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उपराष्ट्रपति ने कहा, हमें एक ऐसी दुनिया बनानी है जहां सहभागिता और सहयोग की खासी ज्यादा अहमियत हो

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि कोई भी देश अलग-थलग रहकर प्रगति नहीं कर सकता और हमें वैश्विक विकास, शांति और सद्भाव के लिए मिलकर काम करना होगा। जलवायु परिवर्तन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, इससे हमें यह एहसास हुआ है कि दुनिया एक है और मानवता के सुरक्षित भविष्य के लिए जलवायु परिवर्तन के खतरों का सामूहिक रूप से मुकाबला करना होगा।

उपराष्ट्रपति ने आज उपराष्ट्रपति निवास में फ्रांस इंडिया फाउंडेशन से आए यंग लीडर्स के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ संवाद के दौरान ये टिप्पणियां कीं।

दुनिया के अब एक गांव बनने की बात को रेखांकित करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि भारत की सभ्यतागत लोकाचार ने हमेशा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के विचार को बढ़ावा दिया है। प्रधानमंत्री के इस कथन कि ‘युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि “हमें एक ऐसी दुनिया बनानी होगी जहां सहभागिता और सहयोग की खासी अहमियत हो।”

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के एक सदस्य के रूप में पेरिस में अपने दिनों को याद करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, “मैं फ्रांसीसी संस्कृति, अनुशासन और फ्रांसीसी चरित्र की ताकत को बहुत महत्व देता हूं।”

हाल के वर्षों में भारत सरकार की विभिन्न सकारात्मक नीतियों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया गया है जिसमें हर युवा पुरुष या महिला अपनी क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने में सक्षम है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत ने आधुनिकता की दिशा में अभूतपूर्व रूप से एक बड़ा कदम उठाया है और एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है।

संवाद के दौरान, उपराष्ट्रपति ने दोनों देशों के यंग लीडर्स से मानवता के समग्र लाभ के उद्देश्य से सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर भारत में फ्रांस के राजदूत श्री इमैनुअल लेनाइन के साथ-साथ उपराष्ट्रपति सचिवालय और एमईए के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।

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