उत्तर प्रदेश

एकता का यह सूत्र विगत दिनों काशी तमिल संगमम् के रूप में देखने को मिला: सीएम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज सुशासन दिवस पर यहां संगीत नाटक अकादमी में आयोजित ‘संगमम् संस्कृतियों का’ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस कार्यक्रम का आयोजन प्रदेश के संस्कृति विभाग तथा दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है। कार्यक्रम में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के स्वाद (खान-पान) और संस्कृति का प्रदर्शन किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज क्रिसमस का पावन पर्व है। आज ही देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी एवं भारतरत्न महामना मदन मोहन मालवीय जी की जयन्ती भी है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की विशेषता अनेकता में एकता है। खान-पान, रंग-रूप, वेषभूषा, भाषा, इन सभी में अनेकता है, लेकिन हम सभी की भाव भंगिमा एक है। उत्तर से दक्षिण तक तथा पूर्व से पश्चिम तक, हम सब एक हैं। यह एकता ही संगमम् है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संगम की परम्परा हमारे यहां अति प्राचीन काल से है। देश का सबसे बड़ा महासंगम प्रयागराज में है। प्रयागराज में गंगा, यमुना तथा अदृश्य सरस्वती का संगम है। दुनिया में सबसे बड़ा सांस्कृतिक आयोजन संगम के तट पर कुम्भ के रूप में हम सभी को देखने को मिलता है। प्रयाग का अर्थ ही संगम है। ऐसे ही उत्तराखण्ड में नदियों के संगम को प्रयाग कहा जाता है। यहां पर विभिन्न नदियों के संगम स्थल-विष्णु प्रयाग, नन्द प्रयाग, कर्ण प्रयाग, रुद्र प्रयाग तथा देव प्रयाग हैं। यहीं प्रयाग आगे बढ़कर प्रयागराज के रूप में हमें देखने को मिलता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संगमम् की एक लम्बी श्रृंखला भारत की सांस्कृतिक परम्परा में देखने को मिलती है। समाज की वास्तविकता उसकी संस्कृति में है। संस्कृति ही उसकी आत्मा है, जो हम सभी को एकता के सूत्र में पिरोती है। एकता का यह सूत्र विगत दिनों काशी तमिल संगमम् के रूप में देखने को मिला है। यह संगमम् एक माह तक संचालित किया गया। इसमें तमिलनाडु के 12 ग्रुप यथा-शिक्षक, छात्र, धर्माचार्य, हस्तशिल्पी, ग्राम्य विकास एवं किसान सहित अन्य समूहों के व्यक्ति सम्मिलित हुए। इस ग्रुप का आगमन काशी के बाद प्रयागराज तथा अयोध्या में हुआ। इस संगमम् ने तमिलवासियों के मन में उत्तर भारतीयों के प्रति विरोधाभाषी बातें एवं दुष्प्रचार को दूर करने में बड़ी भूमिका का निर्वहन किया। प्रत्यक्ष को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। काशी तमिल संगमम् मंे आये सभी तमिलवासी बहुत अभिभूत हुए। इसके माध्यम से एकता और प्रगाढ़ होती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस समारोह में खान-पान के माध्यम से हम सभी को एकता के सूत्र देखने को मिल रहे हैं। यहां पर अलग-अलग समाज यथा जैन, कश्मीरी, मराठा, मलयालम, राजस्थानी, उड़िया, सिन्धी, भोजपुरी, उत्तराखण्डी तथा तेलगू संस्कृति सहित अन्य परम्परा के खान-पान रखे गये हैं। यह सभी खान-पान भले ही अलग-अलग परम्परा के हों, खाने-पीने के बाद इनकी ऊर्जा व स्वाद एक जैसा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संस्कृति विभाग, आवास विभाग तथा विकास प्राधिकरण के साथ मिलकर प्रदेश के प्रत्येक महानगर में खान-पान की एक ऐसी गली की व्यवस्था करें, जिसमें लोग देश के विभिन्न समाजों के खान-पान का आनन्द प्राप्त कर सकें। वर्ष 2023 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मिलेट्स वर्ष के रूप में चिन्हित किया है। यूनेस्को ने इसे उसी रूप में मान्यता प्रदान की है। यह हमारा परम्परागत खान-पान है, जिसे हम मोटे अनाज के रूप मंे मान्यता देते हैं। इन खान-पान को छोड़ने से लोगों में तमाम प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हुई हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमारे ऋषियों एवं महापुरुषों द्वारा  अलग-अलग क्षेत्रों एवं राज्यों हेतु प्राकृतिक व सामाजिक बनावट के हिसाब से खान-पान की विशिष्ट शैली अनुमन्य की गयी थी। यह विशेष शैली प्राकृतिक खेती एवं विशिष्ट वैज्ञानिक सोच पर आधारित थी। यहां पर कैमिकल एवं पेस्टिसाइड का प्रयोग नहीं होता था। वर्तमान में खेतों में रसायनों के प्रयोग ने अनेक प्रकार की विकृतियां दी हैं। हमें परम्परागत खेती को पुनः आगे बढ़ाना होगा। कोदो, रागी सहित अन्य प्राकृतिक उपज की मांग बहुत अधिक है, जिसे कम पानी में भी उगाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि धरती माता हमारे स्वस्थ जीवन हेतु पुष्ट व स्वादिष्ट खाद्यान्न उपलब्ध कराती थीं। रसायनों के उपयोग से उपज भी विष युक्त हुई। धरती माता की सेहत को सुधारने के लिए प्राकृतिक खेती पर आधारित प्राचीन परम्परा को अपनाना होगा। प्राचीन परम्पराएं एवं संस्कृति देश की ताकत हैं। इन परम्पराओं तथा संस्कृतियों के साथ हमारा इतिहास व गौरव जुड़ा है। गौरव की अनुभूति किसी भी समाज को आगे बढ़ाने का कार्य करती है। इसे निरन्तर आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी ने विभिन्न स्टॉल का अवलोकन किया। इनमंे विभिन्न संस्कृतियों, भारतरत्न श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जीवन, दर्शन एवं कविताओं पर आधारित अभिलेख प्रदर्शनी, स्वयं सहायता समूह की चिकनकारी एवं खाद्य सुरक्षा औषधि प्रशासन विभाग की प्रदर्शनी मुख्य रूप से सम्मिलित थी। उन्होंने संगमम् थाल का उद्घाटन भी किया।
कार्यक्रम में दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला, लखनऊ संस्करण के सम्पादक श्री विजय त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री जी को प्रतीक चिन्ह प्रदान किया तथा अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम के दौरान उत्तराखण्ड के कलाकारों द्वारा परम्परागत नृत्य शैली ‘जोहरा’ का प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा, नृत्य प्रस्तुति के माध्यम से गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर को श्रद्धासुमन अर्पित किये गये।
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह, अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री श्री दानिश आजाद अंसारी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति श्री मुकेश कुमार मेश्राम, निदेशक सूचना एवं संस्कृति श्री शिशिर तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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