देश-विदेश

शूटरों की दलाली से फलफूल रहा बारूद का धंधा

देश में विदेशी हथियारों के आयात पर रोक लगने के बावजूद दुनिया की दिग्गज हथियार निर्माता कंपनियों ने भारत में अपनी जड़े जमाई हुई हैं। प्रतिबंध के बावजूद भारत में वे अपने ब्रांडेड वेपन को बेचने में कामयाब हो रहे हैं। भारत के नेशनल शूटर को कड़ी बनाकर यहां के खास लोगों को खास ब्रांड के वेपन आसानी से मुहैया कराए जाते हैं। मतलब साफ है कि बारूद के धंधे में काले धन का बखूबी इस्तेमाल हो रहा है। इसके लिए हथियार कंपनियों ने बाकायदा अपने एजेंट जगह-जगह छोड़ रखे हैं।

हिरासत में लिए गए हथियार कंपनी के एजेंट स्लोवेनिया के बोरिश के जाल में प्रशांत बिश्नोई और उसका दिल्ली निवासी दोस्त अमित गोयल फंसे हुए थे। कह सकते हैं कि ये दोनों हथियार कंपनियों के दलालों से संपर्क करके शूटरों के लाइसेंस पर करोड़ों रुपये के हथियार भारत में मंगाकर काले धन को सफेद करा रहे थे। बहरहाल, प्रशांत का दोस्त अमित विदेशी नागरिक बोरिश के साथ 14 दिन की न्यायिक हिरासत में है। प्रशांत की तलाश चल रही है।

सात दिन पहले डीआरआइ को सूचना मिली कि दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल हवाई अड्डे पर विदेशी हथियारों के मामले में कस्टम ड्यूटी चोरी की जा रही है। टीम ने छापामारी कर विदेशी नागरिक बोरिश, दिल्ली निवासी नेशनल शूटर अमित गोयल और उनके साथी बिशु को 25 विदेशी हथियारों के साथ पकड़ लिया। ये तीनों टर्किश एयरलाइंस से लिजबुलजना से इंस्ताबुल होते हुए स्लोवेनिया जा रहे थे। बोरिश ने जो पर्दाफाश किया उसे सुनकर अधिकारी भी हैरान रह गए। मामला कस्टम चोरी के साथ ही तस्कर चोरी का भी निकला। पूछताछ में बोरिश ने कुबूल किया कि वो हथियार निर्माता कंपनियों के साथ जुड़ा हुआ है। उसका काम विभिन्न देशों में शूटरों को हथियार मुहैया कराना है। बोरिश ने बताया कि साल 2017 में ही ये उसकी तीसरी भारत यात्रा है। वो शूटरों को शूटिंग वेपन के साथ ही आ‌र्म्स वेपन सप्लाई कर रहा था। पूछताछ में सामने आया कि नेशनल शूटर अमित गोयल अपने साथी प्रशांत बिशु और प्रशांत बिश्नोई के साथ विदेशी हथियारों को शूटरों के लाइसेंस पर कम दामों में खरीदकर यहां तस्करी करता था। जिस वेपन की कीमत विदेश में एक लाख रुपये है, उसे यहां पर 20 से 25 लाख रुपये में बेचा जा रहा था। पूरे मामले की जानकारी होने पर डीआरआइ ने मेरठ सिविल लाइंस में रि. कर्नल की कोठरी पर छापेमारी की तो यहां से विदेशी हथियारों का जखीरा बरामद हो गया। 50 के करीब ब्रांडेड वेपन और 50 हजार के करीब कारतूस बरामद हो गए। वन्य जीव जंतुओं की खालें और अवशेष मिल गए। पूरे मामले में सामने आया कि शूटर अमित गोयल और शूटर प्रशांत बिश्नोई हथियार कंपनियों के एजेंट बोरिश के साथ मिलकर इस रैकेट को चला रहे थे। क्योंकि विदेशी हथियार कंपनियों के एजेंट भी इस बात को जानते हैं कि भारत में विदेशी हथियारों के आयात पर प्रतिबंधित है। क्योंकि नेशनल शूटरों को हथियार खरीदने की इजाजत है, ऐसे में वे अमित गोयल और प्रशांत के माध्यम से हथियारों को भारत में लाकर उन्हें 20 लाख से लेकर 50 लाख रुपये प्रति हथियार बेचते रहे। इस खेल में अमित और प्रशांत ने दूसरे शूटरों को भी पैसे का लालच देकर अपने साथ कर लिया।

सबसे बड़ा खेल इसमें ये भी हुआ कि क्योंकि शूटर के विदेश से हथियार लाने पर उसे दो साल तक नहीं बेचने का प्रतिबंध है, ऐसे में इन्होंने इसका भी रास्ता निकाल लिया। कुछ हथियारों के पार्टस निकालकर उनमें खराबी बताते हुए पूरा खेल किया गया। यहां तक की सूचना तो ये भी है कि शूटरों को विदेशों में शूटिंग के बहाने हथियार ले जाने की इजाजत है, ऐसे में इसमें भी खेल हो रहा था। हथियारों के पार्टस ले जाकर विदेशों से कंप्लीट हथियार लाए जा रहे थे। जांच में सामने आया है कि ग्लॉक (आस्ट्रिया) ब्रेटा (इटली) आर्सेनल (इटली) बैनेले (इटली) और ब्लेजर (जर्मनी) जैसी दिग्गज हथियार कंपनियों के दूसरे एजेंट भी इन लोगों के संपर्क में थे। ऐसे में भारत में हथियार बिकवाने का काम प्रशांत और अमित गोयल ने बखूबी निभाया। डीआरआइ के अनुमान के मुताबिक बरामद 100 से ज्यादा विदेशी असलहों से पहले पिछले सालों में भारी मात्रा में विदेशी हथियारों को भारत में खपाया गया। क्योंकि एक-एक असलहे को 20 से 50 लाख रुपये में बेचा गया ऐसे में इनके ग्राहक भी आम नहीं बल्कि बेहद खास हैं। जांच में ये तमाम बातें सामने आने के बाद डीआरआइ ने बगैर कोई देर किए मेरठ में छापामारी कर दी।

जेल भेजे जा चुके हैं अमित, बोरिश और बिशु

डीआरआइ इस मामले में विदेशी नागरिक बोरिश, अमित गोयल और बिशु को दिल्ली कोर्ट में पेश कर चुकी है। जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजा जा चुका है। प्रशांत बिश्नोई की तलाश चल रही है।

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