उत्तर प्रदेश

मंत्री लगाते रहे फोन, पर नहीं करा सके ओपीडी का पंजीकरण, मास्क पहनकर खुद मरीजों की लाइन में लगे ब्रजेश पाठक

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में ओपीडी पंजीकरण के लिए जारी हेल्पलाइन नंबर व्यवस्था की सच्चाई मंगलवार को सामने आ गई। उप-मुख्यमंत्री और चिकित्सा एवं शिक्षा मंत्री ब्रजेश पाठक एक सामान्य नागरिक के तौर ओपीडी पंजीकरण के लिए जारी नंबर- 0522-2258880 पर फोन लगाते रहे।

केजीएमयू प्रशासन इस नंबर पर 20 लाइन होने का दावा करता है, पर आधे घंटे से ज्यादा समय तक फोन लगाते रहने पर भी नंबर बिजी होने की कॉलर ट्यून ही सुनाई देती रही। नाराज होकर जब वे पीएचआई भवन स्थित कॉल सेंटर पहुंचे तो उन्होंने पाया कि ज्यादातर लाइन खाली थीं। इसके बाद उन्होंने मौके पर मौजूद अधिकारियों को जमकर लताड़ लगाई तथा 24 घंटे में व्यवस्था दुरुस्त करने की चेतावनी दी।

मंत्री ने कहा कि केजीएमयू की ओपीडी में पंजीकरण संबंधी समस्याओं की लगातार शिकायत आ रही है। अपने फोन से भी उन्होंने कई बार पंजीकरण वाले नंबर पर फोन किया, पर फोन नहीं लगा। केजीएमयू में मंगलवार को औचक निरीक्षण पर पहुंचने के बाद भी वे लगातार फोन लगाते रहे, पर कोई फायदा नहीं हुआ। निरीक्षण के दौरान उन्होंने केजीएमयू के प्रशासनिक अधिकारियों से भी फोन लगाते रहे। फोन न लगने पर उन्होंने कॉल सेंटर पहुंचने के लिए कहा। कॉल सेंटर में उन्होंने पाया कि सिर्फ दो से तीन लाइन पर ही बात चल रही थी, बाकी लाइन खाली थीं। इस पर वे भड़क गये।

उन्होंने कहा कि जानबूझकर कॉल फिल्टर की जा रही हैं, जिससे कि कम से कम मरीज पंजीकरण करा सकें। मौके पर मौजूद कर्मचारियों और प्रशासनिक अधिकारियों और यहां तक कि तकनीकी विशेषज्ञों से भी फोन न लगने की वजह पूंछीं, पर किसी के पास संतुष्ट करने लायक जवाब न था। इस पर उन्होंने मंगलवार को आई कॉल का ब्यौरा मांगा। यह ब्यौरा भी नहीं था। इस पर उन्होंने कहा कि एजेंसी को तुरंत बदलने की चेतावनी दी। इसके साथ ही उन्होंने हर कॉल के हिसाब से भुगतान करने की बात कही। इस दौरान उनको बताया कि केजीएमयू आईटी सेल की इंचार्ज एक डॉक्टर हैं तो वे एक बार फिर से भड़क गये। उनका कहना था कि डॉक्टर का काम इलाज करना है ना कि यह काम संभालना। हालांकि मौके पर मौजूद अधिकारियों ने जब उनकी भूमिका सिर्फ मॉनीटरिंग के लिए होने की बात कही तो वे थोड़ा संतुष्ट हुए। इसके बावजूद कॉल न लगने पर उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ तथा उन्होंने इस संबंध में बैठक करके शाम तक रिपोर्ट तथा अगले दिन तक व्यवस्था दुरुस्त करने की चेतावनी दी।

