उत्तर प्रदेश

सतीश महाना ने इटप के रिवाइवल हेतु 15 दिन मेें प्रस्ताव प्रस्तुत करने के दिये निर्देश

लखनऊ: औद्योगिक विकास मंत्री श्री सतीश महाना ने इन्स्टीट्यूट आॅफ टूल रूम टेªनिंग उ0प्र0 (इटप) के रिवाइवल करने के निर्देश दिये। उन्होंने महाप्रबंधकों व छात्रों  से विचार विमर्श करते हुए यह भी निर्देश दिये कि टूल रूम टेªनिंग के रिवाइवल हेतु पूर्व छात्रों की एक समिति बनाकर संस्थान के वर्तमान महाप्रबंधक के माध्यम से संस्थान के भवनों के जीर्णोद्धार, वर्तमान मांग के अनुरूप आधुनिक मशीनों की स्थापना तथा संस्थान हेतु नियमित फैकल्टी की उपलब्धता के साथ 15 दिन में प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाय।

श्री महाना ने यह निर्देश आज यहां इन्स्टीट्यूट आॅफ टूल रूम टेªनिंग उ0प्र0 (इटप) के सम्बंध में आयोजित बैठक में दिये। उन्होंने निर्देश दिये कि संस्थान में आधुनिक मशीनें स्थापित कर फैकल्टी को वर्तमान आवश्यकता के दृष्टिगत उच्चीकृत कराते हुए इटप का पुराना गौरव वापस प्राप्त किया जाय। उन्होंने  बैठक से पूर्व संस्थान का निरीक्षण किया व प्रशिक्षार्थियों से वार्ता भी की तथा उनके द्वारा ली जा रही तकनीकी शिक्षा व पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी प्राप्त की।

बैठक में प्रमुख सचिव, औद्योगिक विकास श्री आलोक कुमार ने कहा कि इटप के पुराने स्वरूप को पुनः बनाने के लिए नियमित महाप्रबंधक की नियुक्ति, आई0आई0टी0 तथा समकक्ष तकनीकी संस्थानों से तकनीकी सहायता प्राप्त करके, बी0एच0ई0एल0, एच0ए0एल0 जैसी औद्योगिक इकाइयों के अधिकारियों से प्रशिक्षार्थियों को शिक्षण दिलाना, संस्थान के पाठ्यक्रम का एनएसक्यूएफ द्वारा ग्रेडिंग कराना तथा तकनीकी व व्यवसायिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संस्थान में संचालित कराने के लिए कहा गया।

विशेष सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग श्री अमित सिंह द्वारा बैठक में यह प्रस्ताव दिया गया कि सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग द्वारा संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं शासन द्वारा संचालित ओडीओपी परियोजना की बेहतरी के लिए लखनऊ व आस-पास के जनपदों के लिए एक कामन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) की स्थापना की जाय। जिसकी सारी गतिविधियाॅं इटप संस्थान द्वारा संचालित की जाय। इसके साथ-साथ संस्थान को स्वावलम्बी बनाने हेतु यथाश्शीघ्र नये प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया जाना उचित होगा। बैठक के दौरान इस बात पर भी विचार किया गया कि इटप को एक संस्थान की तरह देखा जाय न कि उद्योग की तरह।

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