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आईएएसएसटी के इन्सपायर प्रोफेसर पानी से जहरीले पदार्थों को हटाने के लिए प्लास्मोनिक सेमीकंडक्टर नैनोमैटिरियल्स को विकसित करने के लिए प्रयासरत

नई दिल्ली: प्रो. बिस्वजीत चौधरी इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी, असम में एक सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। वे पानी से जहरीले कार्बनिक यौगिक को हटाने के लिए सौर प्रकाश का उपयोग करके प्लास्मोनिक सेमीकंडक्टर नैनोमैटिरियल्स (यह धातु जैसी सामग्री है, जिसकी सतह पर मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं जो प्रकाश के पड़ने पर सामूहिक रूप से दोलन करते हैं) को विकसित करने के तरीकों की खोज कर रहे हैं। वे नैनोमैटेरियल्स की फोटोकैटलिटिक दक्षता को बढ़ाने के लिए सौर प्रकाश का उपयोग कर रहे हैं। वे  सौर प्रकाश का उपयोग कर रहे है ताकि प्रदूषक के प्रभाव को कम किया जा सके और साथ ही नवीकरणीय हाइड्रोजन उत्पन्न किया जा सके।

डॉ चौधरी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू की गई इन्सपायर संकाय योजना के प्राप्तकर्ता हैं। इस उद्देश्य के लिए वे प्लास्मोनिक मैटिरियल्स द्वारा फोटॉन संचय और प्रकाश के प्रवर्धन के पीछे के विज्ञान को समझने की कोशिश कर रहे है। डॉ चौधरी भौतिकी, रसायन विज्ञान और नैनोप्रोद्योगिकी विषयों को मिलाकर अध्यनन कर रहे हैं। इस विषय पर उनके दो शोधपत्र प्रकाशित हुए हैं : सोलर एनर्जी मैटेरियल्स एंड सोलर सेल्स (2019, 201, 110053) https://doi.org/10.1016/j/solmat .2019.110053 और एसीएस सस्टेनेबल केमिस्ट्री एंड इंजीनियरिंग (2019, 7, 23, 19295-19302) https://doi.org/10.1021/acssuschemeng.9b05823 ये दोनों शोधपत्र पानी से जहरीले कार्बनिक यौगिक को हटाने के लिए सौर प्रकाश का उपयोग करके प्लास्मोनिक सेमीकंडक्टर नैनोमैटिरियल्स के उपयोग करने के विषय पर आधारित हैं।

डॉ चौधरी ऐसे मैटिरियल्स विकसित कर रहे हैं, जो आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे विषैले आयनों को पानी से आसानी से सोख सकता है और सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर इसे गैर विषैले रूपों में परिवर्तित कर सकता  हैं। आर्सेनिक और फ्लोराइड पूर्वोत्तर भारत में पानी में अक्सर पाए जाते हैं।

इस काम का एक और विस्तार, पानी से हाइड्रोजन (एच 2) ईंधन का उत्पादन  है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम कर सकता है। वे हाइड्रोजन ऊर्जा उत्पादन के लिए प्लास्मोनिक नैनोमैटिरियल्स का उपयोग कर रहे हैं । यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसने दृश्य (विजिबल)  और इन्फ्रा – रेड प्रकाश के तहत हाइड्रोजन रूपांतरण दक्षता के लिए उच्च फोटॉन दिखाया है।

फेलोशिप अनुदान उन्हें प्रयोगशाला स्तर पर उत्प्रेरकों की फोटोकैटलिटिक दक्षता का परीक्षण करने के लिए एक फोटोकैटलिटिक डिजाइन स्थापित करने में मदद कर रहा है। वह आस-पास के विभिन्न स्थानों से प्रदूषित पानी का संग्रह कर रहे हैं और पानी को पीने लायक बनाने के लिए पानी से जहरीली सामग्री को हटाने का परीक्षण कर रहे हैं।

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