उत्तर प्रदेश

इकाईयों की स्थापना तथा दुकानों के व्यवस्थापन से लगभग 60,000 नये रोजगार के अवसर हुए प्राप्त

लखनऊ: अपर मुख्य सचिव आबकारी विभाग श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा अवगत कराया गया कि मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के आदेश तथा आबकारी मंत्री श्री रामनरेश अग्निहोत्री के निर्देश के अनुपालन में प्रदेश के विकास के क्रम में नये उद्योगों की स्थापना तथा आबकारी विभाग में पहले से चली आ रही व्यवस्थाओं और नियमों को सरल कर इज आफ डूइंग बिजनेस की नीति अपनाते हुए विभागीय क्रियाकलापों को अत्यन्त आसान बनाने के लिये लगातार कार्य किये जा रहे हैं और उत्तर प्रदेश में विभिन्न औद्योगिक इकाईयों को स्थापित कराते हुए प्रदेश में निवेश के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
अपर मुख्य सचिव द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि विगत साढ़े चार वर्षों में कोआपरेटिव तथा प्राइवेट सेक्टर में कुल 12 नई आसवनियों की स्थापना की गई है। कोआपरेटिव सेक्टर के अन्तर्गत बिजनौर आजमगढ़ में 02 नई आसवनियों की स्थापना हुई है। कोआपरेटिव क्षेत्र की स्नेह रोड बिजनौर में 40 के0एल0पी0डी0 क्षमता की नई आसवनी स्थापित की गयी जिस पर 51.37 करोड़ का निवेश किया गया है। कोआपरेटिव क्षेत्र की ही सठियांव आजमगढ़ में 30 के0एल0पी0डी0 क्षमता की नई आसवनी स्थापित की गयी जिस पर कुल 56.41 करोड़ का निवेश किया गया है। इन आसवनियों की स्थापना से चीनी मिलों की आर्थिक स्थितियों में सुधार होने के साथ-साथ गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य के भुगतान में भी सुगमता होगी और अतिरिक्त रोजगार का सृजन भी प्राप्त होगा।
इसी प्रकार प्राइवेट क्षेत्र में जनपद-पीलीभीत, हरदोई, शाहजहॉंपुर, मुरादाबाद, बुलन्दशहर, लखीमपुर खीरी, बहराइच तथा सीतापुर में कुल 10 नई आसवनियों की स्थापना की गई है। इन आसवनियों की स्थापना से आसवनियों की कुल अधिष्ठापित क्षमता में लगभग 3,737 लाख लीटर की वृद्धि हुई है। इन आसवनियों की स्थापना में कोआपरेटिव क्षेत्र के अन्तर्गत जहॉं 108 करोड़ रूपये का निवेश प्राप्त किया गया वहीं प्राइवेट क्षेत्र के उद्यमियों को आकर्षित करते हुए 1,133 करोड़ रूपये का निवेश अब तक कराया जा चुका है। इसके अतिरिक्त आसवनियों के स्थापित होने से 2,291 करोड़ रूपये का और निवेश प्राप्त किया जायेगा। आसवनियों की स्थापना से प्रदेश में लगभग 3,200 नये रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
अपर मुख्य सचिव द्वारा यह भी बताया गया कि पूर्व स्थापित 20 औद्योगिक आसवनियों में 1,576.5 लाख लीटर तथा 07 आसवनियों की पेय क्षमता में 898.16 लाख लीटर की वृद्धि की गयी। क्षमता विस्तार के फलस्वरूप लगभग 1000 करोड़ रूपया का निवेश प्राप्त किया गया और 1200 व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए।
इसी प्रकार प्रदेश में विगत साढ़े चार वर्षाे में 03 यवासवनियों के स्थापित किये जाने के लिये अनुज्ञापन स्वीकृत किये गये है। यह यवासवनियॉं जनपद सम्भल, सोनभद्र तथा बाराबंकी में स्थापित की जायेंगी। इन इकाईयों की स्थापना से कुल 12.48 हेक्टोलीटर बीयर के उत्पादन में वृद्धि होगी। इन इकाईयों की स्थापना में कुल रू. 165 करोड़, उद्यमियों द्वारा निवेश किया गया है। इन इकाईयों की स्थापना में 440 रोजगार के नये अवसर प्राप्त होंगे।
