उत्तर प्रदेश

नीति के माध्यम से प्राथमिक क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित होंगे

लखनऊः कुक्कुट उत्पाद में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने तथा निर्यातोन्मुखी बनाने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश कुक्कुट विकास नीति-2022 प्रख्यापित की गई है। इस नीति के अन्तर्गत आगामी 5 वर्षों में 1 करोड़ 90 लाख अण्डा प्रतिदिन उत्पादन क्षमता के कामर्शियल लेयर फार्म की स्थापना तथा 1 करोड़ 72 लाख ब्रायलर चूजों के वार्षिक उत्पादन हेतु ब्रायलर पेरेन्ट फार्म की स्थापना किये जाने का लक्ष्य है। यह योजना उत्तर प्रदेश सरकार की ट्रिलियन डॉलर इकोनामी के लक्ष्य प्राप्ति में सहायक होगी तथा इससे प्राथमिक क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी सृजित होगें। यह नीति आगामी 05 वर्षों तक प्रभावी रहेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पशुपालन को लघु उद्योग के रूप में विकसित करने का निस्तर कार्य किया जा रहा है। पशुपालन के क्षेत्र में कुक्कुट विकास को प्राथमिकता देना अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि वर्तमान समय में प्रदेश में 1.60 करोड अण्डों का उत्पादन प्रतिदिन किया जा रहा है, जबकि 2.50 करोड़ अण्डों का उपभोग प्रतिदिन किया जाता है। प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरूप अण्डे की मांग में निरन्तर वृद्धि भी हो रही है।
पशुधन विभान से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुक्कुट विकास नीति के माध्यम से  जनमानस के लिए प्रोटीन युक्त आहार अण्डे की उपलब्धता सुनिश्चित कराते हुए, प्रदेश को 5 वर्षों में अण्डा उत्पादून में आत्मनिर्भर/निर्यातोन्मुखी बनाया जायेगा और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जायेगी। प्रदेश में जनमानस के लिए कुक्कुट मांस की उपलब्धता माँग के अनुसार सुनिश्चित किया जायेगा, जिससे अन्य प्रदेशों से होने वाले आयात पर निर्भरता कम हो सके। इसके अतिरिक्त प्रदेश में पशुपालन के क्षेत्र में उद्यमिता विकास कराते हुए आगामी 5 वर्षों में 1500 करोड़ रूपये का निवेश सुनिश्चित कराना है। नीति द्वारा प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन करते हुए कुक्कुट पालन द्वारा किसानों की आय को न्यूनतम दो गुना करने का भी लक्ष्य रखा गया है।
नीति के अन्तर्गत दो प्रकार की परियोजनाएँ लाभार्थियों को अनुमन्य होंगी जिसमें कामर्शियल लेयर फार्म की स्थापना के तहत तीन स्तरों की क्षमता की इकाईयों यथा 10 हजार पक्षी क्षमता कामर्शियल लेयर इकाई, 30 हजार पक्षी क्षमता कामर्शियल लेयर इकाई एवं 60 हजार पक्षी क्षमता कामर्शियल लेयर इकाई स्थापित किया जाना है, जिसकी प्रति इकाई परियोजना लागत कमशः 99.53 लाख रुपये, 250.69 लाख एवं 491.90 लाख रूपये है। उपर्युक्त इकाइयों पर लाभार्थी को बैंक से प्राप्त ऋण पर 5 वर्ष तक 07 प्रतिशत ब्याज की प्रतिपूर्ति अनुमन्य होगी। परियोजनाओं का वित्तपोषण 30 प्रतिशत मार्जिन मनी तथा 70 प्रतिशत अधिकतम ऋण पर ब्याज के अनुपात में होगी। योजना के अन्तर्गत लाभार्थी यदि उक्त से कम ऋण प्राप्त करता है तो प्रति इकाई वास्तविक लिए गये ऋण पर लाभार्थी को प्रतिवर्ष 7 प्रतिशत अथवा बैंक द्वारा निर्धारित दर (इनमें से जो भी कम है) ब्याज की वास्तविक ऋण पर गणना करते हुए 5 वर्षाे (60 माह) में वास्तविक ब्याज की प्रतिपूर्ति की जायेगी।
