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पभोक्ताओं के लिए वहनीय न्याय पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है: पीयूष गोयल

देश भर में उपभोक्ता आयोगों द्वारा त्वरित और किफायती न्याय पर बल देते हुए केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, वस्त्र और वाणिज्य तथा उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय कार्यशाला में आग्रह किया कि सभी आयोगों को यह देखने की आवश्यकता है कि कैसे डिजिटल मीडिया जैसे कि व्हाट्सएप और ई-मेल का नोटिस, जवाब और अन्य दस्तावेज जारी करने के लिए उदारतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है।

श्री गोयल ने उपभोक्ता कार्य विभाग द्वारा आयोजित राज्य के प्रधान सचिवों के साथ राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों, राज्य आयोगों के अध्यक्ष और सदस्यों और चयनित जिला आयोगों के अध्यक्षों के साथ ‘प्रभावी और त्वरित उपभोक्ता विवाद निवारण’ पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया।

श्री गोयल ने कहा कि उपभोक्ता आयोगों को मामलों के निपटारे में तेजी लाने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुसार समय-सीमा का निष्ठापूर्वक पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयोगों को मामलों को दाखिल करने के 3 से 5 महीने के भीतर निपटाने में सक्षम होना चाहिए जिससे उपभोक्ताओं को त्वरित न्याय मिल सके।

श्री गोयल ने कहाकि उपभोक्ता विवादों के निपटारे का एक तेज और सौहार्दपूर्ण तरीका प्रदान करने के लिए, नया अधिनियम (उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 जो जुलाई 2020 से लागू हुआ) दोनों पक्षों की सहमति से मध्यस्थता के लिए उपभोक्ता विवादों का संदर्भ भी प्रस्तुत करता है। इससे न केवल विवाद को सुलझाने में लगने वाले समय और धन की बचत होगी, बल्कि लंबित मामलों को कम करने में भी मदद मिलेगी। सरकार इलेक्ट्रॉनिक मध्यस्थता (ई-मध्यस्थता) के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए भी सक्रिय कदम उठा रही है।इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि जब भी पार्टियां मामलों के निपटारे के लिए मध्यस्थता का विकल्प चुनना चाहें तो स्थान और दूरी की बाधाएं सामने नहीं आनी चाहिए। अबतक 153 जिला आयोगों और 11 राज्य आयोगों ने राष्ट्रीय आयोग के साथ मध्यस्थता केंद्रों की स्थापना की है। मैं सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से मध्यस्थता केंद्रों की स्थापना और मध्यस्थों की नियुक्ति के कार्य में तेजी लाने का अनुरोध करना चाहूंगा।

उन्होंने आगे जमा किए जाने वाले सभी दस्तावेजों के डिजिटलीकरण के महत्व पर प्रकाश डाला और सभी आयोगों से ई-दस्तावेज व्यवस्था लागू करने और उपभोक्ताओं के लिए परेशानी मुक्त प्रक्रिया को सक्षम करने के लिए सभी दस्तावेजों और प्रक्रिया को ऑनलाइन मोड में लाने का आग्रह किया। उन्होंने बल देकर कहा कि प्रक्रिया के सरलीकरण से अधिक प्रभावी और सस्ती न्याय प्रणाली तैयार होती है।

उन्होंने कहाकि उपभोक्ता शिकायतों के निवारण की दिशा में देरी से निपटान और मामलों का भारी संख्या में लंबित होना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने इशारा करते हुए कहाकि 14 जून 2022 के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय आयोग में 22,608 मामले लंबित थे; राज्य आयोग में 1,49,608 और जिला आयोग में 4,66,034 मामले लंबित थे। उन्होंने कहाकि बार-बार स्थगन की मांग करने वालों से भी निपटा जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि इसी तरह के मामलों को एक साथ जोड़कर और इसे एक साथ व्यवस्थित करके लंबित मामलों को कम किया जा सकता है।

‘न्याय में विलंब को न्याय से वंचित करना’ की कहावत पर प्रकाश डालते हुए श्री गोयल ने कहा कि ई-फाइलिंग की तरह, ई-निपटान को भी महत्व प्रदान किया जाना चाहिए। उन्होंने ई-दाखिल पोर्टल की प्रगति की सराहना की। यह पोर्टल उपभोक्ता शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करने में सक्षम बनाता है। उन्होंने अधिकारियों से सभी मामलों में वर्चुअल माध्यम से सुनवाई की सुविधा प्रदान करने का आग्रह किया।

