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केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने द्वितीय राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता की

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज द्वितीय राष्ट्रीय जल पुरस्कार वितरण समारोह के समापन की अध्यक्षता की। इस समारोह का उद्घाटन 11 नवंबर, 2020 को भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने किया था। इस अवसर पर जल शक्ति राज्यमंत्री श्री रतन लाल कटारिया, जल शक्ति मंत्रालय के सचिव श्री यू.पी. सिंह, पद्म भूषण एवं प्रसिद्ध पर्यावरणविद् श्री अनिल जोशी और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक (डीजी) राजीव मिश्रा भी उपस्थित थे।

इस समारोह को संबोधित करते हुए श्री शेखावत ने कहा कि पूरा विश्व कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है और कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो इससे प्रभावित नहीं है। उन्होंने कहा कि इसी तरह पूरा विश्व जल की समस्या का सामना कर रहा है। भारत में भी 100 करोड़ लोग पानी की समस्याओं से प्रभावित हैं और आज भी यह दिखाता है कि इस चुनौती की नीचता हाथ में है। इस संदर्भ में इन पुरस्कारों के विजेता इस बात के लिए विशेष प्रशंसा के पात्र हैं कि उन्होंने अपने क्षेत्र में जल की समस्याओं का समाधान खोजने में अपनी भूमिका निभाई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विश्व को जल क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करने के लिए उसी तरह एक साथ आने की जरूरत है, जिस तरह कोविड-19 महामारी से लड़ाई में विश्व एकजुट हुआ। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हम सभी को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और आपदा में अवसर तलाशना चाहिए। श्री शेखावत ने देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी जल के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दृष्टिकोण केवल सभी घरों में पेयजल उपलब्ध करवाना ही नहीं है, बल्कि एक जागरूकता पैदा करना है जो जल संरक्षण में बदलाव लाएगा और भारत को जल समृद्ध देश बनाने में मदद करेगा। श्री शेखावत ने कहा कि जल जीवन मिशन पानी के क्षेत्र में एक गेम-चेंजर है। माननीय मंत्री ने सतत् भूजल प्रबंधन के लिए जलभराव पर भी जोर दिया, जिसे जलभराव मानचित्रण और अटल भूजल योजना के माध्यम से मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज का समारोह जल शक्ति को एक जन आंदोलन बनाने की दिशा में एक सही कदम है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि जल क्षेत्र की चुनौती का सामना करने के लिए एकजुट होना और जीवन के लिए पानी एक मूलभूत चीज है, इस बात को समझते हुए युवा पीढ़ी को जल समृद्ध देश सौंपना, यह सभी का कर्तव्य है।

जिन श्रेणियों में पुरस्कारों की घोषणा की गई, उनमें सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत, सर्वश्रेष्ठ स्थानीय शहरी निकाय, सर्वश्रेष्ठ शोध/नवीनीकरण/ नई तकनीक, सर्वश्रेष्ठ शिक्षा/जन जागरूकता प्रयास, सर्वश्रेष्ठ टीवी शो, सर्वश्रेष्ठ समाचार पत्र, सर्वश्रेष्ठ विद्यालय, सर्वश्रेष्ठ संस्थान/आरडब्ल्यूए/धार्मिक संगठन, सर्वश्रेष्ठ उद्योग, सर्वश्रेष्ठ एनजीओ, सर्वश्रेष्ठ जल उपभोक्ता एसोसिएशन और सीएसआर गतिविधि के लिए सर्वश्रेष्ठ उद्योग शामिल हैं।

जल शक्ति मंत्रालय जल समृद्ध भारत के लिए प्रतिबद्ध है श्री रतन लाल कटारिया  

श्री कटारिया ने समग्र और व्यापक तरीके से जल से संबंधित मुद्दों के समाधान से संबंधित जल शक्ति मंत्रालय का गठन करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की ऊर्जाशील नेतृत्व की सराहना की।

केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया ने सभी विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि मंत्रालय जल समृद्ध भारत के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने समग्र और व्यापक तरीके से जल से संबंधित मुद्दों के समाधान से संबंधित जल शक्ति मंत्रालय का गठन करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की ऊर्जाशील नेतृत्व की सराहना की। इसके अलावा उन्होंने मंत्रालय को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए केंद्रीय जल मंत्री की भी सराहना की। श्री कटारिया ने कहा कि राष्ट्रीय जल पुरस्कार जल संरक्षण के संदेश को फैलाने की दिशा में एक सही कदम है और यह एक ऐसे मंच के रूप में काम करता है, जहां इसके सभी हितधारक एक साथ आ सकते हैं। उन्होंने सभी से जल का विवेकपूर्ण उपयोग करने का आग्रह किया और इस बात को माना कि जल के क्षेत्र में एक व्यवहार परिवर्तन लाने में पुरस्कार मदद करेंगे।  

श्री कटारिया ने कहा कि भारत के पास एक गौरवशाली अतीत है और एक समृद्ध विरासत का आशीर्वाद मिला है, जहां जल ‘ईश्वर’ का दर्जा दिया गया है। उन्होंने ऋग्वेद और अथर्ववेद के हवाले से कहा कि जल को न केवल एक शोधक के रूप में परिभाषित किया गया है, बल्कि इस ग्रह पर जीवन को बचाए भी रखा है। उन्होंने बढ़ती जनसंख्या दबाव और विकासात्मक जरूरतों की वजह से समकालीन चुनौतियों जैसे; जल प्रदूषण, भूजल स्रोतों/जलभराव का कम होना आदि का उल्लेख किया। श्री कटारिया ने मंत्रालय के पहले वर्ष की उपलब्धियों को सूचीबद्ध किया। इनमें विशेषकर ग्रामीण परिवारों को पेयजल के 87 लाख नल कनेक्शनों देना शामिल है। उन्होंने कहा कि इस काम को पहले की सरकारों द्वारा अनदेखा किया था।

