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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने “बालिकाओं के कानूनी अधिकार” विषय पर वेबिनार का आयोजन किया

भारत सरकार द्वारा बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 की धारा (3) के तहत गठित एक वैधानिक निकाय – राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर), भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत काम कर रहा है। एनसीपीसीआर ने आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में “राष्ट्रीय बालिका दिवस” मनाने के लिए आज “बालिकाओं के कानूनी अधिकार” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया।

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष श्री प्रियांक कानूनगो ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस अब महज एक औपचारिकता नहीं रह गई है, क्योंकि हम सभी ने पिछले कुछ वर्षों में प्रत्येक बालिका के लिए उनके कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में प्रगति की है। हमारे देश की बालिकाओं ने पूरी दुनिया के सामने अपनी छाप छोड़ने के लिए तेजी से प्रगति की है और साबित किया है कि वे सभी के बराबर हैं। उन्होंने देश द्वारा हासिल की गई महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इतिहास में पहली बार महिलाओं की जनसंख्या पुरुषों की तुलना में अधिक हुई है। एनसीपीसीआर के अध्यक्ष ने भी समाज में बदलाव लाने के लिए सरकार और लोगों के संयुक्त प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लड़कियों को पूरी संभावना, सुरक्षित और सक्षम वातावरण मिलना बहुत जरूरी है। लड़कियों को अपने सभी कानूनी अधिकारों और जीवन के तथ्यों से अवगत होना चाहिए। एनसीपीसीआर के अध्यक्ष ने वेबिनार के लिए अपना समय निकालने के लिए न्यायमूर्ति के.एस. झावेरी के प्रति आभार व्यक्त किया।

ओडिशा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री कल्पेश सत्येंद्र झावेरी इस वेबिनार के मुख्य वक्ता थे। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि “जब आप एक लड़की को शिक्षित करते हैं, तो आप एक राष्ट्र को शिक्षित करते हैं”। एक शिक्षित महिला में पूरे परिवार को शिक्षित करने की शक्ति होती है, उसके बिना कल नहीं है। उन्होंने कहा कि लड़कियों को जीवन में आमतौर पर जिन विभिन्न प्रकार के सामाजिक भेदभाव और शोषण का सामना करना पड़ता है, उन्हें दूर करना आवश्यक है। उन्होंने दर्शकों को एक बालिका के कानूनी अधिकारों तथा उसके अधिकारों और अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढाओ जैसी मौजूदा सरकारी योजनाओं पर भी प्रकाश डाला ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक बालिका को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया जा सके। उन्होंने कहा कि एक बालिका को जीने और बढ़ने के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के लिए, पूर्ण मानव क्षमता और सतत विकास के साथ शांतिपूर्ण समाज मिलना आवश्यक है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत पहली बार 2008 में भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी। भारत की लड़कियों को सहायता और अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से इसे हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य हमारे देश की बेटियों को सशक्त बनाने के लिए जन जागरूकता को बढ़ावा देना है।

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