मामलोंकेनिपटानमेंतेजीलानेकेलिए, वर्ष 2019 केअधिनियममेंप्रावधानहैकिजिलाआयोगस्वीकारकीगईशिकायतकीएकप्रतिउसकेप्रवेशकीतारीखसे 21 दिनोंकेभीतरविरोधीपक्षकोभेजेगा।विपक्षीको 30 दिनोंकेभीतरअपनाजवाबदेनाहोगाजिसेअधिकतम 15 दिनोंकेलिएबढ़ायाजासकताहै।इनपहलोंसेलंबितमामलोंकोकमकरनेऔरमामलोंकातेजीसेनिवारणप्राप्तकरनेकीआशाहै।आयोगोंसेयहअपेक्षाकीजातीहैकिवेउपभोक्ताओंकेहितमेंअपनीपूरीक्षमतासेकामकरेंगेऔरपुरानेलम्बितमामलोंकाप्राथमिकताकेआधारपरनिस्तारणकरेंगे।

उन्होंने बल देकर कहा कि उपभोक्ता राजा है और उपभोक्ता भारत सरकार की सभी गतिविधियों का केंद्र है। इसलिए, राज्य आयोगों को बुनियादी ढांचे को मजबूत करना चाहिए जिसके लिए केंद्र समर्थन देगा। उन्होंने आगे बल देकर कहा कि उपभोक्ता आयोगों में काम करने वाले सभी लोगों की नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वे अपने काम को न केवल नौकरी के रूप में बल्कि नागरिकों की सेवा के रूप में मानें। केंद्रीय मंत्री इस बात के लिए आशान्वित थे कि अब से छह महीने बाद दिसंबर 2022 में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के दौरान आयोग शिकायतों के त्वरित निपटान की दिशा में अपने काम की समीक्षा कर सकेंगे।

उन्होंनेआगेभारतीयमानकब्यूरो-बीआईएसऔरराष्ट्रीयपरीक्षणऔरअंशशोधनप्रयोगशालाप्रत्यायनबोर्ड-एनएबीएलमान्यताप्राप्तप्रयोगशालाओंकीप्रस्तावितसेवाओंकाउपयोगउपभोक्ताआयोगोंद्वाराउपभोक्ताशिकायतोंकेसमयपरसमाधानकेलिएकियाजासकताहै, जिसकेलिएउत्पादपरीक्षणऔरविश्लेषणकीआवश्यकताहोतीहै।

केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और ग्रामीण विकास मंत्रालय राज्य मंत्री सुश्री साध्वी निरजन ज्योति ने अपने मुख्य भाषण में रेखांकित किया कि हम सभी अपने दैनिक जीवन में उपभोक्ता हैं और निश्चित रूप से हमारी शिकायतों के त्वरित निवारण की अपेक्षा करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने उपभोक्ताओं को त्वरित न्याय देने के लिए समाधान खोजने के संबंध में “जैसा हमारा कथन हो वैसा ही हमारा चिंतन होना चाहिए” का हवाला दिया। उन्होंने यह भी बताया कि आज की डिजिटल दुनिया में उपभोक्ता ऑनलाइन विपणन के दुष्चक्र में फंस जाता है और नुकसान झेलता है और यहां तक ​​कि विनिर्माताओं और व्यापार को भी इस तरह की प्रथाओं के कारण नुकसान होता है। सुश्री निरंजन ज्योति ने आशा व्यक्त की कि आज की कार्यशाला से भविष्य में अभिनव सुझाव सामने आएंगे।

राष्ट्रीयउपभोक्ताविवादनिवारणआयोग-एनसीडीआरसीकेअध्यक्षमाननीयश्रीन्यायमूर्ति, आरकेअग्रवालनेअपनेमुख्यभाषणमेंइसबातपरप्रकाशडालाकि “न्यायमेंदेरीन्यायसेइनकारहै”।उन्होंनेआगेकहाकित्वरितन्यायकाअधिकारहमारेसंविधानमेंनिहितहैऔरमाननीयसर्वोच्चन्यायालयद्वारासार्वभौमिकरूपसेमान्यताप्राप्तहैऔरदोहरायागयाहैकिसमयपरन्यायऔरत्वरितन्यायसंविधानकेअंतर्गतजीवनकेअधिकारकाएकपहलूहै।

