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पंद्रहवें वित्त आयोग ने उत्तर प्रदेश के शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के प्रतिनिधियों से मुलाकात की

नई दिल्ली: पंद्रहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन.के. सिंह के नेतृत्व में आयोग के सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों ने आज उत्तर प्रदेश के शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की।

आयोग को बताया गया कि :

  • उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959, उत्तर प्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1916 राज्य में यूएलबी को शासित करने वाला अधिनियम है।
  • संविधान की बारहवीं अनुसूची के संदर्भ में शामिल किए जाने वाले 18 कार्यों में से केवल 8 कार्यों को पूरी तरह अवक्रमित किया गया है।
  • राज्य ने 13वें वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार संपत्ति कर बोर्ड का गठन किया है। बोर्ड एक कार्यात्मक निकाय है और शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति मजबूत करने से संबंधित शहरी स्थानीय निकायों के वित्त से जुड़े विभिन्न मुद्दों के बारे में अपनी राय / सिफारिशें देता है।
  • नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत के पिछले चुनाव अक्टूबर और नवंबर 2017 के बीच हुए थे।
  • उत्तर प्रदेश राज्य में 439 नगर पालिका बोर्ड, 198 नगर पालिका परिषद और 16 नगर निगम हैं।
  • सभी शहरी स्थानीय निकायों को संपत्ति कर लगाने के लिए पूरी तरह से सशक्त बनाया गया है।

राज्य को 14वें वित्त आयोग का हस्तांतरण :

अनुदान सभी राज्य  (करोड़) उत्तर प्रदेश   (करोड़) कुल अनुदानों के प्रतिशत के रूप में उत्तर प्रदेश के लिए अनुदान
मूलभूत अनुदान 69715 8199 11.8 प्रतिशत
कार्य निष्पादन अनुदान 17429 2050 11.8 प्रतिशत

उत्तर प्रदेश सरकार के चौथे राज्य वित्त आयोग के प्रमुख अवलोकन इस प्रकार थे :

  • राज्य के कर का 12.5 प्रतिशत और सकल गैर-कर राजस्व वसूली लागत हस्तांतरित हो।
  • ग्रामीण स्थानीय निकायों और शहरी स्थानीय निकायों के बीच वितरण क्रमश: 40 और 60 के अनुपात में हो।
  • आयोग ने सिफारिश की कि पिछले राज्य वित्त आयोग के बाद नए राज्य वित्त आयोग की रिपोर्ट आने तक सरकार इस राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू कर सकती है।
  • राज्य वित्त आयोग ने पाया कि अपेक्षित डाटा संगठन के लिए आयोग को जानकारी जारी करने में राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच सहयोग की कमी थी और आयोग के कामकाज में सरकारी अधिकारियों का अनुचित प्रशासनिक हस्तक्षेप भी था।
  • राज्य सरकारों द्वारा यूएलबी के लिए प्रस्तावित अनुदान नीचे दिए गए हैं:

यूएलबीशहरी विकास के लिए कुल मांगों का सारांश

 

2020-25 की अवधि के लिए ढांचागत सेवाएँ
    करोड़ों में
1 सुरक्षित पेयजल 11347.6
2 सीवरेज और स्वच्छता 143161.2
3 जलनिकास 25390.51
4 ठोस अपशिष्ट प्रबंधन 7706.04
5 शहरी परिवहन और यातायात प्रबंधन, एमआरटीएस / बीआरटीएस 73982.18
6 नगरपालिका सड़क विकास 13637.5
7 स्ट्रीट लाइटिंग 5295.72
  कुल 280520.75

नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों में हैं – नवीन कुमार जैन, महापौर, नगर निगम आगरा, विनोद अग्रवाल, महापौर, नगर निगम मुरादाबाद; श्रीमती रुक्साना, अध्यक्ष, नगर परिषद बिजनौर; श्रीमती रुक्साना, अध्यक्ष, नगर पंचायत मड़ियाहू, जनपद जौनपुर;  श्याम सुंदर वर्मा, अध्यक्ष, नगर परिषद खलीलाबाद, संतकबीर नगर; श्रीमती गुरु प्यारी मेहरा, अध्यक्ष, नगर पंचायत, दयाल बाग, आगरा;  अरुण सिंह, अध्यक्ष, नगर पंचायत बख्शी का तालाब, लखनऊ; श्रीमती शेफाली कुंवर, अध्यक्ष, नगर पंचायत, सरीला, हमीरपुर; श्रीमती ममता चौधरी, पार्षद, नगर निगम, लखनऊ; राजीव शर्मा, पार्षद, नगर निगम, गाजियाबाद; अरुण तिवारी, पार्षद, नगर निगम, लखनऊ; विनोद जायसवाल, सदस्य, नगर परिषद, खलीलाबाद, संतकबीर नगर; अंगद विश्वकर्मा, सदस्य, नगर परिषद, खलीलाबाद, संतकबीर नगर और मोहन लाल चौरसिया, सदस्य, नगर पंचायत मड़ियाहू, जनपद जौनपुर शामिल थे।

विचार-विमर्श के मुद्दों में विकास कार्यों और विशेष निर्माण कार्यों के लिए अतिरिक्त संसाधन, पर्यटन विकास, बुनियादी ढांचे और भारी मशीनरी के रखरखाव, भूजल स्तर में गिरावट और जल रिसाइकलिंग संयंत्रों की आवश्यकता, नगरपालिकाओं की हरियाली, नगरपालिका स्तर पर प्रशासनिक कर्मचारियों की कमी, नगरपालिका करों में शामिल थे, नगरपालिका के मैदानों का बेहतर उपयोग, बिजली के खंभों की अर्थिंग के लिए संसाधन, सड़कों को चौड़ा करने के लिए भूमिगत सीवर लाइन आदि शामिल रहे।

आयोग ने यूएलबी के प्रतिनिधियों द्वारा उजागर की गई सभी चिंताओं को नोट किया और उनके निवारण के लिए केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें भेजने का वादा किया।

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