निजी वाहन से साधारण पैंटशर्ट पहनकर पहुंचे मंत्री
मंत्री ब्रजेश पाठक मंगलवार दोपहर करीब 11 बजकर 15 मिनट पर केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। सामान्य दिनों से अलग उन्होंने कुर्ता पायजामा के स्थान पर पैंट-शर्ट पहन रखी थी। फ्लीट के बजाय वे अपने निजी वाहन से वहां पहुंचे थे। ट्रॉमा सेंटर पर उन्होंने परचा बनाने की व्यवस्था का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने लाइन में खड़े मरीजों से भी बातचीत की। इस दौरान ट्रॉमा पीआरओ राउंड पर थे, जब उन्होंने मंत्री को लाइन में लगे देखा तो तुरंत इसकी सूचना अधिकारियों को दी। इसके बाद वहां भगदड़ मच गई। मंत्री ने इसके बाद ट्रॉमा सेंटर के ट्रायज एरिया का निरीक्षण किया। इसके साथ ही उन्होंने स्ट्रेचर और दवाओं के बारे में भी जानकारी ली। गेट के बाहर पानी भरा होेने पर उन्होंने नाराजगी जताई। ट्रॉमा के सीएमएस डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि एंबुलेंस की धुलाई वाला पानी यहां जमा है। इस पर उन्होंने गेट के पास गाड़ियों की धुलाई रोकने के निर्देश दिए। इसके बाद वे केजीएमयू की ओपीडी मे पहुंच गये।

गंदगी और बदहाली पर बिफरे
करीब 12 बजकर 45 मिनट पर ब्रजेश पाठक केजीएमयू की ओपीडी में पहुंचे। वहां गंदगी और टूटे-फूटे सामान देखकर उन्होंने मौके पर मौजूद अधिकारियों को जमकर लताड़ लगाई। ओपीडी के एक कमरे उन्होंने रेजीडेंट से काम करने में समस्या पूछी तो उसने सामने लटके एक्सरे व्यूबॉक्स की ओर इशारा कर दिया। रेजीडेंट का कहना था कि कई बार शिकायत करने के बावजूद तीन महीने में यह ठीक नहीं हो पाया है। इस पर जिम्मेदार को मौके पर बुलाकर लताड़ लगाई। सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार से उन्होंने कहा कि स्ट्रेचर, व्हीलचेयर की पर्याप्त व्यवस्था रखी जाए। मरीजों को दवाएं अंदर से ही मिले। उन्हें बाहर से दवाएं न लिखी जाएं।

डॉक्टर से हाथ जोड़कर की सेवा करने की विनती
निरीक्षण के दौरान ब्रजेश पाठक ने गंदगी और अव्यवस्था पर जहां फटकार लगाई तो डॉक्टरों को विनम्र भाव से उनका कर्तव्य याद दिलाना भी नहीं भूले। पीडियाट्रिक विभाग की ओपीडी में वे डॉक्टर के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गये तथा उनसे कहा कि आपसे वितनी है कि मरीजों को निराश न करें। वे ईश्वर के समान हैं, अगर वे यहां से निराश होकर जाते हैं तो काफी बुरी बात है। डॉक्टर को दिखा रहे बच्चे से उन्होंने नाम पूंछा तथा उसके लिए टॉफी की व्यवस्था करने की बात भी कही। निरीक्षण के दौरान आगे चलकर न्यू ओपीडी के तीसरे तल पर उन्हें वजन करने की मशीन नजर आई। इस पर चढ़कर उन्होंने अपना वजन देखा और संतुष्ट होकर आगे बढ़ गय्रे।

एनआईसी की वजह से हुई गड़बड़ी
सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार ने मंत्री के निरीक्षण के बाद फोन न लगने की शिकायत पर बैठक बुलाई। डॉ. शंखवार के अनुसार एक दिन पहले सर्वर डाउन था। मंगलवार को भी कुछ तकनीकी समस्या थी। इसे दुरुस्त करने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही साफ-सफाई और टूट-फूट दुरुस्त करने के लिए संबंधित जिम्मेदारों को पत्र लिख दिया गया है।

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