उत्तर प्रदेश

श्रम मंत्री ने श्रम कल्याण परिषद की पत्रिका का विमोचन किया

लखनऊः प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन व समन्वय मंत्री श्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि श्रमिक/मजदूर राष्ट्र निर्माता एवं भाग्य विधाता है। श्रमिक लाचारी व गरीबी की जिंदगी जिये, यह केन्द्र की मोदी एवं राज्य की योगी सरकार को मंजूर नहीं। श्रमिक अब स्वाभिमान एवं सम्मान की जिंदगी जिये, इसके लिए सरकार कार्य कर रही है और श्रमिकों का जीवन स्तर बेहतर बनाने के लिए 18 कल्याणकारी योजनाओं को संचालित कर इसका लाभ प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि डा0 बाबा साहेब आम्बेडकर जी ने 1932 में श्रम एवं सेवायोजन मंत्री के रूप में जिन श्रम कानूनों को बनाया था, श्रमिकों के कल्याण के लिए आज उन्हें लागू किया जा रहा है। इसी प्रकार पं0 दीनदयाल उपाध्याय जी ने जिस प्रकार से समाज के अंतिम पायदान के व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने की बात कही और संतो ंके मसीहा दत्तोपंत ठेगड़ी जी ने श्रमिकों को स्वाभिमान एवं सम्मानपूर्वक जीवन गुजारने के लिए जिस प्रकार से कल्याणकारी योजनाओं को संचालित करने की बात कही थी, उसे श्रम विभाग विभिन्न सामाजिक बोर्डों के माध्यम से लागू कर रहा है और केन्द्र व प्रदेश सरकार के संकल्प ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास व सबका प्रयास’ के साथ सभी प्रकार के श्रमिकों को विकास की मुख्यधारा में खड़ा करने के लिए प्रयासरत है।
श्रम मंत्री श्री स्वामी प्रसाद मौर्य आज उ0प्र0 श्रम कल्याण परिषद द्वारा आयोजित राष्ट्र ऋषि दत्तोपंत ठेगड़ी जी की 101वीं जयंती के अवसर पर विश्वेश्वरैया प्रेक्षागृह, लखनऊ में आयोजित ‘श्रमिक समागम’ कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि श्रम कल्याण परिषद ने संगठित श्रमिकों के लिए बहुत सी योजनाएं महापुरूषों एवं महानुभावों के नाम से संचालित की है, जिसका लाभ पात्र श्रमिक को मिल रहा है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों ने श्रमिकों के कल्याण के लिए कार्य नहीं किया। प्रदेश की वर्तमान योगी सरकार ने 70 लाख श्रमिकों को लाभान्वित किया है, जबकि प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान मात्र 07 लाख श्रमिक लाभान्वित हुए थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में श्रमिक हित में बीओसी बोर्ड का गठन हुआ। तब से वर्ष 2016 तक मात्र 36 लाख श्रमिक पंजीकृत किये गये थे, जबकि विगत साढ़े चार वर्ष में 1.20 करोड़ श्रमिकों का पंजीयन किया गया। इसी प्रकार कोरोना-19 महामारी पहले प्रकोप के दौरान 40 लाख प्रवासी श्रमिकों को 1000 रुपये की आर्थिक सहायता तथा मुफ्त राशन किट दी गयी। वहीं 37 लाख निर्माण श्रमिकों को पहली बार 1000 रुपये दिए गये था तथा कोरोना की दूसरी लहर पर 69 लाख श्रमिकों को 1000 रुपये दिए जा रहे हैं।
