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जल शक्ति राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण की प्रगति की समीक्षा की

जल शक्ति राज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया ने आज पेयजल और स्वच्छता विभाग के तहत स्वच्छ भारत मिशन – ग्रामीण (एसबीएम-जी) की प्रगति की समीक्षा की। कोविड-19 महामारी की वजह से उत्पन्न चुनौतियों के बीच यह मिशन लगातार प्रगति कर रहा है। यह विभाग मौजूदा समय में तेजी से काम काम कर रहा है और महामारी की वजह से लागू सख्त नियमों के बीच राज्य स्तर पर कार्यान्वयन और सहयोग की क्षमता को बढ़ाने के लिए मई 2020 में इसने योजना के लिए दिशानिर्देश जारी किए और नियमावली, ब्रोशर, एडवाइजरीज़ को संकलित किया।एसबीएम के दूसरे चरण की घोषणा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2020 यानी भारत में कोविड की पहली लहर से ठीक पहले की थी। इसके पहले चरण का समापन अक्टूबर 2019 में राष्ट्र को खुले में शौच मुक्त करने की बड़ी घोषणा के साथ हुआ। अब दूसरा चरण पहले चरण में प्राप्त की गई उपलब्धियों को बनाए रखने और ग्रामीण भारत में ठोस/तरल और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए पर्याप्त सुविधाएं देने पर जोर देता है।  https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001PEPI.jpg

तमाम बाधाओं का सामना करने के बावजूद, अधिकारियों ने राज्यों को 40,705 करोड़ रुपये की वार्षिक कार्यान्वयन योजना को तैयार करने और जमा करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया। इसे एनएसएससी-राष्ट्रीय योजना मंजूरी समिति द्वारा भी अनुमोदित किया गया है। यह उत्साहजनक है कि बेहद कम समय में, 1.1 लाख गांवों ने ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम/एलडब्ल्यूएम) कार्य की सूचना दी। लगभग 2.41 लाख गांवों ने न्यूनतम कूड़े और रुके हुए अपशिष्ट जल की सूचना दी। 1249 गांवों ने खुद को ओडीएफ प्लस घोषित किया, 53,066 सामुदायिक खाद्य गड्ढे और 10.4 लाख घरेलू स्तर के एसएलडब्ल्यूएम संपत्ति का निर्माण किया गया। गांवों में लगभग 1.60 लाख जल निकासी कार्य होने की भी सूचना है।  

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ज्यादातर प्रशासनिक संसाधनों के  कोविड-19 महामारी में लगे होने के बावजूद एसबीएम-जी के तहत लक्ष्य की प्राप्ति के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करने के लिए राज्य मंत्री ने अधिकारियों की सराहना की। श्री कटारिया ने जमीनी स्तर पर स्वच्छता परिदृश्य के नियमित रूप से आकलन और सरकार के तीसरे स्तर – ग्राम पंचायत और राज्य सरकारों के साथ समन्वित योजना और साथ मिलकर कार्यवाही के जरिए उभरती चुनौतियों को संबोधित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री कटारिया ने कहा कि महामारी ने इस देश के लोगों को अपने निजी स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर संवेदनशील बनाया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए इस जागरुकता का निर्माण किया जाना चाहिए।

साल 2021-22 के लक्ष्यों में 51,05,534 आईएचएचएल का निर्माण, 2,07,945 गांवों में एसडब्ल्यूएम परियोजनाएं, 1,82,517 गावों में ग्रे वॉटर मैनेजमेंट, 2,458 ब्लॉक्स में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन ईकाई और 386 गोबर-धन परियोजनाएं शामिल हैं। गोबरधन योजना की शुरुआत ग्रामीण स्तर पर गाय के गोबर और जैविक कृषि अपशिष्ट के निपटान के लिए पर्यावरण अनुकूल और आर्थिक रूप से  सक्षम समाधान प्रदान करने के प्रधानमंत्री के विजन को प्रभावी रूप से साकार करने के लिए 2018 में हुई थी। इस परियोजना के लिए स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण को नोडल निगरानी एजेंसी बनाया गया था जो नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के बीच तालमेल बनाता है। अब तक, बायोगैस संयंत्र की स्थापना के लिए 85 स्थानों की पहचान की गई है और 34 को पूरा कर लिया गया है। इस प्रकार की परियोजनाओं की योजना बनाने में छत्तीसगढ़ राज्य आगे है और जल्द ही भारत भर से ग्राम पंचायत द्वारा अनुकरण की कई सफल कहानियां उपलब्ध होंगी।

श्री कटारिया ने 15वें वित्त आयोग द्वारा जल और स्वच्छता क्षेत्र के लिए 2021-25 की समयावधि में 1.42 लाख करोड़ रुपये के ऐतिहासिक आवंटन की प्रशंसा की और इसे ग्राम पंचायतों के लिए गेम चेंजर बताया। उन्होंने कहा कि यह ओडीएफ प्लस का दर्जा हासिल करने और अपशिष्ट प्रबंधन इकोसिस्टम को उन्नत करने के प्रयासों को बढ़ावा देगा। एसडब्ल्यूएम संबंधी कार्यों और संबंधित तकनीकी सहयोग सामग्री व दिशानिर्देशों की निगरानी के लिए विभाग जल्द ही एक एमआईएस प्रणाली जारी करने जा रहा है। 

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