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कोविड-19 संकट ने आयुष ने विभिन्‍न विषयों में ‘अनुसंधान संस्कृति’ को प्रेरित किया है

कोविड-19 महामारी आयुष विषयों के स्वास्थ्य प्रोत्साहक और रोग निवारक समाधानों को सुर्खियों में लाई है, लेकिन साक्ष्‍य आधारित अध्ययन करने के लिए आयुष विषयों में उभरती हुई राष्ट्रव्यापी प्रवृत्ति इसके बावजूद भी सुर्खियों में नहीं आई है।

एक अध्ययन द्वारा 01 मार्च 2020 से 25 जून 2020 तक आयुर्वेद उपायों में शामिल कोविड-19 के पंजीकृत परीक्षणों के लिए भारत के नैदानिक परीक्षण रजिस्‍ट्री (सीटीआरआई) की गहन खोज की गई, जिसमें भाषाओं का कोई बंधन नहीं था। इस अवधि के दौरान आयुर्वेद में पंजीकृत नए परीक्षणों की संख्या 58 थी।

अगस्त 2020 की न्‍यूज रिपोर्ट से पता चला है कि सीटीआरआई में पंजीकृत 203 परीक्षणों में 61.5 प्रतिशत आयुष विषयों से थे। जर्नल ऑफ रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज में ‘सीटीआरआई में पंजीकृत कोविड-19 पर आयुर्वेद अनुसंधान अध्‍ययन; एक महत्‍वपूर्ण मूल्‍यांकन’ शीर्षक से एक नवीन अध्‍ययन प्रकाशित हुआ है जिसमें आयुष विषयों में बढ़ती हुई अनुसंधान संस्‍कृति पर प्रकाश डाला गया है।

इन सीटीआरआई पंजीकृत परीक्षणों में आयुर्वेद और कोविड-19 के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है। कुल पंजीकृत परीक्षण में लगभग 70 प्रतिशत परीक्षण सरकार और आयुष मंत्रालय से जुड़े आयुर्वेद के विभिन्न हितधारकों द्वारा प्रायोजित किए गए थे। ये परीक्षण शोधकर्ताओं को उपयोगी जानकारी उपलब्‍ध कराएंगे जिससे अगली  कार्रवाई करने की रणनीति बनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, आम जनता को भी कोविड-19 में आयुर्वेद के योगदान को समझने में सहायता मिलेगी। इन आशाजनक अध्ययनों के परिणामों पूरे होने के बाद इनके जल्‍द-से-जल्‍द प्रकाशन होंगे, जिनसे चिकित्‍सा की आयुष प्रणालियों के नीति-निर्माताओं को सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य पहलों के लाभ के लिए प्रभावी समाधानों की रणनीति बनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा ये इस चुनौतीपूर्ण समय में भारत में कोविड-19 के बारे में आयोजित किए जा रहे आयुर्वेद नैदानिक ​​परीक्षणों के परिणामों के बारे में जानने के लिए वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए भी जानकारी उपलब्‍ध कराएंगे। ये राष्ट्रीय और वैश्विक स्तरों पर सहयोगात्मक अध्ययन के लिए सूचना के संभावित स्रोत का भी निर्माण करेंगे।

इन 58 पंजीकृत परीक्षणों में 52 (89.66%) परम्परागत परीक्षण हैं, जबकि 6 (10.34%) पर्यवेक्षणीय परीक्षण हैं। इन परीक्षणों में अधिक संख्‍या लक्षित आबादी के रूप में दोनों लिंगों के वयस्क प्रतिभागियों की है। कुल 53 (91.38%) परीक्षणों में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के प्रतिभागियों को भर्ती किया गया है, जबकि केवल 05 (8.62%) परीक्षणों में 18 वर्ष से कम उम्र के प्रतिभागियों को भर्ती करने का इरादा रहा है।

केन्‍द्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद के शोधकर्ताओं द्वारा लिखा एक तात्कालिक शोध पत्र परीक्षण रजिस्‍ट्री संख्‍या और प्रायोजन, अध्‍ययन के प्रकार, अध्ययन की अवधि और अध्‍ययन के स्‍वरूप के बारे में विस्‍तृत जानकारी पर प्रशासनिक सूचना के संदर्भ के साथ कोविड-19 के नैदानिक परीक्षणों पर आधारित आयुर्वेद के बारे में विस्‍तृत जानकारी उपलब्‍ध कराता है। इसके अलावा, यह पंजीकरण की तारीख, वास्तविक अध्ययन शुरू करने की तिथि और भर्ती से संबंधित जानकारी भी उपलब्‍ध कराता है। इन सब को सीटीआरआई में 01 मार्च, 2020 से 25 जून, 2020 तक पंजीकृत परीक्षणों की जानकारी के आधार पर सम्‍मिलित, प्रस्तुत और विश्लेषित किया गया है।

इस क्षेत्र में पंजीकृत परीक्षणों की बढ़ती संख्या के साथ आयुष विषयों में ज्ञान निकाय अधिक-से-अधिक समकालीन जानकारी उपलब्‍ध कराएगा। आयुष क्षेत्र में साक्ष्य आधारित अध्ययनों की यह प्रवृत्ति देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य गतिविधियों के लिए एक महत्‍वपूर्ण वादा करती है। इस अध्ययन के परिणाम लागत प्रभावी समाधान निकल सकते हैं जिनका देशव्यापी स्‍तर पर उपयोग किया जा सकता है।

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