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उत्तराखंड: चमोली में बादल फटने से भारी तबाही, मलबे में दबकर 1 की मौत

उत्तराखंड के चमोली में एक बाद फिर से मौसम ने करवट ली। कर्णप्रयाग के मेहलचौरी में बादल फटने से भारी तबाही मची है। देर शाम बादल फटने से पास इलाके में घरों को भारी नुकसान हुआ। वहीं मलबे में दबकर एक वृद्ध की मौत हो गई। बरसाती नदी में आए उफान से खेतों में मलबा भर गया। हालांकि मौसम विभाग ने बादल फटने की घटना से इनकार किया है।

रविवार को शाम चमोली जिले में हुई बारिश के दौरान गैरसैंण ब्लॉक के लामबगड गांव के शीर्ष पर बादल फटने से क्षेत्र में भारी तबाही मच गई है। यहां गांव को यातायात से जोडने वाली सड़क भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। वहीं ग्रामीणों के अनुसार घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। सूचना मिलने के बाद जिला प्रशासन की ओर आपदा राहत एवं बचाव टीम के साथ ही तहसील प्रशासन की टीम को भी मौके के लिये रवाना हो गई है।

सामाजिक कार्यकर्ता उमेश सिंह बिष्टने बताया कि लामबगड गांव के बांजा जंगल धार खर्क में अचानक बादल फटने से भारी मात्रा में पानी और मलबा गांव के ओर आने से गंगनहर, लामबगड, रामगडेरी, बिष्ट बांखली, नेगी बांखली गांवों में भारी तबाही मच गई है। गांवों की सैकडों नाली भूमि मलबे में दब गई है।रामगडेरी गांव के रामसिंह की गौशाला भी क्षतिग्रस्त हो गई है। रामगडेरी गांव को बाहरी क्षेत्र से जोडने के लिये रामगदेरे पर बनी पैदल पुलिया बह गई है।

गैरसैंण ब्लॉक के लामबगड गांव में बादल फटने की खबर मिलने के बाद पुलिस और तहसील प्रशासन के अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर नुकसान का आंकलन कर रहे हैं।राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि बादल फटने की घटनाएं मानसून के दौरान होती हैं। अभी प्री-मानसून भी सक्रिय नहीं हुआ है। उन्होंने इसे बादल फटने की घटना से इंकार किया और कहा कि यदि एक सीमित क्षेत्र में एक घंटे में साठ मिमी बारिश रिकार्ड की जाए तो इसे बादल फटना नहीं कह सकते। source: oneindia.com

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