उत्तर प्रदेश

लखनऊ में मानवता शर्मसार, चार बेटों के होते हुए भी मां सड़क पर

लखनऊ मां-बाप चार बच्चों को पाल लेते हैं, मगर वही चारों बच्चे मिलकर एक मां या बाप को नहीं पाल पाते हैं। ये कहावत वरिष्ठ नागरिक दिवस यानी एक अक्टूबर को चरितार्थ दिखी। चार बेटों की मां विद्या श्रीवास्तव अलीगंज सेक्टर एम में ब्राइट-वे स्कूल के पार्क के पास लोगों को सड़क किनारे धूप में बैठी मिलीं।

करीब तीन घंटे से चिलचिलाती धूप में बैठी वृद्धा से कारण पूछा तो उनकी आंखें भर आईं। लोगों ने काफी कुरेदा तो उन्होंने रुंधे गले से चारों बेटों की कारस्तानी बताई। इस पर लोगों ने विकास नगर थाने और डायल 100 को फोन कर दिया। जिसके बाद पहुंची पुलिस ने बेटों को बुलाया। मां को ख्याल रखने की सीख दी। तब जाकर इन बुजुर्ग को फिलहाल छोटे बेटे के घर सहारा मिला। तो वहीं बड़े बेटे ने भी मां को संभालने का आश्वासन पुलिस को दिया।

करीब 75 वर्षीय विद्या को सबसे पहले सेक्टर एम में साईं मंदिर पार्क के पास रहने वाले अजय शर्मा और उनकी पत्नी अनुपमा ने देखा। सड़क किनारे धूप में बैठीं वृद्धा से पूछा कि वे यहां कैसे आईं। तब उन्होंने बताया कि खदरा मदेयगंज में वह अपने बड़े बेटे के पास रहती थीं। सुबह घर में अनबन के बाद रिक्शे पर बैठा कर उनको छोटे बेटे के घर अलीगंज सेक्टर एम भेज दिया। मगर रिक्शे वाले ने उनको पार्क के पास छोड़ दिया। वृद्धा ने अपना नाम विद्यावती बताया।

दो गठरियां संभालते हुए बोलीं कि चारों बेटों को पाल पोसकर इस लायक बनाया कि परिवार के साथ खुशी से बसर कर सकें। अब वह बूढ़ी हो गई हैं तो उन्हें कोई भी बेटा रखने को राजी नहीं। तब क्षेत्रीय लोगों ने यह जानकारी पुलिस को दी।

पुलिस के आने के बाद विद्या की छोटी बहू भी आई। उसका तर्क था कि उनके घर में जगह नहीं हैं। इस वजह से वह सास को साथ नहीं रख सकती है। तब पुलिस ने उसको ताकीद की जब तक सभी भाइयों के बीच मां को लेकर कोई सर्वसम्मत निर्णय नहीं होता है, तब तक उसे अपने घर में रखें। इसके बाद पुलिस ने बुजुर्ग विद्या को बहू के सिपुर्द कर दिया। इसके बाद में विकास नगर थाने में बड़े बेटे को बुलाया गया।

यहां एसएसआइ राजेंद्र सिंह से बड़े बेटे ने कहा कि, उसकी मां का दिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता है। इस वजह से वे उसको साथ नहीं रखना चाहते हैं। जिस पर पुलिस ने उनको समझाया कि मां का इलाज करवाएं। साथ रखें। जिस पर बड़े बेटे ने आश्वासन दिया कि अब सभी भाई मिल कर मां को समय-समय पर साथ रखेंगे।

  • संपादक कविन्द्र पयाल

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