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भारतीय तटरक्षक 19 जून को दिल्ली में 12वीं आरईसीएएपी आईएससी क्षमता निर्माण कार्यशाला की सह-मेजबानी करेगा

नई दिल्ली: भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) 19-20 जून को दिल्ली में 12वीं आरईसीएएपी आईएससी क्षमता निर्माण कार्यशाला की सह-मेजबानी करेगा। यह कार्यशाला एशिया में जहाजों की समुद्री डकैती और सशस्त्र डकैतियों से निपटने के लिए क्षेत्रीय सहयोग अनुबंध के बारे में आयोजित की जा रही है।

आरईसीएएपी एशिया में समुद्री डकैती और सशस्त्र डकैती से निपटने के लिए विभिन्न सरकारों के बीच पहला क्षेत्रीय अनुबंध है। वर्तमान में इसके 20 सदस्य हैं। भारत ने जापान और सिंगापुर के साथ मिलकर आरईसीएएपी आईएससी की स्थापना और कामकाज के बारे में सक्रिय भूमिका निभाई है। केंद्र सरकार ने आरईसीएएपी के लिए भारतीय तट रक्षक बल को भारत में केंद्र बिंदु के रूप में नामित किया है। भारत ने नवम्बर, 2011 में गोवा में और दिसंबर, 2017 में नई दिल्ली में इस कार्यशाला का पहले भी आयोजन किया है।

आरईसीएएपी अनुबंध के तहत जानकारी साझा करना, क्षमता निर्माण और पारस्परिक कानूनी सहायता सहयोग के तीन स्तम्भ हैं। अनुबंधित दलों और समुद्रीय समुदाय के बीच सूचनाओं को एकत्र करने और प्रसारित करने के लिए सिंगापुर में एक सूचना साझा केंद्र (आईएससी) की स्थापना की गई है। क्षमता निर्माण कार्यशाला आईएससी द्वारा हर साल आयोजित की जाती है जिसकी अनुबंधित दलों में से कोई एक देश सह-मेजबानी करता है। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य एशिया में जहाजों के खिलाफ समुद्री डकैती और और सशस्त्र डकैती की नवीनतम स्थिति को साझा करना तथा इस बारे में एशियाई देशों की श्रेष्ठ प्रक्रियाओं को अपनाना है।

इस कार्यशाला का उद्देश्य समुद्री डकैती और और सशस्त्र डकैती से संबंधित विभिन्न मुद्दों जैसे अंतर्राष्ट्रीय कानून, अभियोजन प्रक्रिया, फोरेंसिक, उभरते खतरों के बारे में प्रतिभागियों की जानकारी को मजबूत बनाना है। इस कार्यशाला में 19 देशों के कुल 31 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि भाग लेंगे। प्रमुख बंदरगाह, राज्य समुद्री बोर्ड, राज्य समुद्री पुलिस, महानिदेशक शिपिंग और इंडियन नेशनल शिप-ऑनर्स एसोसिएशन  जैसे राष्ट्रीय हितधारकों के पदाधिकारी भी इस कार्यशाला में भाग लेंगे।

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