श्रम मंत्री ने कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वर्तमान में श्रमिकों की 03 श्रेणियां आती हैं, जिसमें संगठित श्रमिक, निर्माण श्रमिक तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि श्रमिक पंजीयन एवं पंजीकरण को घटा कर 20 रुपये कर दिया गया है। श्रमिक पुत्र/पुत्रियों की पढ़ाई में व्यवधान न हो इसके लिए साइकिल दी जा रही है तथा कक्षा-1 से लेकर पीएचडी, डिलिट की पढ़ाई के लिए सरकार आर्थिक सहायता दे रही है। इसी प्रकार श्रमिक के बच्चों को की बेहतर पढ़ाई के लिए प्रदेश के 18 मण्डलों में अटल आवासीय विद्यालय बनाये जा रहे हैं, जिनमें 18000 श्रमिक बच्चे पढेंगे और इनकी पूरी व्यवस्था निःशुल्क होगी। उन्होंने कहा कि श्रमिकों के गम्भीर बीमारी के लिए भी आर्थिक सहायता दे रही है। दुर्घटना में मृत्यु पर 05 लाख रुपये, पूर्ण विकलांगता पर 03 लाख रुपये, आंशिक विकलांगता पर 02 लाख रुपये तथा स्वाभाविक मौत पर 02 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। इसी प्रकार असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए 05 लाख रुपये की चिकित्सा सहायता दी जा रही है। उन्होंने बताया कि श्रमिक पुत्रियों की शादी को प्रदेश सरकार प्राथमिकता दे रही है और इसके लिए प्रति जोड़ा 75 हजार रुपये की धनराशि दी जा रही है। 15 नवम्बर, 2021 को गाजियाबाद में 2100 जोड़े तथा 26 नवम्बर, 2021 को अयोध्या में 04 हजार जोड़ों की शादी की जायेगी।
इस अवसर पर श्रम मंत्री ने परिषद की योजना श्रवण कुमार धार्मिक पर्यटन यात्रा का शुभारम्भ किया और इससे लाभान्वित 50 अधिक लाभार्थी श्रमिक परिवारों को साल भेंटकर आयोध्या, काशी व विध्यांचल आदि तीर्थ स्थलों का दर्शन कराने के लिए जा रही बस को हरी झंण्डी दिखाकर रवाना किया। साथ ही परिषद की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लाभान्वित श्रमिकों को लाभ वितरण किया। इस अवसर पर उन्होंने गणमान्य व्यक्तियों को स्मृति चिन्ह भी भेंट किये तथा परिषद की चेतन चौहान खेल प्रोत्साहन योजना से लाभान्वित 03 श्रमिक खिलाड़ी पुत्रियों में से प्रत्येक को 50 हजार रुपये का चेक देकर लाभान्वित किया। इनमें से प्रतापगढ़ की रहने वाली विनीता सिंह तथा अल्का सरोज को तलवारबाजी में राष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में तथा बिजनौर की रहने वाली स्वेता चौधरी को कुश्ती की राष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में सम्मानित किया। ज्योतिबा फूले श्रमिक कन्यादान योजना की दो लाभार्थियों को 25-25 हजार रुपये, ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम श्रमिक प्राविधिक शिक्षा योजना के दो लाभार्थियों को 8-8 हजार रुपये तथा गणेश शंकर विद्यार्थी श्रमिक पुरस्कार योजना के 10 लाभार्थियों को 5-5 हजार रुपये एवं इसी योजना के 10 लाभार्थियों को 7,500 रुपये का हितलाभ वितरण किया गया। उन्होंने श्रम कल्याण परिषद की पत्रिका का विमोचन भी किया। इस अवसर पर असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के पंजीकरण हेतु ई-श्रम कैम्प का उद्घाटन भी फीता काटकर किया गया, जिसमें 600 श्रमिकों का पंजीयन कर ई-श्रम कार्ड दिया गया।
अध्यक्ष उ0प्र0 श्रम कल्याण परिषद श्री सुनील भराला ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश सरकार श्रमिकों के हित के लिए संकल्पित है। उत्तर प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है जहां पर श्रमिक परिवारों को धार्मिक एवं पर्यटन यात्रा करायी जा रही है। पर्यटन यात्रा का आज शुभारम्भ होना राज्य के लिए आज दिन ऐतिहासिक होगा। उन्होंने कहा कि श्रमिकों के कल्याण के लिए 1962 में अधिनियम बना था। प्रदेश में लेबर सेस कानून लागू है, इससे प्राप्त धनराशि को श्रमिकों के कल्याण में खर्च