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मोदी सरकार का भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार, CBIC के 22 वरिष्ठ अधिकारियों को किया जबरन रिटायर

नई दिल्लीः केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने सोमवार को 22 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया है। जनहित के मौलिक नियम 56 (जे) के तहत अधीक्षक / एओ रैंक के 22 वरिष्ठ अधिकारियों को रिटायर किया गया है। इन सभी पर भ्रष्टाचार और गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं।

पहले भी सरकार ले चुकी है फैसला 
यह पहली बार नहीं है जब केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड में वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर किया गया है। इससे पहले बीते जून महीने में 15 अधिकारियों की छुट्टी की गई थी। ये अधिकारी CBIC के प्रधान आयुक्त, आयुक्त, और उपायुक्त रैंक के थे। इनमें से ज्यादातर के ख‍िलाफ भ्रष्टाचार, घूसखोरी के आरोप हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालते ही टैक्स विभाग के 12 वरिष्ठ अफसरों को जबरन रिटायर कर दिया था।एक टैक्स अधिकारी ने कहा, ‘यह कार्रवाई प्रधानमंत्री के लाल किले से जताई गई उस चिंता के बाद की गई है जिसमें उन्होंने कहा था कि टैक्स प्रशासन के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने अपने शक्तियों का दुरुपयोग कर करदाताओं को प्रताड़ित किया होगा। उन्होंने या तो ईमानदार करदाताओं को निशाना बनाया होगा या फिर छोटी-छोटी गलतियों और प्रक्रियागत खामियों पर बड़ी कार्रवाई की होगी।’

जानें क्या है नियम 56?
दरअसल, मौलिक नियम 56 का इस्तेमाल ऐसे अधिकारियों पर किया जा सकता है जो 50 से 55 साल की उम्र के हों और 30 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। सरकार के पास यह अधिकार है कि वह ऐसे अधिकारियों को अनिर्वाय रिटायरमेंट दे सकती है। ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-परफॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर करना होता है। ऐसे में सरकार यह फैसला लेती है कि कौन से अधिकारी काम के नहीं हैं। SOURCE पंजाब केसरी

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