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ट्रायफेड, जनजातीय कार्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय द्वारा दिल्ली हाट में ट्राइब्स इंडिया आदि महोत्सव में राजनयिक दिवस का आयोजन

प्रधानमंत्री के वोकल के लिए लोकल और आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना की दिशा में तथा अंतर्राष्ट्रीय वर्ग को भारत की समृद्ध जनजातीय विरासत से परिचित कराने के लिए भारत सरकार के विदेश मामलों के मंत्रालय की सहभागिता में कल ट्राइब्स इंडिया आदि महोत्सव में ट्राइब्स इंडिया कॉन्क्लेव आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में भारत में 30 से अधिक विदेशी दूतावासों के 120 से ज्यादा राजनयिक उपस्थित रहे। इसके अलावा विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी आदि महोत्सव का भ्रमण किया। आयोजन में पहुंचे विशिष्ट अतिथियों में ताइपे, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, म्यांमार, मलेशिया, बोलिविया, जांबिया, फिनलैंड, पोलैंड, ब्राज़ील, मिस्त्र, कोस्टा रिका कंबोडिया, केन्या, माल्टा, फिलीपींस, लाओस, ट्यूनीशिया, क्रोएशिया, टोगो, अफगानिस्तान, अमेरिका, घाना, तुर्की, उजबेकिस्तान, यूनाइटेड किंगडम, ईरान, फ्रांस जैसे देशों के राजनयिक शामिल थे। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी आयोजन में शामिल हुए।

विशिष्ट जनों ने देश भर के जनजातीय कारीगरों के स्टॉल्स का भ्रमण किया और और अनोखे हस्तशिल्प और परंपराओं को जानने के प्रति उत्सुकता व्यक्त की। इस आयोजन में 200 स्टाल्स में परंपरागत बुनकर उत्पाद से लेकर आभूषण और चित्रकला सामग्री तथा खिलौने प्रदर्शित किए गए हैं जहां आमंत्रित विशिष्ट जनों को जनजातीय कला और शिल्प की झलक देखने को मिली। इसके अतिरिक्त कलाकारों और कारीगरों द्वारा लॉन्गपी मिट्टी के बर्तन बनाने, लाख की चूड़ियां तैयार करने और गोंड चित्रकला का जीवंत प्रदर्शन भी किया गया। जनजातीय कलाकारों ने आयोजन में कठपुतली का खेल भी प्रदर्शित किया।

ट्रायफेड के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्ण ने विशिष्ट जनों के सामने संक्षिप्त जानकारी देते हुए कहा, “यहां एक स्थान पर लघु जनजातीय भारत मौजूद है जहां आप सर्वश्रेष्ठ जनजातीय हस्तशिल्प और सामग्री खरीद सकते हैं। साथ ही जनजातीय व्यंजनों तथा संस्कृति को अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में देख सकते हैं। ट्रायफेड इन आदिवासी कलाकारों और वनों पर आश्रित लोगों को मुख्यधारा में लाने तथा व्यापक बाजार तक पहुंच उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रहा है। वर्ष के दौरान इस तरह के 500 आयोजन किए जाते हैं जिनमें से कुछ लघु स्तर पर होते हैं।”

आमंत्रित विशिष्ट जनों को जनजातीय कारीगरों तथा वनों पर आश्रितों के संबंध में और विस्तार से जानकारी दी गई तथा जनजातीय कला परंपराओं और आदिवासियों को सशक्त करने तथा मुख्य धारा में लाने की ट्रायफेड की पहल के संबंध में जानकारी प्रदान की गई। इस सत्र के बाद दोपहर के भोज में अतिथियों के लिए कुछ बेहद स्वादिष्ट आदिवासी व्यंजन परोसे गए जैसे कि जम्मू और कश्मीर का मटन सीख कबाब, ओडिशा का फिश पकोड़ा, जम्मू और कश्मीर का चमन पनीर, राजस्थान के बेसन की गट्टे की सब्जी, तेलंगाना का मटन और चिकन बंजारा बिरयानी, मध्य प्रदेश की बाजरा और मक्के की रोटी, झारखंड का महुआ लड्डू, गुजरात का मूंग का हलवा।

