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श्री सोनोवाल ने ग्रीन पोर्ट और शिपिंग में भारत के पहले राष्ट्रीय उत्कृष्टता केन्‍द्र का उद्घाटन किया

केन्‍द्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग (एमओपीएसडब्‍ल्‍यू) और आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा है कि ग्रीन टग ट्रांज़िशन प्रोग्राम (जीटीटीपी) की शुरूआत के साथ 2030 तक भारत को ‘ग्रीन शिप का वैश्विक केन्‍द्र’ बनाने का लक्ष्‍य है। ग्रीन पोर्ट एंड शिपिंग (एनसीओईजीपीएस) में भारत के पहले राष्ट्रीय उत्कृष्टता केन्‍द्र का गुरुग्राम, हरियाणा में आज उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि कार्यक्रम ‘ग्रीन हाइब्रिड टग्स’ के साथ शुरू होगा, जो ग्रीन हाइब्रिड प्रोपल्शन सिस्टम द्वारा संचालित होगा, और बाद में गैर-जीवाश्म ईंधन समाधान जैसे (मेथनॉल, अमोनिया, हाइड्रोजन) को अपनाएगा। मंत्री ने कहा कि 2025 तक सभी प्रमुख बंदरगाहों में काम शुरू करने के लिए प्रारंभिक ग्रीन टग (कर्षण नौका) के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि कम से कम 50 प्रतिशत कर्षण नौकाओं को 2030 तक ग्रीन कर्षण नौका में परिवर्तित करने की संभावना है, जो उत्सर्जन को काफी कम कर देगा क्योंकि देश निरंतर विकास का लक्ष्‍य प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ेगा।

श्री सोनोवाल ने कहा कि भारत के जी20 की अध्यक्षता संभालने पर उन्हें स्वच्छ, हरित पर्यावरण की दिशा में सरकार के प्रमुख प्रयास के रूप में इन पहलों की घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में हम मंत्रालय के दायरे में आने वाले सभी संभावित क्षेत्रों में ग्रीन शिप बिल्डिंग में आत्‍मनिर्भरता कायम करने के साथ-साथ हरित समाधानों की स्थापना की दिशा में अपने प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि हमें 2030 तक ग्रीन शिप निर्माण का वैश्विक केन्‍द्र बनने की उम्‍मीद है क्‍योंकि हम जबरदस्‍त व्‍यापार संभावना देख रहे हैं, फिर भी एक हरित दुनिया के निर्माण के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं।

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पहले उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र के बारे में बताते हुए मंत्री ने कहा कि यह केन्द्र प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मिशन लाइफ मूवमेंट को साकार करने की दिशा में मंत्रालय का एक बड़ा प्रयास है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की परिकल्‍पना के अनुसार यह आंदोलन पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए सामूहिक कार्रवाई के लिए भारत के नेतृत्व वाला वैश्विक आंदोलन होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि केन्‍द्र इस आंदोलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि इसका उद्देश्य बंदरगाहों में बदलाव लाना और नौवहन  को पर्यावरण के अनुकूल बनाना है। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री की कल्पना के अनुसार देश को 2070 तक कार्बन न्यूट्रल बनाने की तलाश में वास्‍तविक प्रयास है।

देश का पहला नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन ग्रीन पोर्ट एंड शिपिंग (एनसीओईजीपीएस) भारत सरकार के बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय और ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टेरी) के बीच सहयोग का परिणाम है। एनसीओईजीपीएस उद्योग के लिए केन्‍द्रीय संस्‍था के रूप में कार्य कर रहा है, 2030 तक भारत को ‘ग्रीन शिप बनाने के लिए वैश्विक केन्‍द्र’ बनाने की योजना है। इन पहलों के साथ, केन्‍द्र का उद्देश्य समुद्र आधारित संसाधनों के प्रदूषण, संरक्षण और स्‍थायी उपयोग से समुद्री और तटीय इकोसिस्‍टम को स्थायी रूप से प्रबंधित और संरक्षित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के स्‍थायी विकास लक्ष्य (एसडीजी 14) की उपलब्धि की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है। यह केन्‍द्र भारत में ग्रीन शिपिंग के लिए नियामक ढांचे और वैकल्पिक प्रौद्योगिकी अपनाने के रोडमैप को विकसित करेगा। गुरुग्राम में टेरी परिसर के भीतर स्थित केन्‍द्र- पेरिस समझौते के तहत दायित्वों को पूरा करने की दिशा में काम करेगा।

