंता जताने तथा नैनीताल प्रशासन से संज्ञान लेने के बाद झील संरक्षण की दिशा में राज्यपाल डाॅ कृष्ण कांत पाल ने एक और अहम कदम आज उठाया। राज्यपाल ने राजभवन में पर्यावरण विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों का एक सेमिनार बुलाया।

राज्यपाल ने नैनीताल झील को पयर्टन व राजस्व का मुख्य स्त्रोत बताते हुए सभी विशेषज्ञों व प्रशासनिक अधिकारियों से इसके जल स्तर को बढ़ाने व नैनीताल में पानी की समस्या का निदान करने के लिए सुझाव आमंत्रित किये।

झील की स्थिति में सुधार लाने के लिए विशेषज्ञों ने कई सुझाव दिये। सभी ने एकमत से स्वीकारा कि मुख्य रूप से नैनीताल झील में जो भूमिगत जल स्त्रोतों से पानी का रिसाव झील में होता है वह स्त्रोत नैनीताल में होने वाले निर्माण कार्याे के कारण दब गये हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि इन वाटर सिर्सोसेज को पुनर्जीवित किया जाना होगा। क्षेत्र में निर्माण कार्यो में प्रयोग होने वाले सीमेंट से ये स्त्रोत बंद होते हैं। नैनीताल में ट्रैफिक के दबाव, ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव, सर्दी के मौसम में होने वाली वर्षा की मात्रा में कमी आना, समय समय पर आने वाले भुकम्प व लैण्ड स्लाइड भी झील के प्राकृति स्त्रोतों को बंद कर रहे हैं। जिस कारण झील के जल स्तर में कमी आ रही है। विशेषज्ञों ने कहा कि शहर की आबादी पयर्टकों का दबाव बढ़ने के कारण झील से पहले की अपेक्षा अधिक मात्रा में जल पम्पिंग के जरिये निकाला जा रहा है जबकि उस अनुपात में पानी झील में पहुँच नहीं पा रहा जिस कारण झील का जल स्तर कम हो रहा है।

झील का जल स्तर सुधारने के लिए विशेषज्ञों ने वर्षा जल को नागरिकों द्वारा सीवेज में बहाने के बजाय झील में पहुँचाए जाने की व्यवस्था किये जाने की जरूरत बतायी। राज्यपाल ने वर्षा जल संरक्षण की मुहिम को जन-जन तक पहुँचाने तथा इसके लिए लोगों को उत्साहित किये जाने का काम स्थानीय प्रशासन को सौंपा।

वैज्ञानिकों ने सुझाव देते हुए कहा कि शहर में यातायात को नियंत्रित किया जाये, स्थानीय नागरिकों के लिए प्रति व्यक्ति जल उपभोग की सीमा निर्धारित कर जल की रेशनिंग की जाये, पूरे शहर में किसी भी कारणोें से हो रही पानी लीकेज को तुरंत बंद करने, वर्षा जल को संरक्षण करने तथा इसके लिए लोगों के प्रोत्साहित किये जाने के सुझाव राज्यपाल को दिये। विशेषज्ञों ने झीलों के जल संवर्धन व संरक्षण हेतु राज्य में सरोवर विज्ञान विभाग आवश्यकता सामुहिक रूप से जतायी।

राज्यपाल ने अधिकारियों से कहा कि वर्षा जल संरक्षण करने वाले नागरिकों, होटल संचालकों आदि को पुरस्कृत किए जाने की योजना बनाई जाये ताकि लोग जल संरक्षण के लिए प्रेरित हों। राज्यपाल ने कमिश्नर कुमाऊं मंडल श्री भट्ट की अध्यक्षता में झील निगरानी समिति का गठन किये जाने की भी बात कही।

इस अवसर पर कुमाऊँ कमिश्नर चन्द्रशेखर भट्ट, सचिव राज्यपाल रविनाथ रमन, झील विकास प्राधीकरण के अध्यक्ष इन्दु कुमार पाण्डे, उत्तराखण्ड स्टेट काॅउंसिल फाॅर सांइस एण्ड टैक्नोलाॅजी(न्ब्व्ैज्) के महानिदेशक राजेन्द्र डोभाल, नैनीताल के जिलाधिकारी दीपेन्द्र चैधरी सहित वाडिया इंस्टीट्यूट, नैशनल इंस्टीट्यूट आॅफ इाइड्रोलाॅजी रूड़की, एस.डी.एफ, इण्डियन इंस्टीट्यूट आॅफ वाटर हार्वेस्टिंग एण्ड कंजर्वेशन, इंडियन रिमोट संेंसिंग आदि संस्थानों के वैज्ञानिक तथा नैनीताल के वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह उपस्थित थे।

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