उत्तराखंड समाचार

कागजों का युग निर्माण पुस्तको व भाषणों के द्वारा युग निर्माण के सन्दर्भ में बड़ी-बड़ी घोषणाएँ हुई

उत्तराखंड सन् 2000 के पूर्व हमारे गायत्री परिवार के कार्यकर्ताओं ने खूब बढ़ा- चढ़ा कर दावा किया कि सन् 2000 के बाद युग निर्माण धरातल पर दिखायी देगा।

पर धरातल पर उतारने के लिए भागीरथ प्रयत्न कौन करेगा ?

श्रद्धेय व उसकी योग्य टीम तो मिशन का पूरा रूझान DSVV की ओर मोड़ दिए।

मदारी आएगा डुगडुगी बजाएगा। अब लोगों को लगा कि DSVV नामक विश्वविद्यालय से कुछ चमत्कार दिखेगा। दस वर्ष लोग आँख गड़ाए देखते रहे चमत्कार की आशाएँ सन् 2011 पर आकर टिक गई। सन् 2011 जन्म शताब्दी से बहुत बड़ी आशाएँ बंधी थी।

पर कहाँ बाऊ जी का होना था राजतिलक हो गया वनवास।

श्री वीरेश्वर बाऊ जी ने नम आँखों से हम सभी परिजनों को सूचित किया।

परन्तु वनवास किसका हुआ मिशन का।
श्रद्धेय व उसकी टीम का तो राजतिलक हो चुका वो तो राजसी वैभव व विलास में मदमस्त हाथी की तरह चलते रहे।

लोगों को पता भी नहीं चला कब यह हाथी मिशन को ही रौंद गया।

यह तो श्री हरगोविन्द जी द्वारा सामने लाए गए तथ्यों से उजागर हुआ कि हमारा पाला कुत्ता हमें ही काट गया।

पिटबुल मालिक के छोटे भाई को नोच-नोक कर खा गया।

हमारे मिशन ने तो H.P. Singh से लेकर बहुत पिटबुल पाले जो मिशन को नोच-नोच कर खा गए।

हरगोविन्द जी ने बहुत चाहा कि लोगों को सच्चाई का पता चले।

परन्तु बेचारे शतुर्मुर्ग सच्चाई जानकर भी रेत में अपनी गर्दन छिपाने के अलावा और क्या कर सकते हैं? जिनमें कुछ दम खम था वो मिशन से Out हो चुके हैं।

परन्तु मैं तो श्रद्धेय व उसकी टीम को धन्यवाद देना चाहूँगा कि उनकी कृपा से युग निर्माण वेंटिलेटर पर साँस ले रहा है।

श्री राम लक्ष्मण बेहोश पड़े हैं। कौन उनको नागपाश से छुड़ाएगा।

इन्द्रजीत के नागपाश से बेचारे जकड़े पड़े हैं। देखना है कौन हनुमान बनकर योद्धा लक्ष्मण की मूर्छा को तोड़ने के लिए संजीवनी लाने का दुःसाहस करता है।
मार्ग में कालनेमियों ने अपना जाल बिछा रखे हैं। जो भटकाव व बिखराव उत्पन्न करने में माहिर हैं।

छोड़ो भाई साहब ये पुरानी बाते हैं अब तो रंगमंच पर नया मदारी आ चुका है।

पुराने बूढ़े हो चले अब तो युवा व नए मदारियों का खेल देखो।

पुराने मदारी का खेल देख-देख कर ताली बजाकर एक पीढ़ी अपना सब कुछ दाँव पर लगा चुकी है। अब तो नए मदारी का नए सिरे से तमाशा प्रारम्भ होगा।
आशा है उसके मनोरंजन से आप सब अपने दुख दर्द भूल जायेंगे वह तमाशा आपको अधिक रास आएगा।

हाँ मित्रों पुराने मदारी की जबान फिसलने लगी है। वह तो अब 25 करोड़ की बात करने लगा है।

खेल तमाशा जो भी देखने आते हैं उन सभी के नाम हम जोड़ लेते हैं। फिर भी आप 25 करोड़ की गणना नहीं दिखा सकते हैं।

क्या आपके शहर में हर 100 में से एक परिजन गायत्री परिवार से जुड़ा है। मुझे तो कुछ उल्टा दिख रहा है। पहले हमारे कैम्पस में हजार में से दस व्यक्ति परिवार से जुड़े थे। अब तो मेरा परिवार ही शेष रह गया। यदि उनको कालनेमि करार दे दिया जाए तो हजार में से जीरो ही बचता है।

परन्तु वृद्धावस्था में मदारी का दिमाग फिर चुका है। पता नहीं उसने कि आधार पर 25 करोड़ की गणना कर डाली। यदि भारत की जनता 150 करोड़ मानें तो 150/25 = 6 अर्थात् प्रत्येक छठा व्यक्ति भारत का युग शिल्पी होगा। और हमारे भतगे ने अपना Logical Brain ही खो दिया है उन्हें तो मदारी परिवार ही तारनहार नजर आ रहा है।
धन्य भाग हमारे जो युग निर्माण योजना के युवा मदारी आ गए। खेल तमाशा तो बन्द नहीं होगा। आओ मिलकर उनका गुणगान करें व उनका स्वामित्व स्वीकार करें। इसके अतिरिक्त हमारी औकात भी क्या है?

किसी प्रकार युग निर्माण का ढोल तो पीटना ही है मूर्ख व मूर्दे व्यक्ति यह प्रश्न पूछने का साहस नहीं कर सकते कि आप लोग अनाप शनाप क्या घोषणाएँ करते हो।

जो थोड़े बहुत प्रतिभावान थे वो आपकी दुष्टता से दुखी होकर मिशन से पलायन कर गए।

अब युग निर्माण को ढोने के लिए कौन आएगा ?

युग निर्माण बुरी तरह घायल व रोगी कहीं अस्पताल में भर्ती है।

उसका सही इलाज करने की बजाए हम सभी खूब उछल कूद कर रहे हैं।

एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं।

किसी के पास कोई ठोस योजना नहीं बची है।

वृद्धावस्था के कारण अब तो शक्ति भी नहीं शेष रही। कौन इसके लिए मार्ग दिखाएगा सही दिशा प्रशस्त करेगा?

यही प्रश्न हम सबके सम्मुख खड़ा है। इसका जवाब जिसके पास हो कृपा सूचित करें?

नया मदारी आएगा, हमाको नाच नचाएगा,
हमसे खेल तमाशा करवाएगा,
हमे युग निर्माण के सपने दिखाएगा,
उल्लू बनाकर ठग ले जाएगा,
हमको कोई रोक नहीं पाएगा।

जय महाकाल! जय गुरुदेव

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