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ब्लड कैंसर से जूझते हुए 10वीं की टॉपर बनी इशिका

कुमारी इशिका पिछले दो साल से ब्लड कैंसर से पीड़ित है। इस कारण पिछले सत्र में वह वार्षिक परीक्षा नहीं दे पाई थी, जिससे वह बहुत निराश थी। लेकिन इस बहादुर बेटी ने हिम्मत नहीं हारी और इस सत्र में दोहरी चुनौती का सामना किया। उन्होंने न केवल परीक्षा दी, बल्कि पूरे प्रदेश में मेरिट लिस्ट में प्रथम स्थान हासिल कर लिया। हालांकि, कैंसर के खिलाफ उनकी जंग अभी भी जारी है।
“मैंने सोचा था कि शायद परीक्षा दे ही न पाऊं”- इशिका बाला
इशिका कहती हैं, “कई बार ऐसा लगा कि मैं परीक्षा ही नहीं दे पाऊंगी, लेकिन मां-पापा और शिक्षकों का साथ मिला। मैंने मन में ठान लिया था कि बीमारी को मेरे सपनों के आड़े नहीं आने दूंगी।” उनका सपना है कि वो भविष्य में डॉक्टर बनकर दूसरों की सेवा करें।
नमन का सपना इंजीनियर बनना
जशपुर के नमन खूंटिया ने दसवीं में पहला स्थान हासिल किया है। नमन और इशिका बाला ने संयुक्त रूप से 99.17त्न अंकों के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया। नमन का सपना इंजीनियर बनना है। जशपुर जिले के पत्थलगांव निवासी नमन ने संकल्प शिक्षण संस्थान, जशपुर से पढ़ाई कर यह सफलता अर्जित की। उनके पिता दुकानदारी के साथ-साथ खेती-किसानी करते हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छात्र नमन खुंटिया से मोबाइल पर बात कर उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने नमन से पूछा कि क्या उन्हें उम्मीद थी कि वे टॉप पर आएंगे और वे आगे क्या करना चाहते हैं। नमन ने बताया कि वे इसके लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे। नमन ने बताया कि उनकी गणित विषय में रुचि है और वे आगे चलकर इंजीनियर बनना चाहते हैं।
12वीं टॉपर अखिल सेन ने 10वीं के मेरिट सूची में बनाया था आठवां स्थान
12वीं बोर्ड (कॉमर्स) के टॉपर अखिल सेन ने 10वीं बोर्ड में भी मेरिट सूची में आठवां स्थान प्राप्त किया था। अखिल के पिता कांकेर के निकट धनेलीकन्हार में किराने की दुकान चलाते हैं। अखिल ने बताया कि 10वीं में आठवां स्थान मिलने के बाद उन्होंने 12वीं में टॉप करने का संकल्प लिया था। उनका लक्ष्य दूसरा या तीसरा स्थान नहीं, बल्कि केवल प्रथम स्थान था। रोजाना सात से आठ घंटे की कठिन मेहनत के बाद उन्होंने यह मुकाम हासिल किया।
अखिल की मां सेवती सेन ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। उसकी मेहनत और लगन ने उसे इस ऊंचाई तक पहुंचाया। उन्होंने बताया कि कभी-कभी उन्हें डर लगता था कि यदि बेटे का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ तो क्या होगा, लेकिन अखिल ने अपनी मेहनत से साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

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