सहयोग की शक्ति और सामाजिक समरसता का उत्सव

हर वर्ष जुलाई के पहले शनिवार को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस मनाया जाता है। यह दिन सहकारी संस्थाओं की उपलब्धियों को रेखांकित करने और उनके सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक योगदान को सम्मानित करने का अवसर होता है। सहकारिता एक ऐसा आंदोलन है जो ‘एकता में शक्ति’ की भावना को मजबूत करता है और लोकतांत्रिक, समावेशी और न्यायसंगत आदर्श समाज के निर्माण में सहायक बनता है। सहयोग की शक्ति और सामाजिक समरसता के इस उत्सव का 2025 की थीम है ‘सहकारिताः एक बेहतर दुनिया के लिए समावेशी और टिकाऊ समाधान लाना।’ यह थीम पर्यावरण-संरक्षण, स्वच्छ ऊर्जा, और सामाजिक समावेशन जैसे विषयों को सहयोग के माध्यम से हल करने की प्रेरणा देती है। आज के समय में जब आर्थिक विषमता और सामाजिक असंतुलन बढ़ रहा है, सहकारिता एक वैकल्पिक और मानवीय मॉडल प्रस्तुत करती है। यह न केवल आर्थिक विकास की राह दिखाती है, बल्कि सामाजिक विश्वास, सह-अस्तित्व और भाईचारे को भी बढ़ावा देती है।
इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त यह 29वां अंतर्राष्ट्रीय सहकारी दिवस और 101वां अंतर्राष्ट्रीय सहकारी दिवस होगा। यह सहकारी आंदोलन का एक वार्षिक उत्सव है जो अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन द्वारा 1923 से जुलाई के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इस उत्सव का उद्देश्य सहकारिता के बारे में जागरूकता बढ़ाना, संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय सहकारी आंदोलन के पूरक लक्ष्यों और उद्देश्यों को उजागर करना, संयुक्त राष्ट्र द्वारा संबोधित प्रमुख समस्याओं के समाधान में आंदोलन के योगदान को रेखांकित और विस्तारित करना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में घोषित किया है। यह घोषणा 2012 में पहले सफल आयोजन के बाद की गई है और वैश्विक स्तर पर सतत विकास को बढ़ावा देने में सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देती है। दुनिया भर की सहकारी समितियां दिखाएंगी कि कैसे वे एकजुटता और लचीलेपन के साथ युद्ध, महामारी एवं प्राकृतिक आपदा संकट का सामना कर रही हैं और समुदायों को जन-केंद्रित और पर्यावरण की दृष्टि से न्यायसंगत पुनर्प्राप्ति की पेशकश कर रही हैं।