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सियाचिन ग्लेशियर में विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए ‘ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम’ को हरी झंडी दिखाकर रवाना करते हुएः मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार

भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने आज नई दिल्ली के डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री सुश्री प्रतिमा भौमिक, डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर की सदस्य सचिव सुश्री उपमा श्रीवास्तव और डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर के निदेशक श्री विकास त्रिवेदी की उपस्थिति में राष्ट्रीय ध्वज फहराया।

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डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की एक श्रृंखला में भाग लेते हुए, डॉ. वीरेंद्र कुमार ने महत्वपूर्ण अभियान ‘ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम‘ को हरी झंडी दिखाई। डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर एक प्रमुख स्वायत्त अनुसंधान निकाय है, जो वंचित समुदायों को सशक्त बनाने और समाज में सामाजिक आर्थिक परिवर्तन लाने के लिए नीति संबधी सूचनाएं प्रदान करता है। देश भर से जुटे शारीरिक रूप से अशक्त लोगों की एक टीम ने इस तरह की किसी टीम द्वारा दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र तक पहुंचने का एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए सियाचिन ग्लेशियर तक जाने का एक अभियान शुरू किया।

डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर ने देश के दिव्यांगजनों की बेहतरी को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के तहत सियाचिन ग्लेशियर तक जाने के लिए शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के इस विश्व रिकॉर्ड अभियान में सहायता दी है।

सशस्त्र बलों के पूर्व कर्मियों की एक टीम, ‘टीम क्लॉ‘ द्वारा प्रशिक्षित शारीरिक रूप से अशक्त लोगों की टीम ने कुमार चौकी (सियाचिन ग्लेशियर) तक जाने का यह अभियान शुरू किया है ताकि दिव्यांगों की इस सबसे बड़ी टीम के दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र तक पहुंचने का एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया जा सके। हाल ही में, भारत सरकार ने शारीरिक रूप से अशक्त लोगों की एक टीम को सियाचिन ग्लेशियर पर चढ़ने की अनुमति दी थी।

इस महत्वपूर्ण अभियान ने वैश्विक मंच पर भारत को दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के एक अगुआ के रूप में पेश किया है और अन्य देशों के अनुकरण के लिए एक मानदंड स्थापित किया है। यह अभियान दिव्यांगजनों के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दृष्टि और सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय के शारीरिक रूप से अशक्त लोगों की अपार उत्पादक क्षमता का दोहन करने के प्रयास के अनुरूप है। साथ ही, इसने न केवल युद्ध के मैदान पर बल्कि इसके बाहर भी भारत के सशस्त्र बलों के कौशल को प्रदर्शित किया है।

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