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महिला एवं बाल विकास मंत्रालय बच्चों के विचारों, अधिकारों और पोषण विषय के साथ 14 से 21 नवंबर तक आज़ादी का अमृत महोत्सव सप्ताह मना रहा है

इन दिनों स्वतंत्र भारत के 75 वर्ष का जश्न मना रहे हैं, ऐसे में महिला और बाल विकास मंत्रालय गतिविधियों और कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की मेजबानी करने की योजना बना रहा है जो मंत्रालय के व्यापक दृष्टिकोण, यानी महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास के अनुरूप है। 14 नवंबर से 21 नवंबर 2021 तक बच्चों के विचारों, अधिकारों और पोषण विषय को शामिल करने वाली गतिविधियों की योजना बनाई गई है। इन गतिविधियों में बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) और विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों में जनसम्पर्क गतिविधियां, दत्तक जागरूकता कार्यक्रम, कानूनी जागरूकता, बाल और किशोर स्वास्थ्य, बाल अधिकार आदि पर सेमिनार / वेबिनार शामिल हैं। इसका उद्देश्य बाल अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सप्ताह का उपयोग करना और इस दिशा में बड़े पैमाने पर समुदाय की सामूहिक विचार प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना है।

मंत्रालय ने आज यानी 14 नवंबर, बाल दिवस के रूप में विभिन्न बाल देखभाल संस्थानों में कई गतिविधियों के साथ इस सप्ताह की शुरुआत की। महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने आज नई दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री एन.वी. रामणा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के ‘अखिल भारतीय विधिक जागरूकता और जनसम्पर्क अभियान’ के समापन समारोह में भाग लिया। अमृत​महोत्सव के हिस्से के रूप में आयोजित इस कार्यक्रम ने लगभग 70 करोड़ भारतीयों को प्रभावित किया और उन्हें उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक किया। बच्चों के विकास और संरक्षण के लिए उनके कानूनी अधिकारों पर जोर देने के लिए एनएएलएसए का आभार व्यक्त करते हुए, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती इरानी ने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने भी निमहंस के सहयोग से संवाद के माध्यम से सुनिश्चित किया है कि 1 लाख से अधिक हितधारकों को संकटग्रस्त बच्चों की मदद करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। मंत्री महोदया ने बताया कि अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में, संवाद के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय बच्चों के साथ काम करने वाले पेशेवरों के लिए हस्तक्षेप (कानूनी और मानसिक स्वास्थ्य) और बाल यौन शोषण से निपटने के लिए आवश्यक कौशल पर कार्यशालाओं का आयोजन करेगा। ये कार्यशालाएं 8 जनवरी से 22 फरवरी 2022 के बीच आयोजित की जाएंगी।

इस सप्ताह के दौरान, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, मेघालय और मणिपुर जैसे राज्यों में फैले कम से कम 17 बाल देखभाल संस्थानों के दौरे की योजना बनाई गई है। इन गतिविधियों में भारत की सांस्कृतिक विरासत पर बच्चों के लिए वीडियो स्क्रीनिंग, लोक नृत्य, राष्ट्रीय संग्रहालय का दौरा, भारत के महान नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में कहानी सुनाना, भारतीय इतिहास और विरासत पर प्रश्नोत्तरी और इको क्लब की मदद से पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम शामिल होंगे।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय की सहायता से प्रवासी भारतीय बच्चों के लिए ‘देखो अपना देश’ विषय पर एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित कर रहा है। इसके अलावा, इस कार्यक्रम में संवाद के माध्यम से बाल और किशोर मानसिक स्वास्थ्य तथा बाल यौन शोषण पर राष्ट्रीय परामर्श शामिल होगा। ये परामर्श महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और निमहंस के तत्वावधान में जनवरी और फरवरी 2022 के महीनों के दौरान बाल यौन शोषण पर काम करने के लिए आवश्यक हस्तक्षेप और कौशल पर चर्चा के माध्यम से आगे बढ़ेंगे।

इसके अलावा, गोद लेने वाले माता-पिता और भावी दत्तक माता-पिता के लिए गोद लेने से संबंधित कानूनी और प्रक्रियात्मक प्रक्रियाओं के लिए बेंगलुरु, कोलकाता, गुवाहाटी, लखनऊ, पटना, पुणे और चंडीगढ़ में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे। हाल ही में जेजे अधिनियम में संशोधन किए गए थे, जिसके बाद एनआरआई भावी दत्तक माता-पिता के लिए गोद लेने के नियमों को संशोधित किया गया है, इसलिए राज्य दत्तक ग्रहण प्राधिकरणों और विदेशों में भारतीय मिशनों के लिए जागरूकता वेबिनार / सेमिनार आयोजित किए जा रहे हैं।

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