श्री यू.पी. सिंह ने कहा कि वे भारत को जल की कमी वाला देश नहीं कहेंगे, क्योंकि यहां हर साल 1000 मिलीमीटर से अधिक की बारिश होती है। उन्होंने कहा कि हमें जल प्रबंधन की जरूरत है, जोकि इस समय की आवश्यकता है। 5 रुपये के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमें रियूज (पुन: उपयोग), रिड्यूज (कम करना), रिसायकल (पुनर्चक्रण), रिचार्ज (भराव) और रेस्पेक्ट (सम्मान) पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने जल के प्रभावी प्रबंधन में जिला प्रशासन की भूमिका पर जोर दिया और कहा कि भारत को जल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना होगा।

श्री अनिल जोशी ने पुरस्कारों के विजेताओं को बधाई देते हुए जल शक्ति और जन शक्ति के मिलन के महत्व पर एक परिवर्तनकारी बदलाव लाने पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जल को वह सम्मान देना चाहिए जैसा कि भारत में अतीत में किया जा चुका है और ऐसे  मूल्यों को युवा पीढ़ी को अपनाना होगा। उन्होंने देश के प्रत्येक नागरिक की ‘पारिस्थितिकी जिम्मेदारी’ के बारे में बात की और कहा कि जल क्षेत्र में आवश्यक भावना को व्यक्त करने के लिए ‘जल समृद्धि’ एक बेहतर शब्द है और यह बेहतर परिणाम भी देगा। श्री जोशी ने सकल पर्यावरण उत्पाद की अवधारणा की भी बात की और यह विश्वास जताया कि इसे देश की सामूहिकता का हिस्सा बनना चाहिए।

एनएमसीजी के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए दर्शकों को नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत उठाए जा रहे कदमों से अवगत कराया और कहा कि स्वच्छ गंगा मिशन की सफलता में लोगों की भागीदारी अहम है।

16 श्रेणियों के लिए 1112 वैध आवेदनों में से कुल 98 विजेताओं का चयन किया गया। वैसे श्रेणी जिनके लिए आवेदन की मांग की गई थी, उनमें सर्वश्रेष्ठ राज्य, सर्वश्रेष्ठ जिला, सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत, सर्वश्रेष्ठ स्थानीय शहरी निकाय, सर्वश्रेष्ठ शोध/नवीनीकरण/नई तकनीक, सर्वश्रेष्ठ शिक्षा/जन जागरूकता प्रयास, सर्वश्रेष्ठ टीवी शो, सर्वश्रेष्ठ समाचार पत्र, सर्वश्रेष्ठ विद्यालय, सर्वश्रेष्ठ संस्थान/आरडब्ल्यूए/धार्मिक संगठन, सर्वश्रेष्ठ उद्योग, सर्वश्रेष्ठ जल नियमन प्राधिकरण, सर्वश्रेष्ठ जल योद्धा, सर्वश्रेष्ठ एनजीओ, सर्वश्रेष्ठ जल उपभोक्ता एसोसिएशन और सीएसआर गतिविधि के लिए सर्वश्रेष्ठ उद्योग शामिल हैं।

सर्वश्रेष्ठ जल उपभोक्ता एसोसिएशन और सीएसआर गतिविधि के लिए सर्वश्रेष्ठ उद्योग, वैसे दो श्रेणियां हैं, जिन्हें राष्ट्रीय जल पुरस्कारों 2019 में शामिल किया गया था। देश के विभिन्न हिस्सों में इन श्रेणियों के तहत कुछ उप-श्रेणियां हैं। इन विजेताओं को ट्रॉफी/प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। तीन श्रेणियों- ‘सर्वश्रेष्ठ राज्य’, ‘सर्वश्रेष्ठ जिला’, और ‘सर्वश्रेष्ठ जल नियमन प्राधिकरण’ को छोड़कर  बाकी 13 श्रेणियों को नकद पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय जल पुरस्कारों का उद्देश्य जल संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों/संगठनों को सम्मानित करना है। इसके अलावा यह जल के महत्व के बारे में लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने का प्रयास करता है और उन्हें सर्वोत्तम जल उपयोग विधियों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।

राष्ट्रीय जल पुरस्कार न केवल देशभर में व्यक्तिगत और संगठनों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों और प्रयासों पर केंद्रित है, बल्कि यह एक ‘जल समृद्ध भारत’ के संबंध में सरकार के दृष्टिकोण की दिशा में एक सही कदम था।

इस समारोह ने स्टार्ट-अप के साथ-साथ अग्रणी संगठनों को शामिल करने और विचार-विमर्श करने का एक अच्छा अवसर प्रदान किया है। इस समारोह ने सभी लोगों और संगठनों को एक मजबूत साझेदारी और जल संसाधन संरक्षण प्रबंधन में हितकारकों के जुड़ाव को आगे बढ़ाने के लिए एक अवसर दिया है।

सितंबर, 2019 में MyGov पोर्टल पर राष्ट्रीय जल पुरस्कारों को शुरू किया गया था और केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा प्रविष्टियां भी आमंत्रित की गई थीं। इसके निर्णायक मंडल की अध्यक्षता जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के पूर्व सचिव श्री शशि शेखर ने की थी। केंद्रीय भूमि जल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) और केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों के साथ दो जांच समितियों ने निर्णायक मंडल को आवेदनों का अध्ययन करने और विजेताओं का चयन करने में सहायता की। राष्ट्रीय जल पुरस्कार के विजेता, प्रतिनिधि और दर्शक वर्चुअल माध्यम से सीधे प्रसारण में शामिल हुए थे।

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