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शासन ने पौड़ी नपा अध्यक्ष के वित्तीय अधिकार किए सीज

देहरादून : नगर पालिका परिषद पौड़ी अध्यक्ष यशपाल बेनाम पर लगे वित्तीय अनियमितता के सात में से तीन आरोप गढ़वाल मंडलायुक्त की जांच में सही साबित हुए हैं। इस आधार पर शासन ने नगरपालिका परिषद अध्यक्ष के वित्तीय अधिकारों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। पौड़ी के जिलाधिकारी को अग्रिम आदेशों तक पालिका के वित्तीय अधिकारों का जिम्मा सौंपा गया है।

पौड़ी नगरपालिका परिषद अध्यक्ष यशपाल बेनाम पर वर्ष 2013-14 में वित्तीय अनियमितता के सात आरोप लगाते हुए सभासदों ने जिलाधिकारी से शिकायत की थी। पिछली सरकार ने इन शिकायतों की जांच गढ़वाल मंडलायुक्त से कराई थी।

मंडलायुक्त ने दस अक्टूबर, 2015 और चार अगस्त, 2016 को जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। इसके बाद पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम को कारण बताओ नोटिस जारी कर आरोपों पर पक्ष रखने का मौका दिया गया था। उनका पक्ष सामने आने के बाद कुल सात आरोपों में से तीन आरोप सिद्ध पाए गए।

आरोपः पालिका गेस्टहाउस तोड़कर सामग्री बेची

मंडलायुक्त की जांच रिपोर्ट में कहा गया कि पालिका के गेस्टहाउस के बारे में पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड के सहायक अभियंता ने भवन सुरक्षित नहीं होने का प्रमाणपत्र 12 दिसंबर, 2013 को जारी किया। इस मामले में अध्यक्ष पर बोर्ड से भवन ध्वस्तीकरण का प्रस्ताव पास कराए बगैर ही यह कार्य किया गया।

जांच रिपोर्ट में यह निष्कर्ष दिया गया कि भवन ध्वस्तीकरण का प्रस्ताव बोर्ड से विधिवत पास नहीं कराया गया। इस मामले में अध्यक्ष के साथ तत्कालीन अधिशासी अधिकारी अब सेवानिवृत्त हो चुके रमेश प्रसाद सेमवाल को भी दोषी माना गया।

आरोप: शरदोत्सव को आहरित धन की सूचना बोर्ड को नहीं दी 

जांच आख्या में कहा गया कि नगरपालिका अध्यक्ष ने तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक सुंदरलाल मंद्रवाल की ओर से शरदोत्सव के लिए 10 लाख रुपये देने के आश्वासन पर पालिका निधि से उक्त धनराशि खर्च कर दी। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि अध्यक्ष व अधिशासी अधिकारी दरबान सिंह राणा ने विहित प्रक्रिया न अपनाकर बोर्ड फंड से धनराशि आवंटित की। इसमें वित्तीय अनियमितता की गई। उक्त धनराशि की विधायक निधि से प्रतिपूर्ति नहीं हुई।

आरोप: ग्रीष्मोत्सव में अनियमित रूप से कूपन छापे व बेचे

जांच रिपोर्ट मे कहा गया कि नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री की ओर से ग्रीष्मोत्सव के आयोजन को 20 लाख देने के आश्वासन पर उक्त आयोजन किए जाने का उल्लेख किया है। ग्रीष्मोत्सव पर 15 लाख रुपये व्यय किए गए, लेकिन पालिका निधि से आहरित इस धनराशि के बारे में बोर्ड बैठक में प्रस्ताव को अनुमोदित नहीं कराया गया। जांच में कहा गया कि 15 लाख की धनराशि का समायोजन किस मद से होगा, यह उल्लेख नहीं करना गंभीर अनियमितता है।

पालिका ने कूपन छपवाने का बिल प्रस्तुत किया, उसमें 50 पृष्ठ की 100 बुक छापने का उल्लेख है। लेकिन, इन कूपनों से कितनी धनराशि प्राप्त हुई और उसे किन मदों में खर्च किया गया, इसका उल्लेख या व्यय विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया। उक्त आयोजन यशपाल बेनाम परे व्यक्तिगत तौर पर कराया था और इसके लिए जिला प्रशासन या शासन से अनुमति नहीं ली गई थी।

मंडलायुक्त एवं पौड़ी जिलाधिकारी की जांच आख्या और पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम के अभिकथन के बाद शासन ने सात में उक्त तीन आरोप सिद्ध पाए। इनके आधार पर पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम के वित्तीय अधिकार सीज करने के आदेश शहरी विकास प्रभारी सचिव राधिका झा की ओर से जारी किए गए हैं।

बेनाम ने राजनीति से प्रेरित बताया  

पालिकाध्यक्ष पौड़ी यशपाल बेनाम ने वित्तीय अधिकार सीज किए जाने को राजनीति से प्रेरित बताया। कहा कि शासन स्तर पर जिन आरोप को लगाकर यह निर्णय लिया वह निराधार हैं।

उन्होंने कहा कि निष्प्रयोज्य सामग्री बेचने का

आरोप लगाया गया है, जबकि पूरी सामग्री पालिका में सुरक्षित है। जो अपर आयुक्त की जांच में सिद्ध हो चुका है। इसके बावजूद शासन ने अपर आयुक्त की जांच को दबा दिया।

बेनाम ने कहा कि प्रस्ताव वोर्ड में नही रखा गया। जो मानवीय भूल है, लेकिन निर्माण में कोई वित्तीय अनियमितता नहीं हुई है। लकी ड्रा का पालिका से कोई लेना-देना नहीं है। पालिका बोर्ड से लकी ड्रा पर कोई धनराशि खर्च करने का सवाल ही नही बनता। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपना पक्ष रखने की मांग की।

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