उत्तर प्रदेश

मानस को जो समझ न पाया, उसका जीवन बेकारः उप मुख्यमंत्री

श्रृंगवेरपुर धाम। श्रृंगवेरपुर धाम में दो दिवसीय रामायण कॉन्क्लेव का बुधवार को माननीय उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने दीप प्रज्जवलन कर शुभारंभ किया। प्रभु श्रीराम की कथा के मूल और प्रेरक तत्वों को रेखांकित करने और उसकी ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए प्रदेश के 16 नगरों आयोजित हो रहे इस उत्सव श्रृंखला की तीसरी कड़ी में श्रृंगवेरपुर धाम में यह दो दिवसीय समारोह हो रहा है। प्रयागराज के निकट यह वही स्थल है जहां वनवास में वन जाने से पहले प्रभु श्रीराम ने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ रात्रि विश्राम किया था और निषादराज ने उनके पैर धोए थे। संस्कृति विभाग के अयोध्या शोध संस्थान द्वारा यह उत्सव श्रृंखला प्रदेश के पर्यटन विभाग तथा जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित हो रही है।

इस मौके पर माननीय उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि रामचरित मानस को जो समझ नहीं पाया, उसका जीवन बेकार है। उन्होंने कहा कि रामभक्ति की शक्ति का स्मरण जरूरी है। माननीय उप मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रृंगवेरपुर धाम पवित्र स्थल है। उन्होंने कहा कि काशी और अयोध्या में पहले प्रतिदिन दस हजार लोग आते थे लेकिन अब प्रतिदिन दो लाख लोग आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग अयोध्या जा रहे हैं वे चित्रकूट, श्रृंगवेरपुर, प्रयागराज भी जाएं, इसके लिए लगातार विकास कार्य किए जा रहे हैं। राम वन गमन मार्ग को विकसित किया जा रहा है। गंगा जी पर चार लेन के सेतु का निर्माण किया जाएगा। माननीय उपमुख्यमंत्री ने कहा कि रामायण कॉन्क्लेव जैसे कार्यक्रमों से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर मिलेंगे। इस मौके पर माननीय विधायक गुरु प्रसाद मौर्य, भारतीय जनता पार्टी के गंगापार के जिलाध्यक्ष अश्विनी द्विवेदी, पूर्व विधायक उमाशंकर पांडेय सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित थे। माननीय उप मुख्यमंत्री ने गंगा आरती भी की।

अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डॉ.लवकुश द्विवेदी ने माननीय उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य का प्रभु श्रीराम की धातु की प्रतिमा, अंग वस्त्र एवं पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया। डॉ. द्विवेदी ने बताया कि रामायण कॉन्क्लेव का आयोजन चित्रकूट एवं वाराणसी में हो चुका है तथा तीसरे क्रम में श्रृंगवेरपुर धाम में दो दिवसीय समारोह आयोजित हो रहा है। उत्सव श्रृंखला के अन्तर्गत अयोध्या, गोरखपुर, मैनपुरी, आजमगढ़, कानपुर, नैमिषारण्य, मथुरा, झांसी, बरेली, गौतमबुद्ध नगर, मेरठ, फिरोजाबाद एवं आगरा में भी रामायण कॉन्क्लेव का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 28 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में देश-विदेश से जुटने वाले विद्वानों की चर्चाएं, 2500 से अधिक कलाकारों की प्रस्तुतियां, विभिन्न प्रतियोगिताएं, प्रदर्शनी, कवि सम्मेलन सहित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।

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रामकथा में है सामाजिक समरसता

रामायण कॉन्क्लेव के प्रथम दिवस उद्घाटन समारोह के उपरांत रामकथा में सामाजिक समरसता विषयक गोष्ठी एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता महंत श्री गिरीशपति त्रिपाठी (अयोध्या) ने कहा कि रामकथा की दृष्टि सर्वग्राही है। जो भी रामकथा के संपर्क में आता है वह समरस हो जाता है। उन्होंने कहा कि रामकथा एक आश्वस्ति प्रदान करती है। त्रिवेणी संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य श्री शंभुनाथ त्रिपाठी (प्रयागराज) ने कहा कि रामकथा की लोकप्रियता ही उसकी सामाजिक समरसता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि जब हम शब्द के अर्थ का अनर्थ कर विवेचन करते हैं तो सामाजिक समरसता बाधित होती है। श्री मानवेन्द्र प्रताप सिंह (प्रयागराज) ने कहा कि हम जितनी बार रामचरित मानस पढ़ते हैं, उतनी बार नए विचार आते हैं। रामचरित मानस में एक दृष्टि है जिससे हम समाज में सामाजिक समरसता सुनिश्चित कर सकते हैं। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के पूर्व कार्यक्रम अधिशासी श्री योगेश मिश्र (प्रयागराज) ने कहा कि अपनी समरसता के कारण ही श्रीराम जन-जन के हुए हैं। केन्द्र की ही पूर्व कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती कल्पना सहाय (प्रयागराज) ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने लोक को शास्त्र में और शास्त्र को लोक में मिलाया है। प्रभु श्रीराम एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत करते हैं जो सभी के लिए आदरणीय है। इलाहाबाद संग्रहालय के पूर्व क्यूरेटर डॉ.श्रीरंजन शुक्ला (प्रयागराज) ने कहा कि रामकथा संपूर्ण विश्व में लोकप्रिय है। उन्होंने कहा कि पांच सौ पूर्व के समाज में और आज के समाज में बहुत अंतर है। अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डॉ. लवकुश द्विवेदी ने अतिथियों का सम्मान किया।

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