उत्तराखंड में 60 हजार कर्मचारियों के सातवें वेतन में फंसा पेंच
राज्य सरकार के निगमों और सार्वजनिक उपक्रमों में तैनात करीब 60 हजार कर्मचारियों के सातवें वेतन में घाटे का पेंच फंस गया है। नई पगार के बारे में निगमों के निदेशक मंडलों को फैसला लेना है।
मगर गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे निगमों पर नए वेतनमान का अतिरिक्त बोझ लादने को लेकर इनका प्रबंधन पसोपेश की स्थिति में है। सरकार की नजरें इनायत न होने और कुप्रबंधन के चलते कई निगमों और उपक्रमों में नए वेतन की तो छोड़िये कायदे से पगार तक नहीं मिल रही है। कर्मचारियों का धैर्य टूट रहा है और वे आंदोलन के मूड में नजर आ रहे हैं।
शासन स्तर पर भी निगमों की माली हालत सुधारने के कई बार दावे हुए, मगर हालात बद से बदतर हो चुकी है। प्रबंधकीय खामियों की वजह से हिल्ट्रान सरीखी संस्था बंद कर दी गई। प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित परिवहन निगम की माली हालत खराब है। यहां कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े हैं। निगम 240 करोड़ रुपये के घाटे में है।