ब्रायलर पैरेन्ट फार्म की स्थापना योजना के अन्तर्गत एक इकाई में 10 हजार पैरेन्ट ब्रायलर पक्षी रखे जायेगें। 10 हजार पैरेन्ट ब्रायलर पक्षी इकाई की स्थापना लागत 289.07 लाख है। उपर्युक्त इकाई पर लाभार्थी को बैंक से प्राप्त ऋण पर 5 वर्ष (60 माह) तक 07 प्रतिशत ब्याज की प्रतिपूर्ति लाभार्थी को अनुमन्य होगी। परियोजनाओं का वित्तपोषण 30 प्रतिशत मार्जिन मनी तथा 70 प्रतिशत ऋण के अनुपात में होगी। योजना के अन्तर्गत लाभार्थी यदि उक्त से कम ऋण प्राप्त करता है तो प्रति इकाई वास्तविक लिए गये ऋण पर लाभार्थी को प्रतिवर्ष 7 प्रतिशत अथवा बैंक द्वारा निर्धारित दर (इनमें से जो भी कम है) ब्याज की वास्तविक ऋण पर गणना करते हुए 5 वर्षाे (60 माह) में वास्तविक ब्याज की प्रतिपूर्ति की जायेगी। प्रस्तावित नीति में व्याज उपादान पर 05 वर्षों में लगभग रू0 259.00 करोड का व्ययभार अनुमानित है। जिसमें विद्युत शुल्क योजना अन्तर्गत स्थापित कुक्कट इकाइयों के विद्युत बिल में 10 वर्षाे तक इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति पशुधन विभाग के बजट से की जायेगी। इसके अतिरिक्त नीति के अन्तर्गत स्थापित होने वाली इकाई हेतु क्रय की गयी भूमि अथवा लीज पर ली गयी भूमि पर निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार स्टाम्प शुल्क में शत-प्रतिशत छूट दी जायेगी। इस हेतु बैंक गारन्टी एवं मुख्य पशुचिकित्साधिकारी का प्रमाण-पत्र अनिवार्य होगा।
योजना के लाभ हेतु लाभार्थी का प्रदेश का निवासी होना आवश्यक है। योजना में प्रथम बार आवेदन करने वाले लाभार्थी को प्राथमिकता दी जायेगी। वर्तमान नीति के अन्तर्गत लाभार्थी/कृषक/उद्यमी को एक इकाई ही अधिकतम अनुमन्य होगी और अधिकतम एक परियोजना में ही लाभान्वित किया जायेगा। 10 हजार कामर्शियल लेयर इकाई के लिए 01 एकड़, 30 हजार कामर्शियल लेयर इकाई के लिए 25 एकड़, 60 हजार कामर्शियल लेयर इकाई के लिए 4 एकड़ एवं 10 हज़ार ब्रायलर पैरेन्ट के लिए 4 एकड़ भूमि लाभार्थी के स्वामित्व में अथवा लीज पर होना अनिवार्य है।
कुक्कुट विकास नीति के अन्तर्गत किये जाने वाले समस्त क्रियाकलापो को पशुपालन विभाग के एक डेडीकेटेड पोर्टल द्वारा संचालित किया जायेगा। कुक्कुट विकास नीति के लाभार्थियों द्वारा समस्त आवेदन इस पोर्टल पर किये जायेगें। इस प्रकार यह पोर्टल विभाग हेतु मॉनीटरिन्ग टूल होगा जिसके माध्यम से नीति के कियान्वयन का निरन्तर अनुश्रवण किया जायेगा। इस नीति के क्रियान्वयन हेतु टेक्निकल सपोर्ट एवं डेटा एनालिटिक्स आधारित क्रियाकलाप हेतु डेटाबेस मैनेजमेन्ट एण्ड प्रोजेक्ट फैसिलिटेशन सेन्टर की स्थापना कार्यालय निदेशक पशुपालन विभाग मुख्यालय में की जायेगी। यह केन्द्र विषय-विशेषज्ञों, (डोमेन एक्सपर्ट) के सहयोग से संचालित किया जायेगा।
प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास हेतु चयनित लाभार्थियों को कुक्कुट इकाई की स्थापना के दौरान प्रशिक्षण प्राप्त कराने के उद्देश्य से उद्यमिता विकास प्रबंधन एवं तकनीकी प्रशिक्षण प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर की ख्याति प्राप्त संस्थाओं के माध्यम से कराया जायेगा। लाभार्थियों को आवश्यकतानुसार अन्य राज्यों में भी कुक्कुट पालन की नवीन तकनीक की जानकारी हेतु भ्रमण कराया जायेगा।

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