पीएम गति शक्ति – हरित बंदरगाह पहल के साथ-साथ मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान ने पहले ही देश में हरित रसद आपूर्ति श्रृंखला के विकास को गति दी है। बंदरगाहों ने 2030 तक प्रति टन कार्गो के कार्बन उत्सर्जन को 30 प्रतिशत तक कम करने का भी लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जारी समुद्री विजन दस्तावेज 2030 एक स्थायी समुद्री क्षेत्र और जीवंत नीली अर्थव्यवस्था के भारत की कल्‍पना पर 10 वर्ष का खाका है। ग्रीन शिपिंग से संबंधित एक आरंभिक परियोजना का संचालन करने के लिए आईएमओ ग्रीन वॉयज 2050 परियोजना के तहत भारत को पहले देश के रूप में चुना गया है। मंत्रालय ने पहले ही पारादीप पोर्ट, दीनदयाल पोर्ट की पहचान कर ली है और वी.ओ.चिदंबरम पोर्ट को हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा – जो 2030 तक हरित हाइड्रोजन के प्रबंधन, भंडारण और उत्पादन में सक्षम है। इन बुनियादी ढांचे के विकास के साथ, भारत प्रौद्योगिकी और बाजार में एनसीओईजीपीएस के नेतृत्‍व में नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करके देश में उत्पादित हरित हाइड्रोजन का निर्यात करने में सक्षम होगा।

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एनसीओईजीपीएस एमओपीएसडब्‍ल्‍यू जैसे विशाल संगठन के तहत बंदरगाहों, डीजी शिपिंग, सीएसएल और अन्य संस्थानों के लिए ग्रीन शिपिंग क्षेत्रों पर नीति, अनुसंधान और सहयोग पर आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए एमओपीएसडब्‍ल्‍यू की तकनीकी शाखा के रूप में कार्य करेगा। केंद्र कई तकनीकी हथियारों का एक मेजबान होगा। बंदरगाह और नौवहन क्षेत्र के सहयोग के लिए केन्‍द्र अनेक तकनीकी हथियारों का एक मेजबान होगा और वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से उद्योग में आने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान प्रदान करेगा। यह स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर समुद्री परिवहन में बहुमूल्‍य शिक्षा, एप्‍लाइड अनुसंधान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी करेगा। यह निम्नलिखित क्षेत्रों जैसे ऊर्जा प्रबंधन, उत्सर्जन प्रबंधन, निरंतर समुद्री संचालन आदि जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केन्‍द्रित करेगा। एनसीओईजीपीएस का उद्देश्‍य अत्याधुनिक प्रोद्योगिकियों और एप्‍लीकेशन उत्पादों को विकसित करके बंदरगाह, तटीय और अंतर्देशीय जल परिवहन और इंजीनियरिंग में ‘मेक इन इंडिया’ को सशक्‍त बनाना है। यह इन क्षेत्रों में विभिन्न चुनौतियों के लिए सबसे उपयुक्त समाधान प्रदान करने के लिए फास्ट-ट्रैक नवाचारों को सक्षम करेगा। केन्‍द्र का लक्ष्य अत्याधुनिक सैद्धांतिक और व्यावहारिक जानकारी से लैस उद्योग के लिए सक्षम जनशक्ति का एक पूल बनाना है। एनसीओईजीपीएस 10 महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम करेगा, जिसमें समुद्री एप्‍लीकेशनों के लिए पवन ऊर्जा के उपयोग के लिए एक नियामक ढांचा विकसित करना, और पारंपरिक समुद्री ईंधन के साथ सम्मिश्रण के लिए एक उपयुक्त जैव ईंधन की पहचान करना भी शामिल है।

यह लंबी दूरी की शिपिंग के लिए ईंधन सेल प्रौद्योगिकी की पहचान करने के साथ-साथ 700 बार दबाव तक हाइड्रोजन के परिवहन के लिए एक नियामक ढांचा विकसित करने की दिशा में भी काम करेगा। यह कम ऊर्जा खपत वाले बंदरगाहों, और सौर ऊर्जा दोहन के लिए एक अपतटीय मंच, उत्पादन, भंडारण और हरित हाइड्रोजन के उपयोग पर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करेगा।

इस कार्यक्रम में एमओपीएसडब्‍ल्‍यू में सचिव श्री सुधांश पंत,  टेरी की महानिदेशक डॉ विभा धवन, और टेरी के साथ-साथ मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।

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