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देश भर से 200 स्टॉल और 1000 कुशल कारीगरों की उपस्थिति में पिछले आयोजनों की तुलना में कहीं अधिक व्यापक और शानदार इस बार का आदि महोत्सव लघु भारत का रूप है और जहां हर प्रकार की जरूरत का सामान उपलब्ध है। प्राकृतिक और प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने वाले जनजातीय उत्पाद जैसे कि सूखा आंवला, शहद, काली मिर्च, दलिया, मिर्च, रागी, त्रिफला और मूंग दाल, उड़द दाल, व्हाइट बींस आदि दालों के मिश्रण से लेकर शिल्प सामग्री जैसे कि वर्ली या पातचित्र शैली की पेंटिंग भी यहां मौजूद हैं। इसके अलावा डोकरा शैली से लेकर वांचो और पूर्वोत्तर के कोन्यक जनजाति की मनकों की माला के हस्तशिल्प से तैयार आभूषणों के अलावा आकर्षक बुने हुए कपड़े और एरी और चंदेरी रेशम के परिधान, रंग बिरंगी कठपुतलियां और बच्चों के खिलौने, परंपरागत बुनाई के सामान जैसे की डोंगरिया शॉल और बोडो बुनकरों की सामग्री, टोडा कढ़ाई और कोटा डोरिया दुपट्टा, बस्तर की लौह शिल्प और लोंगपी की पत्थर की सामग्री जैसी करीब डेढ़ हजार विविध सामग्री यहां लोगों को खरीदारी के लिए अनेकों विकल्प उपलब्ध कराती हैं। खास तौर पर उपहारों के लिए।

एक अलग से जीआई उत्पादों का स्टाल भी है जहां मशहूर उत्कृष्ट सामान जैसे की राजस्थान की ब्लू पॉटरी, कोटा मध्य प्रदेश के चंदेरी और महेश्वरी रेशम, बाग प्रिंट, ओडिशा का पातचित्र, कर्नाटक का बीदरीवेयर, उत्तर प्रदेश की बनारसी सिल्क, पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग चाय, हिमाचल प्रदेश का काला जीरा, तड़केदार नागा चिली और पूर्वोत्तर की बड़ी इलायची उपलब्ध है। वोकल के लिए लोकल और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की ओर झुकाव के साथ ही भौगोलिक संकेत जीआई टैगिंग का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है। ट्रायफेड, जनजातीय कार्य मंत्रालय, द्वारा जनजाति उत्पादों को जीआई टैग के लिए प्रेरित कर उनको ब्रांड में बदलने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है जिससे आदिवासी कारीगरों को सशक्त किया जा सके। इन उपक्रमों से बेहद पुरानी जनजातीय परंपराओं और पद्धतियों को पहचान दिलाने और प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी जो कि शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण लुप्त हो जाने के खतरे का सामना कर रही हैं।

आवश्यकता और अपने बजट के आधार पर इन उत्पादों के गिफ्ट हैंपर भी बनाए जा सकते हैं। मशहूर डिजाइनर सुश्री रीना ढाका द्वारा विशेष रुप से ट्राइब्स इंडिया के लिए पैकेजिंग को डिजाइन किया गया है जो कि जैविक, रीसाइकल करने योग्य है। किसी भी अवसर पर आदर्श उपहार के लिए यह एक आदर्श स्थान है।

जनजातीय शिल्प, संस्कृति और बाजार का उत्सव आदि महोत्सव दिल्ली हाट, नई दिल्ली, में 15 फरवरी 2021 तक सुबह 11:00 बजे से रात 9:00 बजे तक चल रहा है। आदि महोत्सव का भ्रमण करें और “वोकल के लिए लोकल” अभियान को आगे बढ़ाएं। #बाइट्रायबल

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