आपस में लिपटे थे तीनों बच्चियों के शव

कानपुर। कानपुर में पांच मंजिला बिल्डिंग में लगी भीषण आग में पांच जिंदगियां जल गईं। डक्ट के सहारे बिल्डिंग में ऊपर तक पहुंचे धुएं के बीच दमकल कर्मियों को रेस्क्यू करना आसान नहीं था। धधकती बिल्डिंग में कड़ी मशक्कत कर सात घंटे में दमकल कर्मी पांचवीं मंजिल पर पहुंचे तो वहां दानिश की बेटी सारा, सिमरा, इनाया के शव सीढ़ी के पास मिले। दमकल कर्मियों ने बताया कि तीनों शव जल रहे थे। यह देख उन लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। आनन-फानन अग्निशमन यंत्र से आग को बुझाया और उच्चाधिकारियों को शवों के मिलने की जानकारी दी।
बिल्डिंग में फंसे दानिश, पत्नी नाजली सबा और तीनों बेटियों ने बचने के लिए ऊपर से नीचे तक काफी जद्दोजहद की। दानिश और उनकी पत्नी का चौथी मंजिल में सीढ़ी के पास शव मिला। तीनों बेटियों के शव तीसरी मंजिल पर एक साथ लिपटे थे। इससे यह बात तो साफ है कि तीनों ने दहशत के कारण एक दूसरे को थाम लिया होगा। दमकल कर्मियों ने बताया कि पुलिस को शवों को अलग-अलग करने में काफी परेशानी हुई।
रिश्तेदारों के मुताबिक दानिश और कासिफ जैसा प्यार ही उनके बच्चों में भी था। बड़े भाई दानिश के तीन बेटियां सारा, सिमरा और इनाया फातिमा थीं। वहीं, कासिफ के दो बेटे अयान और सूफियान हैं। दोनों भाईयों के बच्चों में खूब अच्छी पटती थी। संग खेलने जाना हो या शॉपिंग के लिए बाजार, बच्चे अक्सर साथ ही रहते। पांचों भाई-बहनों के बीच खूब प्यार था।
कासिफ हो या दानिश, दोनों में से जो भी बाजार जाता, सभी बच्चों के लिए खाने-पीने की चीजें या खिलौने लाना नहीं भूलता। घटना के बाद से बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है। बहनों को याद कर जब वह रोना शुरू कर देते हैं तो मां उन्हें दिलासा देती। छोटा बेटा सूफियान अपनी छोटी बहन इनाया और सिमरा व सारा को याद करके बार बार बिलख कर कहता है, हाय अप्पी कहां चली गईं। इसके बाद परिवार वाले उसे समझाते लेकिन खुद उनके आंसू छलक पड़ते।
दरअसल, कारोबारी मोहम्मद दानिश ने आग लगने के बाद अपने छोटे भाई कासिफ को दो बार फोन किया था। एक बार कासिफ ने फोन उठा लिया था, जबकि दूसरी बार वह फोन नहीं उठा पाए थे। मंगलवार को दानिश के भाई कासिफ ने बताया कि भाई ने फोन किया था, उन्होंने कहा था कि कासिफ मेरे भाई… आग लग गई.. जान बचाओ।
कासिफ ने कहा कि दानिश के ये शब्द मेरे कानों में गूंज रहे हैं। घर की ओर देखता हूं तो लगता है आग से तड़प रहे भाई-भाभी बचाने के लिए मदद मांग रहे हैं। आंख बंद करता हूं तो आग से घिरी बच्चियां नजर आ रही हैं। आंसुओं के सैलाब के साथ रुंधे गले से ये बात मोहम्मद कासिफ ने कही। काासिफ के बड़े भाई दानिश, भाभी नाजली और तीन मासूम भतीजियों ने आग में जलकर दम तोड़ दिया था। कासिफ को इस बात का मलाल है कि वह आखिरी पलों में भाई की मदद नहीं कर सके।
मंगलवार दोपहर करीब 12:20 बजे कासिफ अपने उसी घर के सामने पड़ी कुर्सियों पर नीचे सिर झुकाए बैठे सिसकते दिखे। कासिफ, उस दिन क्या हुआ था… सवाल सुनते ही उसकी सिसकियां रोने में बदल गई और आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। बोले, थोड़ी देर पहले ही तो परिवार के साथ घर से गया था। क्या पता था कि जाजमऊ नहीं, भाई से हमेशा के लिए दूर जा रहा हूं। वह मुझसे चार साल बड़े थे लेकिन एक वालिद (पिता) की तरह मेरा ख्याल रखते थे।
कहते-कहते उनका गला रुंध गया और शब्द अधूरे रह गए। पास बैठे शख्स के कंधे पर सिर टिका कर काफी देर बिलखते रहे। एक दोस्त ने पीने के लिए पानी की बोतल दी तो चंद बूंदे गले से नीचे उतारने के बाद चश्मा पोंछते हुए बोले, उस रात 9:12 मिनट पर सामने वाले इमरान भाई का फोन आया। फोन उठाते ही चीखते हुए बोले, कासिफ कहां हो, घर में आग लगी है।
एक पल के लिए तो कुछ समझ ही नहीं आया। तब तक फोन कट गया। जब तक कुछ समझ पाता 9:14 बजे दानिश भाई का फोन आ गया। बोले कासिफ..मेरे भाई आग लग गई… जान बचाओ। इसके बाद उनके कुछ कहने से पहल ही फोन कट गया। बदहवास होकर वो घर की ओर भागे। इस बीच भाई ने फिर फोन मिलाया लेकिन वह उठा न सके। जेब से फोन निकाल कर दिखाते हुए बोले, बाद में देखा तो 9:16 मिनट पर उसकी ये मिस कॉल पड़ी थी।
उसके बाद भाई को कई बार फोन मिलाया लेकिन नहीं मिला। मदद के लिए आए भाई के आखिरी फोन को न उठा पाने के मलाल में खुद को कोस रहा कासिफ ने रोते हुए कहा कि मेरी तकलीफों को बिना कहे समझने वाला भाई उन्हें छोड़कर चला। इसके बाद कासिफ दोनों हाथ से आंसुओं को पोंछते हुए निशब्द हो गए और सिसकियां तेज हो गईं।