उन्होंने आगे बताया कि राष्ट्रीय, राज्य और जिला आयोग में लगभग 89 प्रतिशत की निपटान दर के साथ कुल 6 लाख मामले लंबित हैं। जबकि, मामलों के निपटान में देरी के कारणों की ओर इशारा करते हुए, उन्होंने उल्लेख किया कि न्यायाधीश पर्याप्त नहीं हैं क्योंकि न्यायाधीश और जनसंख्या का अनुपात 21: 1 मिलियन है। उन्होंने न्यायिक प्रभाव मूल्यांकन, मामले/न्यायालय प्रबंधन, वर्गीकरण और मामलों को वैज्ञानिक तरीके से सौंपने का आह्वान किया। उन्होंने आगे कहा, वैकल्पिक विवाद निवारण विधियों यानी लोक अदालत / मध्यस्थता और बीच बचाव पर अधिक बल दिया जाना चाहिए।

उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव श्री रोहित कुमार सिंह ने सूचना और प्रौद्योगिकी के 4 चरणों पर प्रकाश डाला जिसमें सूचना, बातचीत, लेनदेन और परिवर्तन शामिल हैं। श्री सिंह ने बल देकर कहा कि इन 4 चरणों को आईटी सक्षम शिकायत निवारण प्रणाली जैसे ई फाइलिंग की प्रक्रिया, ऑनलाइन सुनवाई, ई-कोर्ट, ई-मध्यस्थता और ई-निपटान में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे बल देते हुए कहा कि आवश्यक प्रक्रियाओं और सूचना-प्रौद्योगिकी सक्षमता के साथ, ‘दृढ़ संकल्प’ प्रमुख प्रेरक है। श्री सिंह ने ‘सबका साथ, सबका प्रयास’ का हवाला देते हुए सभी प्रतिभागियों से त्वरित और समय पर निवारण प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास करने का आग्रह किया।

उद्घाटनसमारोहकेबाद, विभिन्नउपभोक्ताआयोगोंकेसामनेआनेवालेमुख्यमुद्दोंपरविचार-विमर्शकरनेऔरकानूनीप्रावधानोंऔरप्रौद्योगिकीकेसमर्थनसेऐसीचिंताओंकोदूरकरनेकेउद्देश्यसेतकनीकीसत्रआयोजितकिएगएथे।

तकनीकी सत्रों में जिन कुछ प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई, उनमें : स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों के साथ विचार-विमर्श, रिक्तियों की वर्तमान स्थिति और राज्य और जिला आयोगों में लंबित मामले और उपभोक्ता शिकायतों के प्रभावी और त्वरित निवारण के लिए एक रूपरेखा निर्धारित करना, राज्य और जिला आयोगों में ई-फाइलिंग की वर्तमान स्थिति, उपभोक्ता शिकायत के निवारण में एक पूर्व मुकदमेबाजी उपाय के रूप में मध्यस्थता को लोकप्रिय बनाना और उपभोक्ताओं के लिए ई-फाइलिंग पसंदीदा विकल्प बनाने के लिए सुझाव, राज्य और जिला आयोगों में मध्यस्थता की वर्तमान स्थिति और मध्यस्थता के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 में निर्धारित एक प्रभावी व्यवस्था स्थापित करने के लिए सुझाव, राज्य और जिला आयोगों में बुनियादी ढांचे की वर्तमान स्थिति और उसमें सुधार के लिए सुझाव और अन्य मुद्दे शामिल थे।

राज्यऔरजिलाआयोगोंकेबीचबुनियादीढांचेकीवर्तमानउपलब्धताऔरभविष्यकीआवश्यकताकाविवरणप्रदानकरनेकाअनुरोधकरनेवालाप्रारूपप्रसारितकियागयाथा।प्राप्तप्रतिक्रियाकेआधारपर, उपभोक्ताकार्यविभागकमियोंकोदेखेगाऔरआवश्यकताकेअनुसारसुविधाएंप्रदानकरेगा।

उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव श्री रोहित कुमार सिंह, अतिरिक्त सचिव सुश्री निधि खरे, संयुक्त सचिव श्री अनुपम मिश्रा और श्री विनीत माथुर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों, उपभोक्ता आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों तथा स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

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