उत्तराखंड के 130 गांव का ट्रीटमेंट कर रोका जाएगा विस्थापन
देहरादून : प्रदेश सरकार आपदा के मद्देनजर संवेदनशील गांवों के विस्थापन के लिए नए सिरे से काम कर रही है। इसके तहत विस्थापित किए जाने वाले गांवों की सूची में शामिल तकरीबन 130 गांवों में ट्रीटमेंट कार्य कर इन्हें दुरुस्त रखने की तैयारी है। वहीं, सरकार ने 51 अति संवेदनशील गांवों का चयन किया है। सरकार ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों को इन गांवों के विस्थापन के लिए रिपोर्ट मांगी है। सरकार ने हर जिले में दो-दो गांवों का विस्थापन करने का लक्ष्य भी दिया है।
प्रदेश में इस समय तकरीबन 352 गांव ऐसे हैं, जो आपदा की दृष्टि से संवेदनशील हैं। इन गांवों के विस्थापन के लिए लंबे समय से कवायद चल रही है। इन गांवों के लिए जमीन न मिल पाने के कारण इनके विस्थापन में खासी दिक्कत आ रही है।
विस्थापन न होने का एक बड़ा कारण पुनर्वास नीति-2011 के अंतर्गत इनके लिए धन की कम व्यवस्था होना भी है। इस नीति में प्रति परिवार 3.25 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। इतना ही नहीं, सरकार ने बजट में भी आठ करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। बावजूद इसके जमीनें न मिलने के कारण गांवों को विस्थापित करने की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है।
हाल ही में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में गांवों के विस्थापन को लेकर चर्चा की गई थी। इस दौरान भूगर्भ सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट भी सामने आई। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि विस्थापित होने वाले 352 गांवों में से तकरीबन 130 गांवों में एहतियाती कदम उठाने से इनका खतरा दूर किया जा सकता है। इससे इन्हें विस्थापित करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इस पर सरकार ने विभाग को इस दिशा में उचित कदम उठाने के निर्देश दिए। इस दौरान प्रदेश के 51 अति संवेदनशील गांवों पर भी चर्चा हुई। निर्णय लिया गया कि हर जिले में इनके लिए जमीन ढूंढी जाएगी और जिलाधिकारी 15 दिनों के भीतर इसका प्रस्ताव शासन को उपलब्ध कराएंगे। सरकार ने इस वर्ष अंत तक लक्ष्य प्रति जिले में दो गांव विस्थापित करने का रखा है।