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फिटनेस में फेल स्कूली वाहन भर रहे फर्राटा, 237 बसों पर लगी रोक, एक माह में फिटनेस नहीं कराई तो रजिस्ट्रेशन होगा निरस्त

गाजियाबाद संभागीय परिवहन विभाग ने 119 स्कूलों की 237 बसों का पंजीयन निलंबित कर दिया है। नोटिस जारी होने की अवधि के बावजूद स्कूल प्रबंधकों ने बसों की फिटनेस नहीं कराई थी। अब स्कूल प्रबंधक इन बसों को नहीं चला सकेंगे।

इन बसों को फिटनेस कराने के लिए एक महीने का समय दिया गया है। इस अविध में यदि फिटनेस नहीं कराई गई तो सभी बसों का रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया जाएगा। इसके अलावा 200 बस अभी भी बिना फिटनेस दौड़ रही हैं। इन सभी को नोटिस जारी कर दिया गया है।
मोदीनगर बस हादसे के बाद परिवहन विभाग ने स्कूली वाहनों पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। परिवहन विभाग लगातार स्कूल वाहनों की चेकिंग कर रहा है। मानकों पर खरा नहीं उतरने वाली बसों और कैब का चालान काटने सहित नोटिस जारी किया जा रहा है।
बता दें कि हादसे में जान गंवाने वाला 11 वर्षीय छात्र अनुराग शर्मा जिस बस में सवार था वह बस बिना फिटनेस के चल रही थी। जबकि परिवहन विभाग ने उस बस को काली सूची में डाल रखा था। बावजूद इसके स्कूल द्वारा धड़ल्ले से बस का संचालन किया जा रहा था। इस मामले में लापरवाही बरतने पर तीन अधिकारियों को निलंबित भी किया गया था।
बता दें कि जनपद में बसों का फिटनेस कार्य एक निजी एजेंसी के जरिए किया जा रहा है। इसके लिए डासना में फिटनेस केंद्र बनाया गया है। जहां रोजाना 20 से 25 बसों की ही फिटनेस हो पा रही है। हालांकि सेंटर पर फिटनेस के लिए इससे ज्यादा संख्या में बसें पहुंच रही हैं। रफ्तार धीमी होने के कारण मजबूरी में चालकों को बिना फिटनेस ही वापस जाना पड़ रहा है। बस चालकों का कहना है कि बिना फिटनेस बस चलाने पर जुर्माने का डर रहता है।
जिले में 1800 पंजीकृत स्कूली बसों का संचालन
जनपद में कुल पंजीकृत 1800 स्कूली बसों का संचालन किया जा रहा है। जिसमें से 755 बसें ऐसी थी जो फिटनेस समाप्त होने के बावजूद सड़कों पर दौड़ रही थी। मोदीनगर बस हादसे के बाद परिवहन विभाग ने बसों की फिटनेस कराने के लिए अभियान चलाया। 505 बसों की फिटनेस हो चुकी है। बाकी बसों की फिटनेस भी कराई जा रही हैं। वहीं, इनकी फिटनेस के लिए नए नियम बनाए गए हैं। नए नियमों के अनुसार ही फिटनेस कराया जा रहा है।
बगैर मानकों के ही दौड़ रहे थे वाहन
पिछले कुछ दिनों में परिवहन विभाग द्वारा 1564 स्कूली बसों की जांच की गई है। सुरक्षा मानक पूरे नहीं होने पर कई बसों के चालान किए गए। कुछ बसों को सीज भी किया गया। जांच में सामने आया कि अनफिट बसों व वैन से बच्चों को लाया जा रहा था। वाहनों में ग्रिल नहीं है, शीशे उखड़े हुए हैं, मेडिकल सुविधा नहीं है।
बसों के लिए बनाए गए नए नियम
● आपातकाल गेट बसों के पीछे होना चाहिए, मिनी बस में आग बुझाने के लिए दो-दो किलो के दो सिलेंडर होने चाहिए
● बच्चे खिड़की से मुंह बाहर न निकाल सकें इसके लिए शीशों पर 5-7 ग्रिल होनी चाहिए
● एसी बसों में शीशे बंद होते हैं इसी कारण इन बसों में ग्रिल की जरूरत नहीं है, बाकी सभी मानक पूरे करने होंगे
निगरानी कर रहा परिवहन विभाग
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) प्रणव झा ने बताया कि ज्यादातर बसों की फिटनेस हो चुकी है। उन्होंने बताया कि स्कूल बसों को केवल 40 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ही चलाया जा सकता है। इससे तेज गति होने पर बसों का चालान किया जाएगा। प्रवर्तन दल की टीमें बसों की रफ्तार पर लगातार नजर रख रही हैं।

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