उत्तर प्रदेश

‘मा0 मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना’ को मंजूरी

लखनऊ: मंत्रिपरिषद ने निराश्रित/बेसहारा गोवंश को इच्छुक कृषकों/पशुपालकों/अन्य व्यक्तियों को सुपुर्द किये जाने हेतु ‘मा0 मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना’ को मंजूरी प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश पशुधन संख्या के दृष्टिकोण से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है, जहां पर वर्ष 2012 की पशुगणना के अनुसार 205.66 लाख गोवंश हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश में 10 से 12 लाख निराश्रित/बेसहारा गोवंश होने का अनुमान है। विभाग द्वारा निराश्रित एवं बेसहारा गोवंश के संरक्षण एवं भरण-पोषण हेतु स्थायी/अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल, वृहद् गोसंरक्षण केन्द्र/गोवंश वन्य विहार (बुन्देलखण्ड क्षेत्र में)/पशु आश्रय गृह स्थापित एवं संचालित कर उनका संरक्षण एवं भरण-पोषण किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त, प्रदेश में 523 पंजीकृत गोशालाओं को राज्य सरकार द्वारा कुल संरक्षित गोवंश की संख्या के 70 प्रतिशत की संख्या को आधार मान कर 30 रुपये प्रति गोवंश 365 दिनों के लिए अनुदान प्रदान किया जा रहा है। स्थायी/अस्थायी गो आश्रय स्थलों में संरक्षित निराश्रित गोवंश की आश्रय स्थलों में अधिक संख्या होने के कारण उनके रख-रखाव में असुविधा हो रही है, जिसके दृष्टिगत वर्तमान में व भविष्य में जिला प्रशासन द्वारा स्थापित एवं संचालित विभिन्न प्रकार के गोवंश आश्रय स्थलों में संरक्षित निराश्रित/बेसहारा गोवंश को स्थापित प्रक्रिया द्वारा इच्छुक कृषकों/पशुपालकों/अन्य व्यक्तियों को सुपुर्द करते हुए जन सहभागिता बढ़ाए जाने की योजना को लागू करने का निर्णय लिया गया है।
इस योजना के क्रियान्वयन हेतु प्रथम चरण में 01 लाख गोवंश को सुपुर्द किए जाने का प्रस्ताव है, जिस पर अनुमानित व्यय 1 अरब 9 करोड़ 50 लाख रुपये होगा।
जिलाधिकारी जनपद में ऐसे इच्छुक कृषकों/पशुपालकों/अन्य व्यक्तियों को चिन्हित कराएंगे, जो निराश्रित गोवंश को पालने हेतु तैयार हैं। ऐसे इच्छुक कृषकों/पशुपालकों/अन्य व्यक्तियों को जिलाधिकारी द्वारा 30 रुपये प्रति गोवंश/प्रतिदिन की दर से भरण-पोषण हेतु धनराशि सम्बन्धित कृषक/पशुपालक/ अन्य व्यक्ति के बैंक खाते में प्रतिमाह डी0बी0टी0 प्रक्रिया द्वारा हस्तान्तरित की जाएगी। निराश्रित/बेसहारा गोवंश (जिनमें ईयर टैग अनिवार्य होगा) को इच्छुक कृषकों/पशुपालकों/अन्य व्यक्तियों को सरकार/जिला प्रशासन द्वारा स्थापित एवं संचालित अस्थायी/स्थायी केन्द्रों के माध्यम से सुपुर्द किया जाएगा।
सरकार द्वारा संचालित अस्थायी/स्थायी केन्द्रों से सुपुर्द किए गये गोवंश से सम्बन्धित अभिलेखीकरण की कार्यवाही सम्बन्धित जिलाधिकारी द्वारा स्थानीय समिति (यथा-ग्राम पंचायत, विकासखण्ड, तहसील, जनपद स्तर) के माध्यम से करायी जाएगी एवं स्थानीय समिति प्रगति से सम्बन्धित खण्ड विकास अधिकारी/उप-जिलाधिकारी को समय से अवगत कराएगी। चिन्हित कृषक/पशुपालक/अन्य व्यक्ति सुपुर्द किये गये गोवंश को किसी भी दशा में विक्रय नहीं करेगा न ही छुट्टा छोड़ेगा।
इच्छुक कृषकों/पशुपालकों/अन्य व्यक्तियों को निराश्रित/बेसहारा गोवंश के संरक्षण/भरण-पोषण हेतु धनराशि दिये जाने से सामाजिक सहभागिता बढ़ेगी तथा निराश्रित/बेसहारा गोवंश की संख्या में कमी आएगी तथा कृषकों/पशुपालकों को आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाने में योजना सहायक होगी। निराश्रित/बेसहारा गोवंश की समस्या के निराकरण में यह योजना सहायक होगी। इससे जनसामान्य को रोजगार मिलने की भी सम्भावना है।

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