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सड़कों पर ट्रैफिक जाम के साथ-साथ हादसों को रोकना बड़ी चुनौती

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक जाम के साथ-साथ सड़क हादसों को रोकना भी बड़ी चुनौती है। मौजूदा समय में वाहनों के लिए कारगर लेन व्यवस्था नहीं है। अब यदि बस और मालवाहक वाहनों के लिए कुछ अलग से व्यवस्था की जा रही है तो यह ठीक है, बशर्ते योजना पर पहले स्टडी की गई हो। स्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर ने एक अध्ययन किया था जिसमें यह पाया गया था कि बसों को ओवरटेक करके दूसरे वाहन लेन बदलते हैं। या बसें भी दूसरे वाहनों से आगे निकलने के लिए लेन बदलती हैं तो इस वजह से ही सड़क हादसे अधिक होते हैं।

अध्ययन में पाया गया है कि दिल्ली में सभी हादसे बसों या दूसरे वाहनों के लेन बदलने के कारण ही हुए हैं। इसलिए बसों व मालवाहक वाहनों के लिए लेन व्यवस्था लागू करने की योजना सही है। इससे वाहन लेन बदलने से बच सकेंगे। निश्चित ही सड़क हादसों को रोकने में मदद मिलेगी। बसों के लिए अलग लेने होने से सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन इसे उन्हीं सड़कों पर लागू किया जाना चाहिए जहां यह संभव हो।

इसलिए योजना को लागू कर वाहनों का चालान करने से पहले एक-दो सड़कों पर ट्रायल के रूप में इसे शुरू किया जाना चाहिए और यह देखा जाना चाहिए कि यह योजना कितनी कारगर साबित होती है। कम से कम तीन से चार लेन (एक तरफ) की सड़कों पर ही इसे लागू किया जाना चाहिए। कम चौड़ी सड़क पर दिल्ली में यह व्यवस्था सफल नहीं हो पाएगी। बस चालकों को जागरूक व प्रशिक्षित भी करना पड़ेगा।

अभी पहले चरण में बस और मालवाहक वाहनों के लिए 15 कारिडोर चिह्नित किए गए हैं। लेकिन दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या सड़कों पर वाहनों का दबाव है। मौजूदा समय में दिल्ली में करीब एक करोड़ 22 लाख 53 हजार वाहन हैं। इस वजह से सड़कों पर वाहनों की रफ्तार कम हो गई है। बसों व मालवाहक वाहनों के लिए अलग लेन की सुविधा शुरू किए जाने पर सुबह आठ बजे से रात दस बजे तक इस लेन में दूसरे वाहन नहीं चल सकेंगे। शुरू करने से पहले यह परखना जरूरी है कि क्या दो लेन की सड़क पर नई व्यवस्था के साथ सभी वाहनों का परिचालन संभव हो पाएगा? बीआरटी का प्रयोग पहले इसलिए असफल हुआ था क्योंकि रेड लाइट पर जहां चारों तरफ से वाहनों का आवागमन होता है वहां जाम की समस्या अधिक हुई।

लेन सिस्टम लागू होने पर यह सवाल फिर सामने आएगा कि रेड लाइट व मोड के नजदीक कैसी व्यवस्था होगी। क्योंकि रेड लाइट पर पहुंच कर वाहन दाएं, कुछ वाहन बाएं और कुछ वाहन सीधे जाएंगे। इसलिए हर रेड लाइट व मोड पर दिशा सूचक बोर्ड की बेहतर व्यवस्था करनी होगी। यह भी ध्यान देना होगा कि किसी चौराहे या मोड के नजदीक बस स्टाप न हो। मोड के नजदीक बस स्टाप होने से जाम की समस्या हो सकती है। यह देखा गया है कि बसें यदि एक लेन में चलें तो कई बार एक के बाद एक कई बसों की कतार लग जाती है। बस स्टाप के पास ना रुक कर कुछ दूरी पर आगे या पीछे रुकती हैं। इससे भी जाम की समस्या उत्पन्न होती है।

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