किया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के प्रयासों से देशभर में 20 करोड़ जनधन खाते खोले गये, इससे गरीबों को हितलाभ सीधे उनके खाते में पहुंचने लगा। उन्होंने कहा कि दत्तोपंत ठेगड़ी जी के जीवन दर्शन एवं कार्यों को पूरा करने के लिए श्रमिक हित में अनेक कल्याणकारी योजनाएं लायी जायेंगी। प्रदेश की पूर्व सरकारों ने श्रमिकों के धन का बन्दरबांट किया था, जबकि वर्तमान सरकार श्रमिक चौपाल एवं श्रमिक भोज का आयोजन करने जा रही है। उन्होंने कहा कि श्रमिक पुत्रियों की शादी की धनराशि 15000 रुपये को बढ़ाकर 51 हजार रुपये कर दिया गया है। अंत्येष्टि योजना में 10 हजार रुपये तथा प्राविधिक शिक्षा सहायता योजना में धनराशि को बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दिया गया है। इसी प्रकार चेतन चौहान योजना में श्रमिक खिलाड़ी पुत्र-पुत्रियों के अन्तर्राष्ट्रीय खेलने पर 01 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि 01 करोड़ से अधिक श्रमिक प्रदेश में कार्य कर रहे हैं।
उ0प्र0 भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार राज्य परामर्शदात्री समिति के अध्यक्ष श्री रघुराज प्रताप सिंह ने कहा कि मजदूर और किसान की मेहनत व पसीनें से यह देश चलता है, इनके कल्याण के लिए कार्य किया जा रहा है। प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों ने श्रमिकों की अनदेखी की। श्रमिकों के हितों के संरक्षण एवं कल्याण के लिए कोई कार्य नहीं किया। आज श्रमिकों को सभी सुविधाएं प्राथमिकता पर मिल रही हैं। पंजीकृत श्रमिकों को अधिकाधिक कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। श्रमिक अधिक से अधिक पंजीकरण करायें और योजनाओं का लाभ लें।
अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के अध्यक्ष, भदन्त शांति मिश्र ने कार्यक्रम में सभी के मंगल की कामना की और कहा कि श्रमिक हितों पर ध्यान देना उन्हें धार्मिक स्थलों का भ्रमण कराकर आध्यत्मिकता को बोध कराना यह विश्व गौरव की बात है। आज जहां पूरे विश्व में मानवीय मूल्यों का तेजी से क्षरण हो रहा है, वहीं देश के प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश में आध्यात्मिकता, मानवता एवं इंसानियत का विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि धम्मं शरणं गच्छामि हमारे देश का मूल मंत्र रहा है, जो श्रमिकों की इस यात्रा से चरितार्थ हो रहा है। भारत में सत्यमेव, धर्मेव व श्रर्मेव जयते कहा जाता है। इस देश में सभी श्रमजीवी हैं। श्रम का महत्व बढ़ना चाहिए। श्रमिक एवं किसान इस देश की मूल सम्पत्ति हैं, जिनके कल्याण के लिए केन्द्र व प्रदेश की सरकार कार्य कर रही है।
कार्यक्रम को सिंधी अकादमी के उपाध्यक्ष श्री नानक चन्द लखवानी, सफाई कर्मचारी ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र नाथ बाल्मीकि, भारतीय मजदूर संघ के महामंत्री श्री अनिल उपाध्याय ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर श्रम कल्याण परिषद के सदस्य श्री राधेश्याम त्रिपाठी, श्री अजीत जैन, श्री मुराहू राजभर, श्री कन्हैया लाल भारती, श्री कृष्ण मुरारी विश्वकर्मा, श्री नवीन जैन, श्री भूपेश अवस्थी, श्री रविकान्त मिश्रा, श्री नमन भारद्वाज के साथ श्रम विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

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