प्रदेश में शहरों के विकास को देखते हुए बड़े जनपदों- कानपुर,  नोएडा,  गाजियाबाद,  गोरखपुर,  प्रयागराज,  मेरठ,  आगरा,  लखनऊ,  मुरादाबाद एवं बरेली जैसे जनपदों में बढ़ते होटल व्यवसाय और बीयर के उपभोक्ताओं को ताजा बीयर उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से शासन द्वारा माइक्रोबिवरी की स्थापना करने का निर्णय लिया गया। अब तक प्रदेश में होटल एवं रेस्टोरेन्ट उद्यमियों में जनपद नोएडा,  गाजियाबाद,  आगरा,  बरेली और लखनऊ में 12 उद्यमियों को माइक्रोबिवरी का लाइसेंस निर्गत किया जा चुका है। माइक्रोब्रिवरी जौ आधारित उद्योग होने के कारण जौ के उत्पादन में भी अनुकूल प्रभाव पड़ेगा, जिससे किसानों को भी इसका अप्रत्यक्ष रूप से लाभ प्राप्त होगा। माइक्रोब्रिवरी की स्थापना से लगभग रू. 12 करोड़ का निवेश प्राप्त किया गया है। माइक्रोब्रिवरी की स्थापना से होटल एवं पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को फ्रेश बीयर उपलब्ध हो सकेगा तथा राजस्व में भी वृद्धि होगी।
आबकारी विभाग प्रदेश में वाइनरीज उद्योगों की स्थापना के लिये भी प्रयासरत है। प्रदेश में बड़ी मात्रा में सब-ट्रापिकल फलों जैस आम जामुन पीच आदि का उत्पादन बहुतायात में होता है। खपत से अवशेष एवं खराब हो रहे फलों से वाइन उत्पादन इकाईयॉं स्थापित कराने के लिये भी सरकार लगातार प्रयासरत है। सरकार के इस योजना से फल उत्पादक किसानों के उनके खराब हो रहे फलों का सुदपयोग हो सकेगा तथा किसानों को इसका उचित मूल्य भी प्राप्त हो सकेगा तथा वाइनरीज की स्थापना रोजगार का सृजन एवं राजस्व की प्राप्त भी सुनिश्चित हो सकेगी।
प्रदेश में विगत वर्षों में कोरानों महामारी की रोकथाम मे अल्कोहल से सेनेटाइजर बनाने में कीर्तिमान स्थापित किया गया। प्रदेश में कोरोना के दौरान त्वरित गति से कुल 97 सेनेटाइजर इकाईयों को लाइसेंस प्रदान किया गया। उत्तर प्रदेश निर्मित सेनेटाइजर केवल प्रदेश में ही नही, बल्कि प्रदेश के बाहर अन्य राज्यों को भी निर्यात किया गया। सेनेटाइजर इकाईयों की स्थापना से लगभग 1700 लोगों को रोजगार के नये अवसर प्राप्त हुए तथा लगभग रू. 25 करोड़ का निवेश उद्यमियों द्वारा किया गया।
प्रदेश में बार अनुज्ञापनों की प्रक्रिया को सरल एवं सुगम बनाते हुए विगत वर्षों में 125 नये बार अनुज्ञापनों की स्वीकृति प्रदान की गयी, जिसके अन्तर्गत लगभग रू. 16 करोड़ लाइसेंस फीस के रूप में निवेश प्राप्त हुआ तथा लगभग 600 युवकों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुये।
आबकारी दुकानों के व्यवस्थापन से आबकारी व्यवसायियों द्वारा लगभग 1,800 करोड़ रूपया प्रतिवर्ष का निवेश लाइसेंस फीस के रूप में किया गया  तथा दुकानों के प्रबन्धन में लगभग 54,000 व्यक्तियों के रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गये।
अपर मुख्य सचिव श्री संजय आर भूसरेड्डी द्वारा आगे यह भी बताया गया कि आबकारी विभाग इज आफ डूइंग बिजनेस के अन्तर्गत नियमों एवं प्रक्रियाओं को सुगम एवं सरल बनाते हुए पूरी तरह से उद्यामियों से औद्योगिक इकाईयों की स्थापना और उसमें अधिकतम निवेश के लिये सतत् प्रयत्नशील है। शासन के इस प्रयास से प्रदेश में बड़ी संख्या में आसवनी, यवासवनियॉं, माइक्रोबिवरी, रेस्टोरेन्ट बार अनुज्ञापन, सेनेटाइजर इकाईयों की स्थापना सुनिश्चित की गयी जिसमें उद्यमियों से लगभग रू. 6545 करोड़ का निवेश प्राप्त हुआ तथा लगभग 60,000 लोगों के लिये रोजगार के अवसर सृजित हुए।

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