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चुनावी नशें में मदहोश नेता कर रहे हैंदिल्ली को बदरंग

नई दिल्ली । दिल्ली में पता बताने का नया साइन बोर्ड मेट्रो पिलर बनकर उभरे हैं। दिल्ली के ज्यादातर बाजार, मुख्य सड़कों और इलाके में लोग पता बताने के लिए मेट्रो पिलर नंबर डालकर पता बताते हैं। लोगों को मेट्रो पिलर नंबर की सहायता से पता भी आसानी से चल जाता है। लेकिन इन दिनों मेट्रो पिलर नंबर की सहायता से लोगों को पता ढुंढना मुश्किल हो गया है। क्योंकि दिल्ली में मेट्रो पिलर नेताओं के चुनावी प्रचार की भेंट चढ़ कर बदरंग हो गए हैं। दिल्ली में शायद ही कोई ऐसा मेट्रो पिलर होगा जिस पर नेताओं के पोस्टर ना लगे हों। हैरत की बात यह है कि नेताओं की इस गैर कानूनी हरक़त पर मेट्रो प्रशासन और पुलिस और सिविक एजेंसी कोई कार्रवाई नहीं कर रहीं हैं।

  दरअसल पांच राज्यों में चुनावों के साथ साथ दिल्ली में भी एमसीडी चुनाव का डंका बज चुका। वार्ड रोटेशन कर दिया गया है। वार्ड रोटेशन के बाद से ही चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं ने दिल्ली में मेट्रो पिलर, सरकारी इमारतों की दिवार, बिजली के खंभेऔर तमाम दिवारों को पोस्टरों से पाट कर बदरंग कर दिया है। जबकि ऐसा करना जुर्म है। पोस्टर लगाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
गौरतलब है कि दिल्ली प्रिवेंशन ऑफ डिफेसमेंट  ऑफ प्रापर्टी एक्ट 2007 को 17 जनवरी 2009 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद साल 2मार्च  2009 को लागू किया गया था।इसके तहत सम्पत्ति विरूपण अधिनियम 1987 की धारा 3 व भादंवि की धारा 426 और 427 के तहत कार्रवाई हो सकती है।
वहीं अगर चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी तो चुनाव आयोग के आदेश पर सिविक एजेंसियों को सरकारी इमारतों और दूसरी जगहों से इन अवैध पोस्टर होडिंग को हटाना पड़ेगा।
इस सारे मामले में मेट्रो प्रशासन की चुप्पी अपने आप में हैरत में डालने वाली हैं।

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