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राज्यों ने इन नए कॉलेजों में स्‍‍नातक पाठ्यक्रमों को जल्द शुरू करने के लिए केन्‍‍द्रीय निधि के उपयोग में तेजी लाने का आग्रह किया

केन्‍द्र ने 14 राज्यों से केन्‍द्रीय निधियों के उपयोग में तेजी लाने और स्‍‍नातक पाठ्यक्रमों को जल्द शुरू करने के लिए केन्‍द्र प्रायोजित योजना के तहत अनुमोदित मौजूदा जिला/रेफरल अस्पतालों से जुड़े नए मेडिकल कॉलेजों को तेजी से पूरा करने का आग्रह किया है। इन परियोजनाओं की धीमी प्रगति पर जोर दिया गया था। केन्‍द्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण ने वीडियो कॉन्फ्रेंस (वीसी) के माध्यम से आज 14 राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों और निदेशकों (चिकित्सा शिक्षा) के साथ प्रगति की समीक्षा करते हुए इन परियोजनाओं की धीमी प्रगति पर दृढ़तापूर्वक प्रकाश डाला। इस योजना के तहत 2014 से अब तक तीन चरणों में 157 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए गए हैं।

समीक्षा बैठक में भाग लेने वाले राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, ओडिशा और पंजाब शामिल थे।

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केन्‍द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों से शैक्षणिक सत्र 2023-24 तक स्‍‍नातक पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए परियोजनाओं को पूरा करने में तेजी लाने का आग्रह किया। यह कहा गया कि चूंकि योजना 31 मार्च 2024 को समाप्त होगी, इसलिए सभी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने की आवश्यकता है। यह भी जानकारी दी गई कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए मानव संसाधन स्वास्थ्य (एचआरएच) और चिकित्सा शिक्षा (एमई) की योजनाओं के लिए 7,500 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है, हालांकि, राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के खर्च की धीमी गति के कारण और चूंकि राज्यों से धन जारी करने की कोई मांग नहीं की गई है, केन्‍द्र द्वारा राज्यों को आगे धन जारी नहीं किया जा सकता है। राज्यों को आगे सूचित किया गया कि केन्‍द्र को शेष राशि जारी करने में सक्षम बनाने के लिए उपयोग प्रमाण पत्र तत्काल प्रस्तुत करना होगा। राज्य प्रशासन को भी दृढ़ता से सलाह दी गई कि वह नियमित रूप से प्रगति की समीक्षा करे और परियोजना की प्रगति तथा वित्तीय प्रगति की निगरानी के लिए केन्‍द्रीय मंत्रालय के पोर्टल को तत्काल अपडेट करे।

केन्‍द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने नई प्रौद्योगिकियों के लाभों पर जोर दिया जिनका पारंपरिक तकनीकों के विपरीत कई परियोजनाओं में उपयोग किए जाने के कारण वह तेजी से पूरी हुई हैं और उन्‍‍होंने ऊर्जा संरक्षण का उच्च स्तर स्‍‍थापित किया है। राज्यों को सलाह दी गई कि वे स्थानीय रूप से महत्वपूर्ण और हरित प्रौद्योगिकी विकल्पों का पता लगाएं तथ उनका उपयोग करें। यह भी बताया गया कि कुछ परियोजनाएं धीमी पड़ रही हैं क्योंकि निर्माण कंपनियों के पास अस्पतालों के निर्माण और संबंधित विशिष्ट सेवाओं के प्रावधान के संबंध में अपेक्षित अनुभव नहीं है। राज्यों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई कि चुनिंदा ठेकेदारों के पास पर्याप्त विशेषज्ञता और अनुभव है, और उप-अनुबंध भी इन आवश्यकताओं के पीछे-पीछे चलता है।

भारत सरकार ने जनवरी, 2014 में “मौजूदा जिला/रेफरल अस्पतालों से जुड़े नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना” के लिए केन्‍द्र प्रायोजित योजना शुरू की थी, जिसमें पूर्वोत्तर/विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में और अन्य राज्यों के लिए 60:40 के अनुपात में केन्‍द्र सरकार और राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के बीच फंड साझा किया गया था।

केन्‍द्र प्रायोजित यह योजना तीन चरणों में लागू की जा रही है-

• चरण- I (2014) (13 आकांक्षी जिलों को शामिल करने वाले 58 मेडिकल कॉलेज),

• चरण- II (2018) (6 आकांक्षी जिलों में 24 मेडिकल कॉलेज); तथा

• चरण- III (2019) (20 आकांक्षी जिलों के भीतर 75 मेडिकल कॉलेज)

मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए सीएसएस योजना के चरण -1 को वित्तीय वर्ष 2019-20 तक पूरा करने की समय सीमा के साथ जनवरी, 2014 में मंजूरी दी गई थी। इस चरण के तहत प्रत्येक मेडिकल कॉलेज को पूरा करने की अनुमानित लागत 189 करोड़ रुपये थी, जिसके लिए केन्‍द्र ने राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों को निधियों का अपना हिस्सा (7,541.10 रुपये) जारी किया था। 58 मेडिकल कॉलेजों में से 8 अभी तक चालू नहीं हुए हैं।

चरण – II को फरवरी, 2018 में अनुमोदित किया गया था और यह 2021-22 तक जारी रहेगा। इस चरण में प्रति मेडिकल कॉलेज 250 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ 3 संसदीय क्षेत्रों के लिए कम से कम एक मेडिकल कॉलेज के निर्माण की कल्पना की गई थी। राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों को केन्‍द्रीय हिस्से के रूप में 3,675 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। अब तक केवल 8 मेडिकल कॉलेज काम कर रहे हैं।

सीएसएस योजना के चरण – III को अगस्त, 2019 में मंजूरी दी गई थी और इसे 2023-24 तक पूरा करने की समय सीमा दी गई थी। इस चरण के तहत प्रत्येक मेडिकल कॉलेज की अनुमानित लागत 325 करोड़ रुपये है। कुल केन्‍द्रीय हिस्से 15499.74 करोड़ रुपये में से राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को अब तक 9,324.11 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं और 14 मेडिकल कॉलेज शुरू हो गए हैं।

बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय में एएस डॉ. मनोहर अगनानी, मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुश्री हेकाली झिमोमी और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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