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भारत में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन का नया युग शुरू हो रहा है; सरकार अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता मानक सुनिश्चित करने के लिए उद्योग जगत को हरसंभव सहयोग देगी: पीयूष गोयल

नई दिल्ली: एचएसएन कोड के बिना देश में किसी भी आयात की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह बात केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में कही। श्री गोयल ‘व्‍यापार में सुविधा के लिए मानक’ के विषय पर आयोजित छठे राष्ट्रीय मानक सम्‍मेलन को संबोधित कर रहे थे।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने यह भी कहा कि अब से उद्योग जगत एवं उपभोक्ताओं की ओर से घटिया उत्पादों और सेवाओं के लिए निश्चित तौर पर ‘जीरो टॉलरेंस’ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार अंतर्राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारतीय वस्तुओं और सेवाओं हेतु मानक सुनिश्चित करने के लिए उद्योग जगत को हरसंभव सहयोग देगी, ताकि ‘ब्रांड इंडिया’ की विशिष्‍ट पहचान पूरी दुनिया में गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं के प्रदाता के रूप में हो सके। श्री गोयल ने कहा कि जब तक भारतीय व्यापार और उद्योग जगत बेहतरीन मानकों को अपनी विशि‍ष्‍ट पहचान नहीं बनाएगा, तब तक भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएगा। उन्‍होंने कहा कि सरकार भारतीय उत्पादों और सेवाओं के मानकों को विश्व स्तर के अनुरूप करने के लिए प्रतिबद्ध है जो भारतीय उत्‍पादों एवं सेवाओं की उच्‍च गुणवत्ता की बदौलत हमारे निर्यात को विश्व स्तर पर स्वीकार करने में सक्षम बनाएगा। उन्होंने कहा कि ‘मेड इन इंडिया’ को गुणवत्ता, नेकनीयती और ग्राहकों की संतुष्टि की दृष्टि से 130 करोड़ लोगों की प्रतिबद्धताओं एवं उम्‍मीदों पर खरा उतरना चाहिए और सर्वोत्‍तम की दृष्टि से दूसरे पायदान पर नहीं रहना चाहिए।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने यह भी कहा कि यह भारत के लिए एक दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता है कि अन्य देशों के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) से भारत के व्यापार और व्यवसाय में वृद्धि नहीं हो पाई है क्योंकि उत्पादों एवं सेवाओं की खराब गुणवत्ता इसमें बाधक साबित हुई है। निर्यात किए जाने पर गैर-शुल्‍क बाधाओं से भी प्रतिकूल असर पड़ा। उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताते हुए यह जानकारी दी कि अमेरिका में 8000, ब्राजील में 3879 और चीन में 2872 टीबीटी (व्‍यापार में तकनीकी बाधा) हैं, जबकि भारत में इनकी संख्‍या केवल 439 टीबीटी ही है। श्री गोयल ने कहा कि यह इस तथ्य को दर्शाता है कि किस तरह से भारत और शेष विश्व विभिन्‍न उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता की अवधारणा को पर गौर कर रहे हैं।

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